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Updated on: 13 November, 2019 12:00 AM IST

चित्रक मुख्य रूप से पहाड़ी स्थानों और जंगलों में पाया जाने वाला प्रमुख औषधीय पौधा है. यह मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, दक्षिण भारत, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, खसिया पेड़, सिक्किम, बिहार, झारखंड, बिहार, गुजरात आदि राज्यों में पाया जाता है. प्लांबागो जेलानिका एक सदाबाहर झाड़ी है यह पौधा हमेशा हरा रहता है इसकी जड़े गठीली होती है और तना पूरी तरह से सीधा होता है. इसकी खेती पर राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड की तरफ से 50 प्रतिशत तक की सब्सिडी प्रदान की जा रही है

जलवायु और मिट्टी

यह पौधा गहरी और नालीदार रेतीली व चिकनी मिट्टी युक्त भूमि में पैदा होता है. साथ ही इस पौधे की वृद्धि के लिए आर्द स्थिति उपयुक्त नहीं होती है.

रोपण साम्रगी

चित्रक कलम या बीजों से आसानी से इसको उगाया जा सकता है. कलम पकी फसल से मार्च अप्रैल महीने में एकत्र ही किए जा सकते है. जिनकी लंबाई 10 से 15 सेंटीमीटर तक और प्रत्येक में कम से कम तीन तरह की गाठे होती है.

नर्सरी तकनीक

इनके शीघ्र अंकुरण के लिए काटे गए टुकड़ों का उपचार किया जाता ह उपचार मे 500 पी पी एम नेप्थलीन एसेटिक एसिड का प्रयोग किया जाता है. यहां पर तैयार टुकड़ों को बरसात के मौसम में उपचार के 24 घंटे के अंदर तैयार की गई क्यारियों में बो दिया जाता है. क्यारियों का आकार 10 गुणा 1 मीटर होना चाहिए और वह ऐसे स्थानों  पर हो जहां पर पेड़ और आंशिक धूप रहती है. यहां पर टुकड़ों को क्रम में बोया जाना चाहिए और इनके बीच में 5 सेंटीमीटर का परस्पर अंतर होना चाहिए. इन सभी क्यारियों की नियमित रूप से सिंचाई करनी जरूरी है. ये टुकड़े नर्सरी में अंकुरण के लिए एक माह का समय लेते है. जुलाई माह में इन अकुंरित जड़ों को मुख्य खेत मे लगा दिया जाता है. बीजों को मार्च माह में पॉलीबैगों में बोया जाता है जिसमें से रेत, मिट्टी की बराबर मात्रा का मिश्रण होता है.

खेत में पौधे लगाना

यहां पर मई जून माह में जमीन को तैयार कर ली जाती है, मानसून प्रारंभ होते ही नर्सरी में उगाई जाती है और अकुंरित कलमें मुख्य खेत में लगा दिए जाते है. पौधे लगाने से एक माह पहले जब हल चलाया जाता है और जमीन को तैयार किया जाता है तो उसमें प्रति हेक्टेयर 10 टन उवर्क में मिलाई जाती है.

अंतर फसल प्रणाली

चित्रक की खेती बागानों में फलदार पेड़ों जैसे अमरूद, आम, नींबू जैसे पेड़ों के बीच में की जाती है, इसे मेलिया अरबोरिया, ओरो जाइलम इंडिकम या अन्य औषधीय पौधों की प्रजातियों के बीच की जमीन पर उगाया जाता है.

संवर्धन विधियां

पौधे को लगाने के बाद एक माह के भीतर अगस्त माह में खरपतवार निकालने के लिए पहली गुड़ाई की जानी चाहिए. सात ही दूसरी और तीसरी गुड़ाई हाथ द्वारा क्रमशः अक्टूबर यऔर दिसंबर महीने में की जानी चाहिए. फसल की कटाई से पूर्व मई माह में पौधों की काट छाट भी की जानी चाहिए.

सिंचाई विधियां

फसल की सिंचाई चार पाच बार यानि कि नंबवर, जनवरी, मार्च, अप्रैल, मई में करना पर्याप्त रहात है. बहते हुए पानी की सिंचाई मे प्रत्येक बार कुल दो सेमी तक पानी रहता है.

फसल प्रबंधन

खेत में पौधे को लगाने के बाद 10 से 12 महीनों में फसल को तैयार किया जाता है. यदि फसल को पौधे लगाने के 12 महीने के बाद काट दे तो पैदावार ज्यादा होगी. एक हेक्टेयर खेत के लिए 20 हजार पौधे से 80 हजार पौधों की कलमें तैयार की जा रही है.

फसल काटने के बाद प्रबंधन

इसकी जड़ों को जून की धूप में जमीन में निकाला जाना चाहिए ताकि वह सूख जाए, खेत में लहल गहरा चलना चाहिए ताकि सभी जड़े नजर में आए इनको तुरंत एकत्र कर लेना चाहिए. जड़ों को निकालने के बाद साफ पानी में धोकर ही सुखाते है और उन्हें 5 से 7.5 सेमी के टुकड़ों में काट देते है. साफ और शुषक जड़ों को हवारहित पॉलीबैगों में पैक कर स्टोर किया जाता है,

पैदावार

यदि स्थितियां ठईक रहें तो पैदावार 12 से 18 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हो जाती है.

यहां पर मई जून माह में जमीन को तैयार कर ली जाती है, मानसून प्रारंभ होते ही नर्सरी में उगाई जाती है और अकुंरित कलमें मुख्य खेत में लगा दिए जाते है. पौधे लगाने से एक माह पहले जब हल चलाया जाता है और जमीन को तैयार किया जाता है तो उसमें प्रति हेक्टेयर 10 टन उवर्क में मिलाई जाती है.

अंतर फसल प्रणाली

चित्रक की खेती बागानों में फलदार पेड़ों जैसे अमरूद, आम, नींबू जैसे पेड़ों के बीच में की जाती है, इसे मेलिया अरबोरिया, ओरो जाइलम इंडिकम या अन्य औषधीय पौधों की प्रजातियों के बीच की जमीन पर उगाया जाता है.

संवर्धन विधियां

पौधे को लगाने के बाद एक माह के भीतर अगस्त माह में खरपतवार निकालने के लिए पहली गुड़ाई की जानी चाहिए. सात ही दूसरी और तीसरी गुड़ाई हाथ द्वारा क्रमशः अक्टूबर यऔर दिसंबर महीने में की जानी चाहिए. फसल की कटाई से पूर्व मई माह में पौधों की काट छाट भी की जानी चाहिए.

सिंचाई विधियां

फसल की सिंचाई चार पाच बार यानि कि नंबवर, जनवरी, मार्च, अप्रैल, मई में करना पर्याप्त रहात है. बहते हुए पानी की सिंचाई मे प्रत्येक बार कुल दो सेमी तक पानी रहता है.

फसल प्रबंधन

खेत में पौधे को लगाने के बाद 10 से 12 महीनों में फसल को तैयार किया जाता है. यदि फसल को पौधे लगाने के 12 महीने के बाद काट दे तो पैदावार ज्यादा होगी. एक हेक्टेयर खेत के लिए 20 हजार पौधे से 80 हजार पौधों की कलमें तैयार की जा रही है.

फसल काटने के बाद प्रबंधन

इसकी जड़ों को जून की धूप में जमीन में निकाला जाना चाहिए ताकि वह सूख जाए, खेत में लहल गहरा चलना चाहिए ताकि सभी जड़े नजर में आए इनको तुरंत एकत्र कर लेना चाहिए. जड़ों को निकालने के बाद साफ पानी में धोकर ही सुखाते है और उन्हें 5 से 7.5 सेमी के टुकड़ों में काट देते है. साफ और शुषक जड़ों को हवारहित पॉलीबैगों में पैक कर स्टोर किया जाता है,

पैदावार

यदि स्थितियां ठईक रहें तो पैदावार 12 से 18 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हो जाती है.

English Summary: Cultivation of painters will result in huge profits, so much subsidy
Published on: 13 November 2019, 06:15 IST

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