बारिश शुरू होते ही खरीफ का सीजन शुरू हो जाता है. यही वजह है कि किसान बुआई के लिए खेतों की तैयारियों में जुटे हैं. देश के अधिकतर किसान इस सीजन में पारंपरिक खेती करते हैं, लेकिन जो किसान कुछ हटकर खेती करना चाहते हैं, वे इस सीजन में औषधीय पौधे की खेती कर सकते हैं. वैसे, इन दिनों औषधीय उत्पादों की अच्छी खासी मांग है. ऐसे में औषधीय पौधों की खेती से किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं. तो आइए जानते हैं, खरीफ सीजन में किसान भाई किन औषधीय पौधों की खेती करें?
सतावर
भारत में सतावर के पौधे हिमालय क्षेत्र में पाये जाते हैं. वहीं श्रीलंका में सतावर की खेती होती है. यह प्रमुख औषधीय पौधा है और इसका आयुर्वेद में विशेष महत्व है. इसे सौ पत्तों वाला पौधा कहा जाता है, जिसमें कई टहनियां होती हैं. सतावर की बेल कांटेदार और एक से दो मीटर लंबी होती है. खरीफ सीजन में इसके पौधे की रोपाई उचित मानी जाती है. जुलाई महीने में सतावर के पौधों की रोपाई की जाती है. यदि आप एक बीघे में सतावर की खेती करते हैं, तो तीन से चार क्विंटल उत्पादन होता है. एक क्विंटल सतावर की कीमत लगभग 40 हजार रुपये होती है. ऐसे में एक बीघा से ही 1 लाख 60 हजार रूपये की कमाई हो सकती है.
लेमनग्रास
लेमनग्रास भी औषधीय गुणों से भरपूर होती है. जुलाई महीने में इसकी फसल लगाई जाती है. एक बार लेमनग्रास की बुआई के बाद 4 से 5 साल तक पैदावार ली जा सकती है. इसकी खेती में प्रति एकड़ 30 से 40 हजार रूपये का खर्च आता है. वहीं कमाई की बात की जाए तो प्रति एकड़ 2 से 3 लाख रूपये की कमाई होती है.
कौंच
भारत के मैदानी भागों में कौंच का औषधीय पौधा विकसित होता है. यह झाड़ीनुमा पौधा है और जिसकी पत्तियां झुकी, डंठल भूरे और रेशमी तथा 6 से 11 सेंटीमीटर लंबे होते हैं. 15 जून से 15 तक जुलाई बीज के जरिए इसकी बुआई की जा सकती है. एक एकड़ में कौंच की खेती के लिए 6 से 8 किलोग्राम बीज की जरूरत पड़ती है. कमाई की बात की जाए, तो प्रति एकड़ से 3 लाख रूपये तक की कमाई हो सकती है.
ब्राह्मी
यह औषधीय गुणों से भरपूर होने के कारण गठिया, कब्ज समेत कई बीमारियों को दूर करती है. इसके अलावा ब्राह्मी रक्तशुद्धी, दिमाग को तेज और याददाश्त बढ़ाने में मददगार है. एनिमिया, कैंसर, किडनी, दमा और मिर्गी जैसे बीमारियों के इलाज में भी ब्राह्मी का प्रयोग किया जाता है. जून और जुलाई माह ब्राह्मी की खेती के लिए उपयुक्त मौसम होता है. उत्पादन की बात की जाए तो प्रति हेक्टेयर से 25 से 30 क्विंटल ब्राह्मी की सूखी पत्तियां मिलती हैं. इसकी खेती से किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं.
एलोवेरा
अच्छी आय अर्जित करने के लिए एलोवेरा की खेती किसान कर सकते हैं. औषधीय गुणों से भरपुर एलोवेरा की खेती गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र में बड़े स्तर पर होती है. जुलाई माह एलोवेरा की रोपाई के लिए उपयुक्त समय होता है. इसके पौधों की ग्रोथ आसानी हो जाती है. एक हेक्टेयर जमीन से 30 से 35 टन एलोवेरा पत्तियों का उत्पादन आसानी से लिया जा सकता है. वहीं कमाई की बात की जाए तो प्रति एकड़ 2 से 3 लाख रूपये की कमाई की जा सकती है.