Mango and Litchi crop management: वर्तमान मौसम परिस्थितियां आम और लीची के पुष्पन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं. जलवायु परिवर्तन पर उच्च अध्ययन केंद्र, डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा, समस्तीपुर, बिहार के अनुसार, दिनांक 4 मार्च 2025 को अधिकतम तापमान 30.2°C दर्ज किया गया, जो सामान्य से 2.0°C अधिक था, जबकि न्यूनतम तापमान 11.5°C था, जो सामान्य से 2.5°C कम था. सुबह सापेक्ष आर्द्रता 97% थी, जो दोपहर में घटकर 64% रह गई. वाष्पोत्सर्जन दर 5.6 मिमी दर्ज की गई, और पछुआ हवाएं 18.0 किमी/घंटा की गति से प्रवाहित हुईं. अगले दो दिनों तक 15 से 20 किमी/घंटा की तेज पछुआ हवाएं चलने की संभावना है, जो आम और लीची के पुष्पन व परागण को प्रभावित कर सकती हैं. आइए विस्तार से समझते हैं कि इन परिस्थितियों का फसलों पर क्या प्रभाव पड़ेगा और उचित प्रबंधन कैसे किया जा सकता है.
आम में पुष्पन पर प्रभाव
तापमान प्रभाव
- अधिकतम तापमान 2°C, जो सामान्य से अधिक है, पुष्पन को प्रेरित कर सकता है. लेकिन यदि तापमान अधिक बढ़ता है, तो इससे फूलों के गिरने की संभावना बढ़ सकती है.
- न्यूनतम तापमान 5°C, जो सामान्य से कम है, पुष्पन की गति को धीमा कर सकता है. आम में पुष्पन के लिए न्यूनतम तापमान 12-15°C के बीच होना अनुकूल माना जाता है.
सापेक्ष आर्द्रता प्रभाव
- सुबह 97% आर्द्रता पुष्पन के लिए लाभकारी है. दोपहर में 64% की गिरावट यदि बढ़ती है, तो इससे परागण प्रभावित हो सकता है.
पछुआ हवा का प्रभाव
- तेज पछुआ हवाएं (18-20 किमी/घंटा) पुष्पगुच्छों को नुकसान पहुँचा सकती हैं. फूलों के गिरने और परागण में बाधा उत्पन्न हो सकती है, जिससे फल सेट कम होगा.
लीची में पुष्पन पर प्रभाव
तापमान प्रभाव
- अधिकतम 2°C और न्यूनतम 11.5°C का अंतराल लीची के पुष्पन के लिए सामान्य रूप से अनुकूल है. हालांकि, अत्यधिक शुष्क हवाएँ फूलों के गिरने और परागण में रुकावट पैदा कर सकती हैं.
सापेक्ष आर्द्रता प्रभाव
- सुबह की उच्च आर्द्रता (97%) पुष्पन के लिए लाभकारी है. दोपहर में आर्द्रता (64%) अधिक गिरने पर फूलों की गुणवत्ता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है.
पछुआ हवा का प्रभाव
- यदि तेज पछुआ हवाएं (15-20 किमी/घंटा) जारी रहती हैं, तो नाजुक पुष्पगुच्छ क्षतिग्रस्त हो सकते हैं. इससे फल सेट प्रभावित हो सकता है और उत्पादन में गिरावट आ सकती है.
संभावित समस्याएं एवं समाधान
- तेज पछुआ हवाओं से बचाव
- समस्या: तेज पछुआ हवाएं फूलों को नुकसान पहुंचा सकती हैं, जिससे फल बनने की प्रक्रिया बाधित हो सकती है.
- समाधान: बागों के चारों ओर हवा अवरोधक पौधों (Windbreakers) जैसे शीशम, खजूर, गुलमोहर आदि के बाग होने चाहिए.
गुड़-चूना का घोल बाग में जगह जगह पर रखने से बाग में मक्खी एवं मधु मक्खी आकर्षित होंगी, जो परागण को बढ़ाने और फूलों के गिरने को कम करने में मदद करेगा.
- नमी की कमी से बचाव
- समस्या: गर्म हवाओं के कारण मिट्टी की नमी तेजी से कम हो सकती है, जिससे फूल गिर सकते हैं.
- समाधान: जैविक मल्चिंग (सूखी घास, पुआल) करें, जिससे मिट्टी में नमी संरक्षित रहे.
- बागों में हल्की सिंचाई पूरी तरह से फल लग जाने के बाद ही करें, लेकिन अधिक जलभराव से बचें.
- परागण में सुधार के लिए उपाय
- समस्या: अधिक तापमान और कम आर्द्रता परागण प्रक्रिया को बाधित कर सकते हैं.
- समाधान: मधुमक्खियों की संख्या बढ़ाने के लिए बागों में फूलों वाले पौधे लगाएँ जिससे वातावरण में नमी बनी रहे.
मौसम के प्रभाव से बचाने के लिए प्रभावी प्रबंधन उपाय
वर्तमान मौसम परिस्थितियां आम और लीची दोनों फसलों के लिए चुनौतीपूर्ण बनी हुई हैं. तापमान में उतार-चढ़ाव, पछुआ हवाएं और आर्द्रता में कमी के कारण पुष्पन और फल सेट प्रभावित हो सकते हैं. यदि उचित प्रबंधन किया जाए, तो इन प्रतिकूल प्रभावों को कम किया जा सकता है.
- तेज हवाओं से बचाव के लिए जैविक मल्चिंग करें.
- परागण सुधारने के लिए मधुमक्खियों को आकर्षित करें.
- नमी बनाए रखने की आवश्यकता है.
- गुड़-चूना घोल को बाग में जगह जगह पर रक्खे.
इस प्रकार, सतर्कता और उचित कृषि प्रबंधन द्वारा आम एवं लीची दोनों फसलों में अच्छे फूल और फल सेट को सुनिश्चित किया जा सकता है, जिससे किसानों को अधिक उपज और बेहतर आर्थिक लाभ प्राप्त हो सकेगा.