Pine Tree Flower: उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में बड़ी संख्या में पाए जाने वाले चीड़ के पेड़ (Pine Tree) अब केवल लकड़ी के लिए नहीं बल्कि अपने फूलों और बीजों के लिए भी चर्चा में हैं. चीड़ का वानस्पतिक नाम Pinus roxburghii Sargent है और इसे अंग्रेजी में Chir Pine या Emodi Pine भी कहा जाता है. जहां पहले लोग इन पेड़ों को सिर्फ ईंधन और फर्नीचर की लकड़ी के रूप में इस्तेमाल करते थे, वहीं अब चीड़ के फूलों से कमाई का एक नया रास्ता खुल गया है. आइए कृषि जागरण के इस आर्टिकल में जानें चीड़ के फूल कैसे कमाई का साधन बन रहे हैं?
अब कमाई का साधन बने चीड़ के फूल
उत्तराखंड के कुमाऊं और गढ़वाल क्षेत्रों में चीड़ के पेड़ों के फूलों को कुमाऊनी भाषा में "ठिठ" कहा जाता है. इन फूलों का इस्तेमाल शिल्पकला में किया जा रहा है. स्थानीय कारीगर इन फूलों से शोपीस, सजावटी सामान और खिलौने बनाकर बेचते हैं, जिससे उन्हें अच्छी-खासी आय हो रही है.
ड्राई फ्रूट के रूप में भी खाए जाते हैं चीड़ के बीज
चीड़ के फूलों से निकलने वाले बीज (Pine Nuts) को सूखे मेवे के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है. इनमें प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है, जो इन्हें सेहत के लिए लाभकारी बनाता है. यही कारण है कि मार्केट में इसकी भारी डिमांड है.
बनता है पाइन सीड ऑयल
चीड़ के बीजों से निकलने वाला पाइन सीड ऑयल भी काफी मूल्यवान है. यह तेल त्वचा की देखभाल, बालों की मजबूती और औषधीय उपयोगों में काम आता है. कई हर्बल उत्पाद बनाने वाली कंपनियां इस तेल की खरीदारी कर रही हैं.
औषधीय उपयोग भी जबरदस्त
चीड़ का पेड़ सिर्फ फूलों और बीजों के लिए नहीं, बल्कि इसकी लकड़ी, गोंद और तेल भी दवा बनाने में उपयोग किए जाते हैं. इससे सर्दी-जुकाम, त्वचा रोग और मांसपेशियों के दर्द की दवाएं तैयार की जाती हैं. यह पूरी तरह प्राकृतिक और जैविक औषधि के रूप में काम आता है.
पेड़ की खासियत
चीड़ के पेड़ की लंबाई लगभग 30 से 35 मीटर तक होती है. इसका तना गहरे भूरे रंग का और खुरदुरी बनावट वाला होता है. यह ऊंचे पहाड़ी इलाकों में खूब फलता-फूलता है और इससे निकले प्राकृतिक उत्पाद पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद हैं.
रीप परियोजना से बढ़ रही ग्रामीण आजीविका
उत्तराखंड सरकार की रीप परियोजना (Rural Enterprise Acceleration Project) के अंतर्गत पौड़ी गढ़वाल के सतपुली-बिलखेत क्षेत्र में ज्योति आजीविका स्वयं सहायता समूह को चीड़ उत्पादों के निर्माण के लिए 22 लाख रुपये की वित्तीय सहायता दी गई है. इस यूनिट के माध्यम से स्थानीय महिलाओं और युवाओं को रोजगार के अवसर मिल रहे हैं.
पर्यावरण संरक्षण में भी सहायक
चीड़ के फूलों और बीजों का व्यावसायिक उपयोग केवल आय का स्रोत ही नहीं, बल्कि पर्यावरण संतुलन बनाए रखने में भी मददगार है. पेड़ों को काटे बिना इन फूलों और बीजों का संग्रह कर उन्हें उपयोग में लाया जाता है, जिससे वनों की कटाई नहीं होती और हरियाली बनी रहती है.