Improved Mango Varieties: भारत में आम को 'फलों का राजा' कहा जाता है. इसकी मिठास, स्वाद और सुगंध के कारण आम न केवल घरेलू बाजारों में बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी बड़ी मांग में है. समय के साथ वैज्ञानिकों ने आम की कई उन्नत किस्मों का विकास किया है, जो अधिक पैदावार, कम रोग लगने और बेहतर स्वाद के लिए जानी जाती हैं. किसान आम की इन किस्मों की खेती करके कम समय में अधिक मुनाफा कमा रहे हैं. अगर आप भी आम की खेती करना चाहते हैं, तो इन उन्नत किस्मों का चयन कर सकते हैं.
आइए कृषि जागरण के इस आर्टिकल में जानें आम की 5 उन्नत किस्मों (5 Improved Varieties Of Mango) के बारे में.
1. पूसा प्रतिभा (Pusa Pratibha)
पूसा प्रतिभा किस्म को 2012 में विमोचित किया गया था. यह किस्म उत्तर और मध्य भारत के मैदानी इलाकों में तथा पूरे देश में सफलतापूर्वक उगाई जा सकती है.
विशेषताएं:
- औसत उपज 13-15 टन प्रति हेक्टेयर.
- यह नियमित फलन देने वाली, माध्यम ओजस्वी किस्म है.
- कम दूरी (6 मीटर × 6 मीटर) पर रोपाई के लिए उपयुक्त.
- फल आकर्षक उज्जवल लाल छिलके वाले और नारंगी गूदे वाले होते हैं.
- सुनहरी पीली पृष्ठभूमि पर लाल रंग का छिलका खरीदारों को अत्यधिक आकर्षित करता है.
- फलों का औसत वजन 181 ग्राम तथा गूदे की मात्रा 71.1% होती है.
- फलों में घुलनशील ठोस पदार्थ (19.60 ब्रिक्स), विटामिन C (9 मिलीग्राम/100 ग्राम गूदा) और बीटा-कैरोटीन (11474 माइक्रोग्राम/100 ग्राम गूदा) पाया जाता है.
- फल सुरुचिपूर्ण सुगंध वाले होते हैं और सामान्य तापमान पर 7 से 8 दिन तक ताजा बने रहते हैं.
- यह किस्म अंतरराष्ट्रीय बाजार हेतु भी अत्यंत उपयुक्त मानी जाती है.
2. पूसा श्रेष्ठ (Pusa Shresth)
पूसा श्रेष्ठ किस्म 2012 में विमोचित की गई थी और यह भी उत्तर एवं मध्य भारत के मैदानी क्षेत्रों सहित पूरे भारत में उगाई जा सकती है.
विशेषताएं:
- औसत उपज 12-16 टन प्रति हेक्टेयर.
- यह नियमित फलन वाली, आकर्षक लंबी आकार की किस्म है.
- फल लाल छिलके और नारंगी गूदे वाले होते हैं.
- पौधे मध्यम आकार के होते हैं और कम दूरी (6 मीटर × 6 मीटर) पर रोपाई के लिए उपयुक्त हैं.
- फलों का औसत वजन 228 ग्राम और गूदे की मात्रा 71.9% होती है.
- फलों में घुलनशील ठोस पदार्थ (20.30 ब्रिक्स), विटामिन C (3 मिलीग्राम/100 ग्राम गूदा) और बीटा-कैरोटीन (10964 माइक्रोग्राम/100 ग्राम गूदा) पाया जाता है.
- फल सुरुचिपूर्ण सुगंध वाले होते हैं और सामान्य तापमान पर 7 से 8 दिन तक अच्छी स्थिति में रह सकते हैं.
- यह किस्म घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों बाजारों के लिए उपयुक्त मानी जाती है.
3. पूसा पीतांबर (Pusa Peetambar)
पूसा पीतांबर किस्म को वर्ष 2012 में विमोचित किया गया था. यह किस्म उत्तर और मध्य भारत के मैदानी क्षेत्रों में तथा पूरे देश में सफलतापूर्वक उगाई जा सकती है.
विशेषताएं:
- इसकी औसत उपज 12-16 टन प्रति हेक्टेयर तक होती है.
- यह नियमित फलन देने वाली, मध्यम ओजस्वी किस्म है, जो कम दूरी पर रोपाई (6 मीटर × 6 मीटर या 278 पौधे प्रति हेक्टेयर) के लिए उपयुक्त है.
- इसके फल गोल-लंबे, उज्ज्वल पीले रंग के होते हैं, जिनका औसत वजन 213 ग्राम होता है.
- फलों का छिलका आकर्षक पीला होता है तथा गूदा अधिक रसदार (6%) होता है.
- इस किस्म के फलों में मध्यम मात्रा में घुलनशील ठोस पदार्थ (80 ब्रिक्स), विटामिन C (39.8 मिलीग्राम प्रति 100 ग्राम गूदा) और बीटा-कैरोटीन (11737 माइक्रोग्राम प्रति 100 ग्राम गूदा) पाया जाता है.
- फल सुरुचिपूर्ण सुगंध वाले होते हैं और सामान्य तापमान पर 5 से 6 दिन तक ताजा बने रहते हैं.
- यह किस्म घरेलू एवं अंतर्राष्ट्रीय बाजार दोनों के लिए उपयुक्त मानी जाती है.
4. पूसा लालिमा (Pusa Lalima)
पूसा लालिमा किस्म को वर्ष 2012 में विकसित किया गया था. यह किस्म उत्तर और मध्य भारत के मैदानी इलाकों सहित पूरे भारत में उगाई जा सकती है.
विशेषताएं:
- इसकी औसत उपज 12 से 15 टन प्रति हेक्टेयर होती है.
- यह नियमित फलन देने वाली, मध्यम ओजस्वी किस्म है, जो कम दूरी पर रोपाई (6 मीटर × 6 मीटर) के लिए उपयुक्त है.
- इसके फल आकर्षक, उज्ज्वल लाल-नारंगी छिलके वाले तथा नारंगी गूदे वाले होते हैं.
- फलों का औसत वजन 209 ग्राम होता है और गूदे की मात्रा 1% तक होती है.
- इस किस्म में घुलनशील ठोस पदार्थ (70 ब्रिक्स), विटामिन C (34.7 मिलीग्राम प्रति 100 ग्राम गूदा) और बीटा-कैरोटीन (13028 माइक्रोग्राम प्रति 100 ग्राम गूदा) अच्छी मात्रा में पाया जाता है.
- इसके फल सुगंधित होते हैं और सामान्य तापमान पर 5 से 6 दिन तक ताजा रह सकते हैं.
- यह किस्म भी घरेलू और निर्यात बाज़ार के लिए उपयुक्त है.
5. पूसा मनोहरि (Pusa Manohari)
पूसा मनोहरि किस्म का विमोचन वर्ष 2021 में किया गया था. यह किस्म उत्तर और मध्य भारत के मैदानी क्षेत्रों में उगाने के लिए अनुशंसित है.
विशेषताएं:
- इसकी औसत उपज 15 से 17 टन प्रति हेक्टेयर होती है.
- यह नियमित फलन देने वाली, मध्यम ओजस्वी किस्म है जो कम दूरी पर रोपाई (6 मीटर × 6 मीटर या 278 पौधे प्रति हेक्टेयर) के लिए उपयुक्त है.
- इसके फल मध्यम आकार (223 ग्राम) के होते हैं, जिनका छिलका हरा-पीला और कंधे पर हल्का गुलाबी रंग लिए होता है, तथा गूदा लाल-नारंगी रंग का होता है.
- इस किस्म में घुलनशील ठोस पदार्थ (38 ब्रिक्स), विटामिन C (39.78 मिलीग्राम प्रति 100 ग्राम गूदा) और बीटा-कैरोटीन (9.73 मिलीग्राम प्रति किलोग्राम गूदा) की अच्छी मात्रा होती है.
- औसत उपज 1 टन प्रति हेक्टेयर तक प्राप्त होती है.
- इसकी फलों में अच्छी सुगंध होती है और यह किस्म विशेष रूप से निर्यात के लिए उपयुक्त मानी जाती है.