भांग को सामान्य तौर पर नशीला पदार्थ माना जाता है, लेकिन क्या आप जानते यह औषधीय गुणों से भी भरपूर है. चिकित्सीय अद्ध्यनों से पता लगा है कि भांग पीने और इसके रस के इस्तेमाल से कई सारी बिमारियों से राहत मिलती है. इस विषय में इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिसिन अमेरिका और कमेटी ऑफ़ साइंस एंड टेक्नोलॉजी इंग्लैंड द्वारा किए गए अध्यनों में मरीजों को भांग देने के बाद जो परिणाम सामने आए वो निम्नलिखित है :
भांग के फ़ायदे:
कान का दर्द:
- भांग के 8-10 बूंद रस को कान में डालने से कीड़े मरते हैं और कान की पीड़ा दूर हो जाती है।
- भांग को पीसकर मीठे तेल में अच्छी तरह से पका लें। फिर इसे छानकर कान में डालने से कान का किसी भी प्रकार का दर्द हो दूर हो जाता है।
- भांग के पत्तों के रस में रूई भिगोकर इस रूई को कान में दबाकर लगाने से कान का दर्द ठीक हो जाता है।
योनि का संकोचन :
- भांग को पोटली में डालकर योनि के अंदर 3 से 4 घंटों तक रखने से प्रसूता नारी की योनि काफी टाईट हो जाती है जैसे कन्या की योनि होती है।
- उत्तम क्वालिटी की भांग को पीसकर छान लेते हैं। फिर कपड़े में इसकी पोटली बांधकर योनि में रखते हैं। इससे बढ़ी हुई योनि पहले जैसे हो जाती है।
चक्कर आने से बचाव : 2013 में वर्जीनिया की कॉमनवेल्थ यूनिवर्सिटी के रिसर्चरों ने यह साबित किया कि गांजे में मिलने वाले तत्व एपिलेप्सी अटैक को टाल सकते हैं. यह शोध साइंस पत्रिका में भी छपा. रिपोर्ट के मुताबिक कैनाबिनॉएड्स कंपाउंड इंसान को शांति का अहसास देने वाले मस्तिष्क के हिस्से की कोशिकाओं को जोड़ते हैं.
ग्लूकोमा में राहत : अमेरिका के नेशनल आई इंस्टीट्यूट के मुताबिक भांग ग्लूकोमा के लक्षण खत्म करती है. इस बीमारी में आंख का तारा बड़ा हो जाता है और दृष्टि से जुड़ी तंत्रिकाओं को दबाने लगता है. इससे नजर की समस्या आती है. गांजा ऑप्टिक नर्व से दबाव हटाता है.
अंडकोषों की सूजन :
- पानी में भांग को थोड़ी देर भिगोकर रखते हैं, फिर उस पानी से अंडकोषों को धोने से तथा फोम को अंडकोषों पर बांधने से अंडकोषों की सूजन मिट जाती है।
- भांग के गीले पत्तों की पोटली बनाकर अंडकोषों की सूजन पर बांधना चाहिए और सूखी भांग को पानी में उबालकर बफारा देने से अंडकोषों की सूजन उतर जाती है।
अल्जाइमर से बचाव : अल्जाइमर से जुड़ी पत्रिका में छपे शोध के मुताबिक भांग के पौधे में मिलने वाले टेट्राहाइड्रोकैनाबिनॉल की छोटी खुराक एमिलॉयड के विकास को धीमा करती है. एमिलॉयड मस्तिष्क की कोशिकाओं को मारता है और अल्जाइमर के लिए जिम्मेदार होता है. रिसर्च के दौरान भांग का तेल इस्तेमाल किया गया.
संग्रहणी (पेचिश) :
- 100 ग्राम भांग, 200 ग्राम शुंठी और 400 ग्राम जीरा को अच्छी तरह एक साथ पीसकर और छानकर रख लेते हैं। इस चूर्ण की 80 पुड़िया बना लेते हैं। भोजन से आधा घंटे पहले 1-2 चम्मच दही में मिलाकर चाट लें। यह प्रयोग 40 दिन तक सुबह-शाम करने से पुरानी से पुरानी संग्रहणी नष्ट हो जाती है।
- 2 ग्राम धुली हुई भांग को भूनकर 3 ग्राम शहद के साथ चाटने से संग्रहणी अतिसार के रोगी का रोग दूर हो जाता है।
कीमोथैरेपी में कारगर : कई शोधों में यह साफ हो चुका है कि भांग के सही इस्तेमाल से कीमथोरैपी के साइड इफेक्ट्स जैसे, नाक बहना, उल्टी और भूख न लगना दूर होते हैं. अमेरिका में दवाओं को मंजूरी देने वाली एजेंसी एफडीए ने कई साल पहले ही कीमोथैरेपी ले रहे कैंसर के मरीजों को कैनाबिनॉएड्स वाली दवाएं देने की मंजूरी दे दी है.
प्रतिरोधी तंत्र की बीमारियों से राहत : कभी कभार हमारा प्रतिरोधी तंत्र रोगों से लड़ते हुए स्वस्थ कोशिकाओं को भी मारने लगता है. इससे अंगों में इंफेक्शन फैल जाता है. इसे ऑटोएम्यून बीमारी कहते हैं. 2014 में साउथ कैरोलाइना यूनिवर्सिटी ने यह साबित किया कि भांग में मिलने वाला टीएचसी, संक्रमण फैलाने के लिए जिम्मेदार मॉलिक्यूल का डीएनए बदल देता है. तब से ऑटोएम्यून के मरीजों को भांग की खुराक दी जाती है.
दर्द निवारक : शुगर से पीड़ित ज्यादातर लोगों के हाथ या पैरों की तंत्रिकाएं नुकसान झेलती हैं. इससे बदन के कुछ हिस्से में जलन का अनुभव होता है. कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी की रिसर्च में पता चला कि इससे नर्व डैमेज होने से उठने वाले दर्द में भांग आराम देती है. हालांकि अमेरिका के एफडीए ने शुगर के रोगियों को अभी तक भांग थेरेपी की इजाजत नहीं दी है.
हैपेटाइटिस सी के साइड इफेक्ट से आराम : थकान, नाक बहना, मांसपेशियों में दर्द, भूख न लगना और अवसाद, ये हैपेटाइटिस सी के इलाज में सामने आने वाले साइड इफेक्ट हैं. यूरोपियन जरनल ऑफ गैस्ट्रोलॉजी एंड हेपाटोलॉजी के मुताबिक भांग की मदद से 86 फीसदी मरीज हैपेटाइटिस सी का इलाज पूरा करवा सके. माना गया कि भांग ने साइड इफेक्ट्स को कम किया.
खांसी :
- गांजे को 65 मिलीग्राम की मात्रा में सेवन करने से दमा और खांसी के रोग में आराम मिलता है।
- 4 ग्राम भांग, 8 ग्राम पीपल, 12 ग्राम हरड़ का छिलका, 16 ग्राम बहेड़े का छिलका, 20 ग्राम अडू़सा और 24 ग्राम भारंगी को लेकर बारीक चूर्ण बना लेते हैं। इसके बाद 100 मिलीलीटर बबूल की छाल का काढ़ा बनाकर उसमें इस चूर्ण को मिला लें जब यह ठंडा हो जाए तो चने के आकार के की गोलियां बना लेते हैं। यह 2-2 गोली सुबह और शाम गर्म पानी के साथ सेवन करने से खांसी दूर हो जाती है।
दमा :
- 125 मिलीग्राम सेंकी हुई भांग को 2 ग्राम कालीमिर्च और 2 ग्राम मिश्री में मिलाकर सेवन करने से दमा का रोग कम हो जाता है।
- भांग का धुंआ पीने से दमा के रोग में लाभ मिलता है।
- लगभग 120 मिलीग्राम भांग को घी में भून लेते हैं। भांग को कालीमिर्च और मिश्री मिलाकर पीस लेते हैं। यह चूर्ण खाने से दमा और धनुस्तम्भ रोग दूर हो जाता है।
हानिकारक : भांग का अधिक मात्रा में सेवन करने से शरीर में नशा चढ़ता है। जिसकी वजह से शरीर मे कमजोरी आती है, यह पुरुष को नपुंसक, चरित्रहीन और विचारहीन बनाता है। अत: इसका उपयोग सेक्स उत्तेजना या नशे के लिए नहीं करना चाहिए। गर्भवती महिलाओं को इस का सेवन नहीं करना चाहिए.