अब ग्रामीण युवाओं में मशरूम की खेती करने का रूझान तेजी से देखा जा रहा है. उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में साल 2009-10 में जहां लगभग 30 से 35 क्विंटल मशरूम का उत्पादन होता था अब वही इसका आंकड़ा पहुंच कर 400 टन हो गया है.
गौरतलब हैं कि किसान अगर चाहे तो एक साल में मशरूम की तीन प्रकार की फसलें ले सकता है.मंडी में मशरूम के तीनों प्रजातियों का भाव औसतन 60 से 100 रुपये प्रति किलो बीच तक रहता है. उन्होंने कहा कि यदि 100 किलो कंपोस्ट में मशरूम की खेती की जाती है तो सफेद बटन का औसत उत्पादन 30 से 35 क्विंटल, मिल्की मशरूम का 45 से 55 क्विंटल और इसके आलवा ढिंगरी मशरूम की औसत उपज 55 से 60 क्विंटल बीच तक हो जाती है जबकि बाज़ारों में मशरूम का औसत भाव 60 से 90 रुपये प्रति किलो तक रहता है.
इसमें सबसे अहम बात यह है कि जिस कंपोस्ट में मशरूम की खेती होती है बाद में उसे खेत में डाला जा सकता है, जिससे मिट्टी में कार्बेनिक मात्रा बढ़ जाती है. जिले के किसान दिल्ली, देहरादून, चंडीगढ़, गुड़गांव, नोएडा तक सप्लाई कर रहे है.
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मशरूम के खेती के मुनाफ़े (Mushroom farming profits)
यह स्वरोजगार का अच्छा साधन है. कम स्थान में इसका अच्छा उत्पादन कर सकते है इसमें लागत भी कम लगती है. खेती करने के बाद इसके अपशिष्ट को कम्पोस्ट खाद के रूप में प्रयोग कर सकते है. इसमे सबसे अहम बात है यह है की इसमे लगभग सभी पोषक तत्व प्रचुर मात्रा पाई जाती है.