आजकल लोग आर्गेनिक गार्डन के ज़रिये घर पर ही सब्जियां व फल उगा रहे हैं. अगर आप भी आर्गेनिक गार्डेनिंग करते हैं या करना चाह रहे हैं तो यह आर्टिकल आपके लिए है. किचन गार्डन के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है अच्छी व उपजाऊ मिट्टी. इस लेख में हम आपको गार्डनिंग के लिए उपयुक्त मिट्टी की तैयारी की जानकारी देंगे. किचन गार्डन बनाने से पहले अच्छी मिट्टी का चुनाव करें. मिट्टी का चुनाव करते वक्त इन बातों का ध्यान रखें.
गार्डन के लिए उपयुक्त मिट्टी-
किचन गार्डन के लिए मिट्टी ड्रेनेज वाली होनी चाहिए, जिसमें पानी न रुके. मिट्टी भुरभुरी होनी चाहिए, ताकि पौधों की जड़ों तक ऑक्सीजन आसानी से पहुंच सके. गार्डन के लिए बहुत ज्यादा हैवी क्ले वाली चिकनी मिट्टी का उपयोग न करे, मिट्टी बलुई भी नहीं होनी चाहिए. गार्डनिंग के लिए सबसे अच्छी नम मिट्टी होती है. जिसमें सभी पोषक तत्व मौजूद होते हैं. गार्डन के लिए सबसे अच्छी रेतीली दोमट मिट्टी होती है. जिसमें चिकनी मिट्टी, रेत और गाद की बराबर मात्रा पाई जाती है. अगर ऐसी मिट्टी उपलब्ध न हो सके तो आप घर पर ही आर्गेनिक मिट्टी बना सकते हैं. आप मिट्टी में रेत, कोकोपीट, पुरानी गोबर की खाद, बोनमील, मस्टर्ड केक मिलाकर इसे उपजाऊ बना सकते हैं.
ऐसे करें मिट्टी की जांच-
किचन गार्डन के लिए मिट्टी का चुनाव करते वक्त इन स्टेप्स को फॉलो करें. मिट्टी को हाथ में उठाएं, अगर मिट्टी को निचोड़ने पर वह सख्त बॉल बन जाती है और हाथ से दबाने पर बिखरती नहीं है, तो ये क्ले मिट्टी है, यह पौधे के लिए अच्छी नहीं होती. अगर मिट्टी निचोड़ने पर बॉल नहीं बनती और मिट्टी बिखर जाती है, तो यह भी पौधों के विकास के लिए अच्छी नहीं होती. ज्यादा भुरभुरी, बलुई मिट्टी से पौधों को पोषण नहीं मिल पाता. अगर मिट्टी को निचोड़ने पर बॉल बन जाता है और दबाने पर टूट जाता है तो ऐसी मिट्टी सबसे अच्छी होती है. इस मिट्टी में पौधे उगाने से पौधों का सही विकास होता है.
सही पीएच वाली मिट्टी का करें चुनाव- पौधों में पोषक तत्वों की उपलब्धता मिट्टी के पीएच से प्रभावित होती है. सब्जियों व फलों के उत्पादन के लिए 6.5 से 7.5 पीएच मान वाली मिट्टी सबसे अच्छी होती है. पीएच की यह सीमा पौधों की जड़ों के विकास के लिए अनुकूल होती है. आप स्थानीय मृदा परीक्षण केंद्र में जाकर पीएच वैल्यू पता कर सकते हैं या ऑनलाइन पीएच मीटर भी खरीद सकते हैं.
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ऐसे तैयार करें मिट्टी-
ज्यादा चिकनी मिट्टी होने पर पौधों की जड़े विकसित नहीं हो पाती, मिट्टी में पानी का जमाव होता है. इसके लिए मिट्टी में जिप्सम यानि कैल्शियम सल्फेट डिहाइड्रेट का प्रयोग करें. यदि मिट्टी बलुई है तो इसमें कम्पोस्ट खाद डालकर उपजाऊ बना सकते हैं. बलुई मिट्टी से पौधों की जड़े सही पकड़ नहीं बना पाती और पौधों का विकास रुक जाता है. इस समस्या से निपटने के लिए बलुई मिट्टी में गोबर की सड़ी खाद या वर्मी कंपोस्ट मिलाएं. गार्डन की मिट्टी में नाइट्रोजन युक्त उर्वरक मिलाएं. मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ाने के लिए अलसी खली पाउडर, वर्मीकम्पोस्ट या नीम केक पाउडर मिला सकते हैं. मिट्टी में हल्की रेत भी मिला लें. आप चाहें तो गार्डनिंग मिट्टी ऑनलाइन भी मंगा सकते हैं.