Lychee ke Paudhe: वर्तमान समय में फलदार वृक्षों में खासकर लीची के पौधों/Litchi Plants को इस मौसम में विशेष देखभाल की आवश्यकता है. लीची में लगने वाले प्रमुख कीटों का प्रबंधन के लिए किसानों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है, लेकिन फिर भी उन्हें इसे मुक्ति नहीं मिलती है. ऐसे में बिहार सरकार कृषि विभाग सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के द्वारा लीची के किसानों के लिए जरूरी सलाह जारी की गई है. ताकि वह समय रहते लीची की फसल/Litchi Crop से अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकें.
बता दें कि लीची के पौधे को किसान अप्रैल-मई के माह में 10X10 मीटर की दूरी पर 1 X 1 X 1 आकार के गड्ढे में लगाना उचित रहेगा. लेकिन इस दौरान किसानों को इसके पौधों की देखभाल करना भी आवश्यक है. ऐसे में किसान बिहार सरकार कृषि विभाग के द्वारा जारी की गई सलाह के अनुसार, फलदार वृक्ष लीची की देखभाल करें.
फलदार वृक्ष लीची की ऐसे करें देखभाल/ How to Take Care of Fruit Tree Litchi
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लीची स्टिंक बग - इस कीट के नवजात और वयस्क दोनों ही पौधों के ज्यादातर कोमल हिस्सों जैसे कि बढ़ती कलियों, पत्तियों, पत्ती वृत, पुष्पक्रम, विकसित होते फल, फलों के डंठल और लीची के पेड़ की कोमल शाखाओं से रस चूसकर फसल को प्रभावित करते हैं. रस चूसने के परिणामस्वरूप फूल और फल काले होकर गिर जाते है. इस कीट का प्रभाव विगत वर्षों में पूर्वी चम्पारण के कुछ प्रखंडों में देखा जा रहा है. कीटनाशक छिड़काव का कीट पर त्वरित 'नॉक डाउन' प्रभाव होता है (अर्थात् शीघ्र मर जाते हैं) तथापि अगर कुछ कीट बाग के एक भी पेड़ पर बच गये, तो ये बचे कीट अपनी आबादी जल्दी ही उस स्तर तक बढ़ा लेने में सक्षम होते हैं, जो पूरे बाग को संक्रमित करने के लिए पर्याप्त होता है.
कीट के प्रबंधन
राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केन्द्र, मुजफ्फरपुर द्वारा अनुशंसित निम्नलिखित में से किसी भी कीटनाशक संयोजन का दो छिड़काव 15 दिनों के अंतराल पर करें. लेकिन ध्यान रहे कि फूल खिलने (परागण) के समय कीटनाशक का व्यवहार नहीं करें.
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थियाक्लोप्रिड 21.7% एससी (0.5 मिली / ली०) + लैम्बडा साइहैलोथ्रिन 5% ईसी (1.0 मिली/ली०)
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थियाक्लोप्रिड 21.7% एससी (0.5 मिली / ली०) + फिप्रोनिल 5% एससी (1.5 मिली / ली०) (ग) डाइमेथोएट 30% एससी (1.5 मिली / ली०) + लैम्ब्डा साइहैलोथ्रिन 5% ईसी (1.0 मिली/ली०)
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डाइमेथोएट 30% एससी (1.5 मिली/ली०) + साइपरमेथ्रिन 10% ईसी (1.0 मिली/ली०)
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लीची में लगने वाले दहिया कीट (Mealybug) - इस कीट के शिशु एवं मादा लीची के पौधों की कोशिकाओं का रस चूस लेते हैं, जिसके कारण मुलायम तने और मंजर सूख जाते हैं तथा फल गिर जाते हैं.
कीट के प्रबंधन
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बाग की मिट्टी की निराई-गुड़ाई करने से इस कीट के अंडे नष्ट हो जाते हैं.
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पौधे के मुख्य तने के नीचे वाले भाग में 30 से०मी० चौड़ी अल्काथीन या प्लास्टिक की पट्टी लपेट देने एवं उस पर कोई चिकना पदार्थ ग्रीस आदि लगा देने से इस कीट के शिशु पेड़ पर चढ़ नहीं पाते हैं.
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जड़ से 3 से 4 फीट तक धड़ भाग को चूना से पिटाई करने पर भी इस कीट के नुकसान से बचाया जा सकता है.
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इमिडाक्लोप्रिड 17.8 प्रतिशत एस0 एल0 का 1 मि0 ली0 प्रति 3 लीटर पानी या थायोमेथाक्साम 25% WG@ 1ग्राम / 5 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए.
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लीची माईट- इस कीट का वयस्क एवं शिशु पत्तियों के निचले भाग पर रहकर रस चूसते हैं, जिसके कारण पत्तियों भूरे रंग के मखमल की तरह हो जाती है तथा अन्त में सिकुड़कर सूख जाती है. इसे "इरिनियम" के नाम से जाना जाता है.
इस कीट के प्रबंधन
इस कीट से ग्रस्त पत्तियों और टहनियों को काटकर जला देना चाहिए. इसके अलावा इस कीट का आक्रमण नजर आने पर सल्फर 80 प्रतिशत घु० चू० का 3 ग्राम या डाइकोफॉल 18.5 प्रतिशत ई०सी० का 3 मि० ली० या इथियान 50 प्रतिशत ई०सी० का 2 मि० ली० या प्रोपरजाईट 57 प्रतिशत ई०सी० का 2 मि0 ली0 प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए.
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लीची का फल एवं बीज छेदक- कीट के पिल्लू नये फलों में घुसकर उसे खाते हैं, जिसके कारण प्रभावित फल गिर जाते हैं. फलों की तुड़ाई विलम्ब से करने या वातावरण में अधिक नमी के कारण पिल्लू फल के डंठल के पास छेदकर फल के बीज एवं गुद्दे को खाते हैं. उपज का बाजार मूल्य कीट ग्रसित होने के कारण कम हो जाता है.
प्रबंधन
बाग की नियमित साफ-सफाई करनी चाहिए. वहीं, किसान को डेल्टामेथ्रिन 2.8% ई०सी० का 1 मि0ली0 / लीटर पानी या साइपरमेथ्रिन 10% ई०सी० का 1 मि0ली0 / लीटर पानी या नोवालुरॉन 10% ई0सी0 का 1.5 मि० ली० / लीटर पानी के घोल बनाकर फलन की अवस्था पर छिड़काव करना चाहिए.