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Updated on: 27 May, 2020 12:00 AM IST

जून से सितंबर तक का महीना लोकाट की बिजाई के लिए सबसे उपयुक्त माना गया है. यह एक सदाबहार वृक्ष है जो कि 5-6 मीटर तक लम्बा हो सकता है. भारत में लोकाट की खेती के लिए दिल्ली, पंजाब और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्य प्रसिद्ध हैं. हालांकि इसकी खेती महाराष्ट्र, आसाम, और उत्तर प्रदेशों आदि राज्यों में भी बड़े स्तर पर की जाती है.

मांग

लोकाट की मांग कई कारणों से बाजार में वर्ष भर बनी रहती है. इसको स्वास्थ्य के लिए अति लाभकारी माना गया है. त्वचा के लिए बनने वाले उत्पादों में अधिकतर इसका उपयोग होता ही है. इसके अलावा आंखों की नज़र, भार को कम करने एवं ब्लड प्रैशर को नियंत्रित करने के लिए इसका उपयोग होता है. यह दांतों और हड्डियों के लिए भी फायदेमंह है.

मिट्टी

लोकाट की खेती के लिए रेतली दोमट मिट्टी का होना सबसे अधिक फायदेमंद है. इसमें जैविक तत्व उच्च मात्रा में होते हैं, जो इस वृक्ष के विकास में सहायक हैं.

खेती की तैयारी

इसकी खेती के लिए सबसे पहले खेतों की जतोई करते हुए उन्हें समतल बना दें. मिट्टी के भुरभुरा होने तक 2-3 गहरी जोताई करना सही है.

बिजाई

जून से सितबंर के महीनों के बीज पौधे से पौधों की दूरी 6-7 मीटर रखते हुए बिजाई करें. बीजों को 1 मीटर की गहराई में रोपाना सही है. बिजाई के लिए प्रजनन विधि का प्रयोग सबसे अधिक फायदेमंद है.

सिंचाई

जरूरत को देखते हुए आप इसकी सिंचाई कर सकते हैं. बरसात के मौसम में इसको अधिक सिंचाई की जरूरत नहीं होती. तुड़ाई के वक्त 3 से 4 सिंचाई करें.

तुड़ाई

रोपाई के तीसरे वर्ष बाद फल आने शुरू हो जाते हैं. फलों के पूरी तरह पकने पर तीखे यंत्र से तुड़ाई करना बेहतर है. तुड़ाई के बाद छंटाई करें.

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English Summary: loquat farming is good for farmers know more loquat cultivation
Published on: 27 May 2020, 07:04 IST

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