भारत में सेब की खेती देश के कई प्रांतों में होती है. कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तरा खंड की बर्फीली वादियों में इसकी खेती की जाती है. इन प्रांतों में सेब की कई उन्नत किस्मों की खेती होती है, जिनकी विदेशों में भी मांग रहती है. कहा जाता है कि यदि अनुकूल मौसम मिले तो सेब की खेती कहीं भी की जा सकती है. यही वजह है कि अब सेब की खेती के प्रति देश के मैदानी क्षेत्रों के किसानों का रूझान बढ़ा है. उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में सेब की खेती हो रही है. गोरखपुर के शबला सेवा संस्थान के संस्थापक अविनाश कुमार सेब की सफल खेती कर रहे हैं. पांच साल पहले उन्होंने सेब के पौधे लगभग तीन एकड़ में लगाए थे. जिससे अच्छा मुनाफा मिल रहा है. तो आइए जानते हैं उनसे मैदानी क्षेत्र में सेब की खेती करने का तरीका-
सेब की खेती के लिए जलवायु (Climate for Apple Cultivation):
अविनाश कुमार का कहना है कि देश के पर्वतीय क्षेत्रों में सेब की खेती शीतोष्ण जलवायु में होती है. यहां के ठंडे क्षेत्रों में इसकी खेती होती है जहां का तापमान 7 डिग्री सेंटीग्रेड का होता है. लेकिन मैदानी क्षेत्र में इसकी खेती 40 से 60 डिग्री सेंटीग्रेडके तापमान में भी हो सकती है.
सेब की खेती के लिए पौधे की तैयारी (Plant Preparation for Apple Cultivation):
सेब की खेती के प्रति उत्तर प्रदेश के किसानों का भी काफी रुझान बढ़ा है. लोग सेब की खेती के प्रति काफी सजग है. अविनाश कुमार का कहना है कि हम क्षेत्र के किसानों को यहीं पौधे उपलब्ध करा रहे हैं. इसके लिए हम नर्सरी में कलम विधि से सेब के पौधे तैयार करते हैं. एक पौधे की कीमत 90 रूपए तक पड़ती है.
सेब के पौधे की बुवाई का समय (Sowing time of Apple Plant)
सेब की बुवाई का उचित समय जनवरी से मार्च का महीना होता है. बरसात में भी सेब के पौधों की रोपाई की जा सकती है लेकिन खेत में जलभराव नहीं होना चाहिए. यदि खेत में जलभराव रहेगा तो पौधों के ख़राब होने की सम्भावना बढ़ जाती है. इसलिए बारिश में बुवाई कर रहे हैं तो बागवानी के लिए ऐसे खेत का चयन करें जिसमें बारिश के पानी की आसानी से निकासी हो सकें.
सेब की खेती के उपयुक्त मिट्टी (Appropriate Soil for Apple Cultivation):
देश के मैदानी क्षेत्रों की दोमट मिट्टी सेब की खेती के लिए उपयुक्त है. वहीं यहां की शुष्क जलवायु में भी इसकी खेती आसानी से की जा सकती है.
सेब की उन्नत किस्में (Advanced Varieties of Apple):
एक अनुमान के मुताबिक दुनियाभर में सेब की 7500 से अधिक किस्में पाई जाती हैं. लेकिन देश के मैदानी क्षेत्रों के लिए सेब की एच 9 और अन्ना किस्में उपयुक्त है.
सेब के पौधे की बुवाई का तरीका (Method of Sowing of Apple Plant):
प्रति एकड़ में सेब के तकरीबन 180 पौधे लगाए जाते हैं. कतार से कतार की दूरी 20 फीट और पौधे से पौधे की दूरी 20 फीट होती है. पौधों की रोपाई के दौरान गड्डे में गोबर खाद, ट्राइकोडर्मा और कुछ आर्गेनिक फर्टिलाइजर भी डाला जाता है. इसके बाद गड्डे को मिट्टी से भरकर अच्छी तरह दबा दिया जाता है.
सेब की फसल का उत्पादन (Apple Crop Production):
सेब के पेड़ तीन साल बाद फल देने लगते हैं. एक एकड़ से लगभग 13 से 14 क्विंटल का उत्पादन होता है. वहीं प्रति पौधे से 8 से 10 किलो सेब निकलते हैं. इसके बाद साल-दर-साल पैदावार बढ़ती जाती है.
सेब की खेती से मुनाफा (Profits from Apple Cultivation):
अविनाश का कहना है कि एक एकड़ में सेब की बुवाई के लिए करीब 50 हजार रूपए का खर्च आता है. जहां प्रति पौधे की कास्ट 90 रूपए पड़ती है. इस तरह 16200 रूपए पौधे के लिए खर्च करने पड़ते हैं. इसके अलावा आवारा पशुओं से पौधों को बचाने के लिए तार की घेराबंदी की जाती है. वहीं अन्य खर्च जैसे जैविक उर्वरकों का. पहले साल एक एकड़ से 72 हजार रूपए का शुद्ध मुनाफा होता है. वहीं इसके बाद लागत घटती जाती है और मुनाफा बढ़ता जाता है. इस तरह सेब के पौधों की एक बार बुवाई के सालाना लाखों रूपये की कमाई की जा सकती है.
अधिक जानकारीऔर पौधों के लिए यहां संपर्क करें :
नाम : अविनाश कुमार
पता: शबला सेवा संस्थान, गोरखपुर, उत्तर प्रदेश
प्रोफेशन: किसान
मोबाइल नंबर: 94305-02802