सुजात बकरी निसंदेह पशुपालकों के लिए फायदेमंद है. इसका मूल निवास सोजात, पीपर और जोधपुर का क्षेत्र माना जाता है. आम तौर पर इसका रंग सफेद ही होता है. इस नसल की बकरी प्रतिदिन 1.0-1.5 किलो दूध दे सकती है, जबकि एक ब्यांत से पशुपालकों को 175 किलो दूध की प्राप्ती हो सकती है. चलिए आपको बताते हैं कि इसके पालन में किन बातों का खास ख्याल रखा जाना चाहिए.
ब्यांत वाले कमरे की करें सफाई
ब्याने के बाद बकरियों की खास देख-रेख करनी चाहिए. ब्यांत वाले कमरे को साफ कर देना चाहिए. बकरी का पिछला हिस्सा नीम के पानी से साफ करना चाहिए. ब्याने के बाद बकरी को गर्म पानी में शीरा या शक्कर मिलाकर पिलाना फायदेमंद है.
गाभिन बकरियों की देखभाल
गाभिन बकरियां ही भविष्य की पूंजी है, इसलिए इनकी विशेष देखभाल जरूरी है. दूध निकालने का काम इनको बयाने से 6-8 सप्ताह पहले ही बंद कर दें. ब्यांत वाली बकरियों को कम से कम ब्याने से 15 दिन पहले साफ और खुले कमरे में रखना शुरू कर दें.
मेमनों की करें विशेष देखभाल
जन्म के तुरंत बाद मेमनों को खास देखभाल की जरूरत होती है. जन्म के बाद इनके नाक, मुंह, कान आदि को स्वच्छ और सूखे कपड़े से साफ करना चाहिए. बकरी के लेवे को टिंचर आयोडीन से साफ करना चाहिए, जबकि इन्हें जन्म के 30 मिनट के अंदर ही पहली खीस पिलाना चाहिए.
भोजन
इस बकरी के भोजन प्रबंध के लिए आपको अधिक मेहनत की जरूरत नहीं पड़ेगी, जिज्ञासु प्रकृति के होने के कारण ये लगभग सभी तरह के भोजन खा लेती है. इसे कड़वा, मीठा, नमकीन और खट्टा स्वाद पसंद होता है. इसके साथ ही फलीदार भोजन भी इसे प्रिय है.
भोजन के लिए विशेष स्थल
आपको इनके भोजन के लिए विशेष स्थल बनाने की जरूरत पड़ेगी, जिससे इनका भोजन नष्ट न हो. आमतौर पर ये अपने भोजन पर पेशाब कर, उसे खराब कर देते हैं. आप चाहें तो इन्हें सूखा चारा भी खिला सकते हैं. सूखे चारे के रूप में चना, अरहर और मूंगफली इन्हें दे सकते हैं.
(आपको हमारी खबर कैसी लगी? इस बारे में अपनी राय कमेंट बॉक्स में जरूर दें. इसी तरह अगर आप पशुपालन, किसानी, सरकारी योजनाओं आदि के बारे में जानकारी चाहते हैं, तो वो भी बताएं. आपके हर संभव सवाल का जवाब कृषि जागरण देने की कोशिश करेगा)