सोमानी क्रॉस X-35 मूली की खेती से विक्की कुमार को मिली नई पहचान, कम समय और लागत में कर रहें है मोटी कमाई! MFOI 2024: ग्लोबल स्टार फार्मर स्पीकर के रूप में शामिल होगें सऊदी अरब के किसान यूसुफ अल मुतलक, ट्रफल्स की खेती से जुड़ा अनुभव करेंगे साझा! Kinnow Farming: किन्नू की खेती ने स्टिनू जैन को बनाया मालामाल, जानें कैसे कमा रहे हैं भारी मुनाफा! केले में उर्वरकों का प्रयोग करते समय बस इन 6 बातों का रखें ध्यान, मिलेगी ज्यादा उपज! भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Mahindra Bolero: कृषि, पोल्ट्री और डेयरी के लिए बेहतरीन पिकअप, जानें फीचर्स और कीमत! Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक घर पर प्याज उगाने के लिए अपनाएं ये आसान तरीके, कुछ ही दिन में मिलेगी उपज!
Updated on: 14 January, 2021 12:00 AM IST

मवेशी पशुओं में होने वाली सबसे आम लेकिन गंभीर बीमारियों में से एक है उनके पेट में कीड़े होना. आमतौर पर इस तरफ किसी का ध्यान नहीं जाता और अगर जाता भी है, तो दवा-दारू की जद्दोजहद करना कोई पसंद नहीं करता. पशुओं के पेट में अगर कीड़े हो गए तो धीरे-धीरे उनका स्वास्थ्य बिगड़ता ही जाता है और बाद में जाकर बड़े इलाज की जरूरत पड़ती है.

पशुपालकों को होती है बड़ी हानि

अब बड़े उपचार में दो तरह की हानि किसान को होती है, पहली तो आर्थिक हानि और दूसरी पशुओं की सेहत खराब होने की हानि. उपचार होने के बाद भी पशु पहले की तरह तंदुरुस्त नहीं रहता और दूध देने की क्षमता उसकी कम हो जाती है.

हर तीन महीनें में हो एक बार जांच

विशेषज्ञों का कहना है कि पशुपालकों को इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि अगर पशु की हालत सही भी लग रही है तो भी हर तीन महीने में एक बार उसके पेट की जांच हो. इस बीमारी का उपचार जरूरी है, क्योंकि आप कितना ही अच्छा खाना उन्हें खिलाएं, अगर पेट में कीड़े हैं, तो अन्न का 42 प्रतिशत तक का हिस्सा वही खा जाते हैं.

इन कीड़ों से है सबसे अधकि खतरा

पशुओं के पेट में होने वाले कीड़े बहुत तरह के हैं. इनको लेकर हजारों तरह की रिसर्च चल रही है. लेकिन अभी तक के शोधों से मालूम हुआ है कि कुछ कीड़ें, जैसे- फीता कृमि, गोलकृमि, परंकृमि आदि इनकी सेहत को बहुत खतरनाक तरीके से प्रभावित करते हैं. इनके पेट में घर बनाकर न सिर्फ ये इनकी क्षमता और बल को प्रभावित करते हैं, बल्कि अंदर ही अंदर इनका खून पीकर इन्हें बीमार भी बनाते हैं.

इस तरह लगाएं कीड़ों का पता

पेट में कीड़े हैं, इसके लिए उनकी जांच जरूरी है. लेकिन कुछ ऐसे तरीके हैं, जिसके सहारे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि शायद आपका मवेशी किसी बीमारी का शिकार हो चुका है या वो पेट के कीड़ों से परेशान है. अगर आप बकरियों को पाल रहे हैं, तो ध्यान दें कि कहीं उनका वजन अचानक आश्चर्यजनक रूप से तो नहीं बढ़ने लगा है. अगर आप गाय-भैस आदि दुधारू पशु पाल रहे हैं, तो ध्यान दे कि कहीं दूध उत्पादन की क्षमता या दूध के रंग में बदलाव तो नहीं आ रहा है.

इन बातों का रखें विशेष ख्याल

गाय-भैंस के बच्चों के पैदा होने के ठीन 15 दिन बाद एक बार उन्हें पेट के कीड़ें मारने की दवा मिलनी चाहिए. उसके बाद 15 दिन पश्चात फिर यही दवा देनी चाहिए. कहने का अर्थ है सात आठ महीनों के होने तक उन्हें हर माह 15 दिनों के अंतराल पर एक बार ये दवाई मिलनी चाहिए.

दवाई देते समय रखें सावधानी

पशुओं के पेट में कीड़े होने की समस्या पर फेल्बेंडाजोल और कृमिनाशन दवाई आमतौर पर दी जाती है. लेकिन फिर भी हमारी सलाह है कि कोई भी दवाई देने से पहले एक बार डॉक्टर से संपर्क जरूर करें. बहुत बार ऐसा होता है कि पेट के कीड़ों के साथ पशु को अन्य भी किसी तरह की शिकायत होती है, ऐसे में आम दवा भी रिएक्शन के कारण खतरनाक साबित हो सकती है.

English Summary: this is how you can know about the Intestinal Worms Symptoms Stomach Bacteria Treatment in cattle
Published on: 14 January 2021, 04:47 IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now