स्वाद के साथ प्रोटीन के लिए मशहूर मध्य प्रदेश के ‘कड़कनाथ मुर्गे’ को टक्कर देने के लिए अब उत्तराखंड की ‘उत्तरा’ तैयार हो गई है. उत्तरा ‘पंत कृषि विश्वविद्यालय’ द्वारा तैयार की गई राज्य की पहली कुक्कुट( मुर्गी) प्रजाति है जिसे भारत सरकार ने मान्यता दी है. बता दे, कि कड़कनाथ मुर्गे की तरह ही उत्तरा में भी प्रोटीन की अच्छी मात्रा और कोलेस्ट्रॉल लेवल काफी कम है. इस मुर्गे की प्रजाति को बेहद ही कम लागत में पाला जा सकता है और इसको पालने पर किसानों को भी भारी मुनाफ़ा मिल रहा है.
किसानों के लिए लाभदायक (Beneficial to farmers)
देहरादून के ढकरानी में कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉक्टर एके सिंह बताते है कि ‘वर्तमान जलवायु के हिसाब से उत्तरा समेत चार कुक्कुट प्रजाति ऐसी है जिन्हें पालना आसान और लाभदायक है. ये चारो प्रजातियां विशेषकर छोटे, गरीब, भूमिहीन व सीमांत क्षेत्रों के रहने वाले किसानों के लिए काफी लाभदायक है.
पहाड़ी क्षेत्रों के लिए बेहतर नहीं (No better for hilly areas)
डॉक्टर एके सिंह बताते है कि मुर्गीपालन एक तरह का स्थापित व्यवसाय है, लेकिन राज्य में यह अभी तक लाभदायक नहीं बन सका है क्योंकि इसकी वजह मुर्गीपालन में आने वाला खर्च और राज्य का मौसम है. मुर्गी की जितनी भी प्रजातियां है, वे सभी मैदानी क्षेत्रों में तो अच्छे से रह सकती है लेकिन पहाड़ी क्षेत्रों में रहना मुश्किल होता हैं, जिस वजह से पहाड़ी क्षेत्रों में इनको पालने पर अच्छा परिणाम नहीं मिलता है.
दोहरे इस्तेमाल वाली है प्रजाति (Is a dual-use species)
कृषि विश्वविद्यालय ने शोध करके राज्य के मौसम के अनुरूप आरआईआर, आस्ट्रोआफ, कड़कनाथ और उत्तरा की चार प्रजातियों को बेहतर पाया है. ये प्रजातियां राज्य के मौसम के अनुकूल अच्छे रूप से रह रही है. सिंह का कहना है कि इनकी अच्छी बात यह है कि ये सभी द्विकाजी यानि कि दोहरे इस्तेमाल की प्रजाति वाली प्रजातियां है.
कम होती है मुर्गी को बीमारी (Hen disease is reduced)
इस प्रजाति की मुर्गी की अच्छी बात यह है कि इन्हें स्थानीय स्तर पर मिलने वाले खाद्य पदार्थ जैसे कि मक्का, ज्वार, बाजारा, गेहूं, चावल, इंगोरा भी चारे के रूप में दिया जाता है. डॉक्टर सिंह बताते है कि इनमें ब्रॉइलर मुर्गी के मुकाबले बीमारियां भी कम ही लगती है.
उत्तरा प्रजाति का मीट बेहतर (Uttara variety of meat is better)
उत्तराखंड की खास प्रजाति उत्तरा में फैट व कोलेस्ट्रॉल मात्रा काफी कम और प्रोटीन लेवल काफी हाई है. कुल मिलाकर सबसे अच्छी बात है कि इस मुर्गी के मीट की क्वालिटी काफी अच्छी है. यह मुर्गी दो -ढाई महीनों में बिक्री के लिए भी तैयार हो जाएगी और इस पर किसानों को 200 रूपये से ज्यादा का फायदा हो जाएगा.