अन्य जानवरों की तरह ही पानी में रहने वाली मछलियों को भी कई तरह की बीमारियां हो सकती है. अगर आपके तालाब में सही तरीके से सफाई और चूने की व्यवस्था होती है तो मछलियों में कई तरह की बीमारियों की संभावना काफी कम रह जाती है. लेकिन कई बार यह देखने में आता है कि मत्स्यपालक अपनी मछलियों की देखरेख में भारी लापरवाही बरतते है जिससे मछलियों को बीमारी हो जाती है, तो आइए जानते है कि मछलियों में कौन-कौन सी बीमारियां होती है.
बीमारियां और उनके उपचार
काले चकतों की बीमारी
मछली के शरीर पर काले-काले चकते पड़ जाते है. 2.7 भाग प्रति 1000000 भाग जल के पिकरिक एसिड के घोल में बीमार मछलियों को पानी में एक घंटा तक नहलायें.
सफेद चकतो की बीमारी
मछलियों को सफेद चकतो की बीमारी होना आम बात है इसका इलाज करवाना बेहद ही जरूरी है. इसके उपचार के लिए आप कुकीन का प्रयोग कर सकते है.
फफूंद
कई बार मछलियों को फफूंद लग जाती है. ऐसा इसीलिए होता है क्योंकि उनके शरीर पर कई बार रगड़ के निशान पड़ जाते है और सफेद फफूंद दिखाई देती है. इसके लिए आप बीमार मछली को 10-15 मिनट तक नीला थोथे का घोल और पोटेशियम परग्रेमनेंट के घोल से नहला दें.
फिनराट
यह एक ऐसी बीमारी होती है जिसके चलते मछलियों के पंख पूरी तरह से गल जाते है.बीमार मछलियों को नीला थोथा के घोल में दो से तीन मिनट नहला दें.
लार्निया
इस बीमारी से यह कीट मछली के शरीर से पूरी तरह से चिपक जाती है. सबसे बड़ी बात है कि यह मछली के शरीर पर घाव लगा देता है. इसीलिए पौटेशियम परमैगनेट का प्रयोग करके इस बीमारी को दूर किया जा सकता है.
ड्रॉप्सी
यह एक ऐसी बीमारी है जिसके चलते मछलियों के शरीर का कोई भी अंग पानी से भर जाते है. इस तरह की बीमार मछली को तुरंत जलाशयों से बाहर कर देना चाहिए.
आंखों की बीमारी
आंखों की बीमारी मछलियों के लिए घातक होती है. इसके सहारे मछलियों की आंखें पूरी तरह से खराब हो जाती है. इसके मछलियों की आंखों में 2 प्रतिशत सिल्वर नाइट्रेट के घोल को धोकर मछली को पानी में छोड़ दें.