मुर्गी पालन का बिजनेस करना चाहते हैं तो आपके लिए लैगहॉर्न फायदेमंद साबित हो सकती है. छोटी और हल्के शरीर वाली मुर्गी की यह नस्ल अधिक मात्रा में अंडे देने के लिए प्रसिद्ध है. इसका औसतन भार 3 किलो तक हो सकता है. इनके पंखों का रंग उजला एवं त्वचा का रंग पीला या क्रीम होता है, जिसके कारण आसानी से इसकी पहचान हो सकती है. इसके अंडों का रंग सफेद होता है, जिनका भार औसतन 55 ग्राम तक हो सकता है.
चारा प्रबंधन (Feed management)
इनको चारे में आप प्रोटीन वाला भोजन दे सकते हैं. विशेषकर 10 सप्ताह तक की मुर्गियों को आहार में 10-20 प्रतिशत प्रोटीन देना फायदेमंद है. इसी तरह इन्हें उचित मात्रा में पानी भी मिलना चाहिए. इसी तरह इनके शारीरिक फैट और तापमान के लिए इन्हें भोजन में कार्बोहाइड्रेट्स वाला आहार भी चाहिए होता है.
शैल्टर निर्भाण (Shelter building)
मुर्गी पालन के लिए वैसी जमीन का चयन करें जो शहर से कुछ दूरी पर हो. स्थल की घेराबंदी कर उन्हें जानवरों से सुरक्षित बनाएं. शैल्टर का निर्माण सड़क से कुछ ऊंचाई पर करना अधिक फायदेमंद है. इससे बरसात के दिनों में बारिश का पानी आसानी से बाहर निकल जाएगा. शैल्टर का निर्माण किसी भी शोर वाली जगह पर न करें. शोर के कारण मुर्गियों का विकास अच्छे से नहीं हो पाता है. नए जन्में बच्चों की देखभाल जरूरी है, क्योंकि वही भविष्य की पूंजी हैं. इनकी वृद्धि के लिए उचित इनक्यूबेटर की आवश्यकता होती है.
अंडों की देखभाल (Care of eggs)
अंडों की देखभाल के लिए उन्हें उपयुक्त तापमान देकर 21 दिनों के लिए इनक्यूबेटर में रखें. इनक्यूबेटर से बच्चों को निकालते समय अधिक सावधानी का ख्याल रखें. इनक्यूबेटर के बाद बच्चों को ब्रूडर में रखा जाता है.
पहले सप्ताह में ब्रूडर का तापमान 95 डिगरी फार्नाहीट तक रखें और प्रत्येक सप्ताह इसका तापमान 5 डिगरी से कम करते जाएं. ब्रूडर में ताजे पानी की उपलब्धता हर समय हो, इस बात का ध्यान रहें.
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