ग्रामीण क्षेत्र में बसे छोटे परिवारों के लिए दुधारू पशु आय का प्रमुख स्रोत होते हैं. वह दुधारू पशुओं में भी सबसे ज्यादा गाय का पालन करते हैं. ऐसे में अगर गाय को रेबीज जैसी गंभीर बीमारी (Cow Rabies Disease) हो जाए, तो छोटे परिवारों के आय को झटका लग जाता है.
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें, तो महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में गाय का दूध उपयोग करने से 80 लोगों के बीमार होने की खबर आई थी. जांच में पता चला था कि इन लोगों ने रेबीज संक्रमित कुत्तों द्वारा काटी गई गायों के दूध का सेवन किया था. ऐसे में पशुपालकों को गाय को रेबीज जैसी बीमारी से बचाकर रखना चाहिए. आइए आपको बताते हैं कि आखिर रेबीज बीमारी क्या है? इसके लक्षण और इलाज क्या है?
क्या है रेबीज बीमारी (What is Rabies Disease)
यह एक विषाणुजनित रोग है, जो कि कुत्ते, बिल्ली, बंदर, गीदड़, लोमड़ी या नेवले के काटने से स्वस्थ पशु के शरीर में प्रवेश करता है. यह रोग नाड़ियों के द्वारा मस्तिष्क में पहुंचता है और उसमें बीमारी के लक्षण पैदा करता है. बता दें कि रोग ग्रस्त पशु की लार में विषाणु ज्यादा पाया जाता है. अगर रोगी पशु दूसरे पशु को काट ले या शरीर में पहले से मौजूद किसी घाव के ऊपर रोगी की लार लग जाए, तो यह रोग फैल जाता है.
गाय के रेबीज़ लक्षण (Cow Rabies Symptoms)
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पशु ज़ोर-ज़ोर से रम्भाने लगता है और बीच-बीच में जम्भाइयां लेता है.
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पशु अपने सिर को किसी पेड़ या दिवार पर मारता रहता है.
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पानी पीने से डरता है.
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रोग ग्रस्त पशु दुबला हो जाता है.
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एक दो दिन के अंदर उपचार न मिले, तो पशु मर सकता है.
गाय को लगवाएं एंटी रेबीज टीका (Get cow anti-rabies vaccine)
इस बीमारी से पशुओं को बचाने के लिए साल में एक बार एंटी रेबीज का टीकाकारण ज़रूर लगवाएं, जिससे कोई जानवर दुधारू पशु को काटे, तो वो मरने से बच जाए. बता दें कि पशुओं में रेबीज़ दो रूपों में देखा जाता है. पहला, जिसमें रोग ग्रस्त पशु काफी भयानक हो जाते है, साथ ही पशु में रोग के सभी लक्षण (All the Symptoms of Disease in Animals) स्पष्ट दिखाई देते हैं. इसके अलावा दूसरे में वह बिल्कुल शांत रहता है और रोग के लक्षण बहुत कम या न के बराबर दिखाई देते हैं.
गाय को रेबीज बीमारी से बचाने का तरीका (How to protect cow from rabies disease)
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कुत्ता जिस दिन पशु को काटे, उसी दिन या 3,7,14 या 30 वें दिन पशु का वैक्सीनेशन कराना शुरु कर दें. अगर ऐसा नहीं करते हैं तो पशु मर भी सकता है.
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जहां पर कुत्ते ने काटा है, उस जगह को पानी से धोकर साबुन (लाइफबॉय) लगाएं, क्योंकि उसमें कार्बोलिक एसिड की मात्रा जाता होती है.
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पशुचिकित्सालय अस्पताल में तत्काल उपचार कराएं.
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पशुओं में एंटी रेबीज का वैक्सीनेशन पहले से लगवाएं.
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रोगी पशु को अलग बांधे.
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उसका खाना-पीना भी अलग कर दें.