पशुपालन किसानों के लिए बेहद महत्वपूर्ण कृषि गतिविधि मानी जाती है, इससे दूध, खाद और अन्य कृषि उत्पादों प्राप्त होते हैं. वहीं ग्रामीण अर्थव्यवस्था में पशुपालन विशेष माना जाता है, क्योंकि यह कई लोगों के लिए कमाई का मुख्य साधन भी होता है. लेकिन कभी-कभी पशु के बीमार होने के बाद उन्हें काफी नुकसान भी उठा पड़ता है, वहीं कुछ बीमारी पशु के लिए जानलेवा होती है. ऐसे ही पशुओं में होने वाली खुरपका-मुंहपका बीमारी यानी फुट एंड माउथ डिसीज़ (FMD) है. भारत में इस रोग को नियंत्रित करने की लगातार कोशिश जारी है और इसके नियंत्रण के लिए वैक्सीन भी बना दी गई है. हालांकि, पशुपालक कुछ चीजों को ध्यान में रखकर खुरपका-मुंहपका बीमारी को फैलने से रोक सकते हैं और उपाय करके अपने पशु को खुरपका-मुंहपका से मुक्त कर सकते हैं.
पशुपालन और डेयरी विभाग ने पशुपालकों के लिए खुरपका-मुंहपका बीमारी से जुड़ी एडवाइजरी जारी की है. हर साल इस बीमारी के टीकाकरण के लिए केंद्र सरकार करोड़ों रुपये खर्च करती है.
खुरपका-मुंहपका की पहचान
दुधारू पशु जैसे- गाय, भैंस, भेड़ और बकरी के अलावा घोड़े में भी खुरपका-मुंहपका बीमारी होती है. ऐसे में पशुपालकों के पास इस बीमारी के लक्षणों की जानकारी होना बेहद जरूरी हो जाता है, जिससे इस रोग को अन्य पशुओं में फैलने से रोका जा सकता है और बीमार पशु का उपाय किए जा सकें. खुरपका-मुंहपका बीमारी होने पर पशु में निम्नलिखित लक्षण दिखाई देते हैं...
- इस बीमारी से ग्रसित पशु के 104-106 डिग्री फॉरेन्हाइट तक तेज बुखार आता है
- बीमारी से ग्रसित होने के बाद पशु की भूख पहले से कम होती है.
- पशु सुस्त रहता है और मुंह से बहुत ज्यादा लार टपकता है.
- खुरपका-मुंहपका बीमारी के बाद पशु के अंदर और बाहर फफोले पड़ने लग जाते हैं, जिन्हें जीभ और मसूड़ों पर देखा जा सकता है.
- इस बीमारी से ग्रसित पशु के खुर के बीच वाली जगह में जख्म बनने शुरू हो जाते हैं.
- खुरपका-मुंहपका बीमारी से गाभिन पशु का गर्भपात होने तक की संभावना होती है.
- पशु के थन में सूजन आ जाती है, जिससे दूध देने में परेशानी होती है.
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खुरपका-मुंहपका के मुख्य कारण
पशु को बारिश के मौसम में दूषित चारा, दूषित पानी और खुले मैदान में चरने देने से भी खुरपका-मुंहपका बीमारी हो सकती है. एक पशु के इस रोग से ग्रसित होने के बाद अन्य पशुओं में भी इसके फैलने का खतरा बना रहता है.
खुरपका-मुंहपका से बचाव के उपाय
खुरपका-मुंहपका रोग से अपने पशु को बचाने के लिए आपको साल में दो बार उसके वैक्सीन लगवानी जरूर चाहिए, जो सभी सरकारी केन्द्रों पर मुफ्त में लगाये जाते हैं. चाहे आपका पशु बीमार होन या ना हो, लेकिन उसका रजिस्ट्रेशन जरूर कराना चाहिए. इसके अलावा, आपको अपने पशु के ईयर टैगिंग भी आवश्य करवाने चाहिए. पशुपालक को हमेशा पशुगृह की साफ-सफाई का विशेष ध्यान देना चाहिए, इससे आपका पशु कई बीमारियों से दूर रह सकता है.
खुरपका-मुंहपका से पीड़ित पशु का उपचार
- खुरपका-मुंहपका रोग से ग्रसित पशु को अन्य स्वस्थ्य पशुओं से अलग रखें
- पशु के मुंह में होने वाले घावों को पोटेशियम परमैंगनेट से धोएं.
- पशु के इस बीमारी से ग्रसित होने पर बोरिक एसिड और ग्लिसरीन का पेस्ट बानएं और उसके मुंह की सफाई करें.
- पशु के घावों को पोटेशियम या बेकिंग सोडा की मदद की धोएं और इन घावों पर कोई एंटीसेप्टिक क्रीम को लगाएं.