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Updated on: 23 January, 2021 12:00 AM IST
Bargur cow

देशभर में पशुपालक गाय की कई नस्लों का पालन करते हैं, लेकिन शायद ही कोई पशुपालक गाय की हर एक नस्ल की जानकारी रखता होगा. जी हां, गाय की कई ऐसी नस्लें हैं, जिनके बारे में पशुपालकों ने न सुना होगा न देखा होगा, लेकिन कहीं न कहीं उनका पालन किया जाता है.

गाय की एक ऐसी ही नस्ल बारगुर (Bargur) है, जो कि मुख्य रूप से तमिलनाडु के इरोड जिले के भवानी तहसील के बारगुर (Bargur) की पहाड़ियों वाले क्षेत्र में पाई जाती है. यह मुख्य रूप से पहाड़ी क्षेत्र में काम आती है, जहां गाय की बाकी नस्लें अनुपयोगी हो जाती है. इस वंश के नरों में गतिशीलता व सहनशाक्ति बहुत अधिक पाई जाती है. आइए आपको गाय की इस नस्ल की पूरी जानकारी देते हैं.

बारगुर गाय की संरचना (Structure of Bargur Cow)

गाय की यह नस्ल के शरीर पर सफेद रंग के धब्बे पाए जाते हैं, तो वहीं कुछ गाय सफेद और कुछ गहरे भूरे रंग की होती हैं. इन गाय का आकार छोटा एवं मध्यम होता है, तो वहीं माथा उन्नत होता है और सींगों का रंग हल्का भूरा होता है. इन गाय की लंबाई सामान्यता अच्छी होती है.

इनकी आंखें उन्नत एवं चमकदार पाई जाती हैं और कान लंबे व खड़े हुए होते हैं. इनके सींग पीछे की ओर को झुके हुए और नोंकदार होते हैं. इनकी गर्दन लंबी व पतली होती है. इन गायों के कूबड़ का आकार छोटा होता है, जबकि बैलों में कूबड़ पूरी तरह से विकसित होता है. गले की झालर पतली होती है.

बारगुर गाय से दूध उत्पादन (Milk production from bargur cow)

गाय की इस नस्ल के बांक एवं थन छोटे होते हैं, लेकिन चारों थन बराबर दूरी पर होते हैं. ये गाय कम दूध देने वाली होती हैं. इनका एक ब्यांत में दूध उत्पादन 250 से 1300 किग्रा प्रति 270 से 310 दिन में रहता है.

English Summary: Read information about Bargur cow
Published on: 23 January 2021, 05:48 IST

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