कम लागत लगाकर अगर खुद का कोई काम शुरू करना चाहते हैं, तो आपके लिए सूअर पालन फायदेमंद साबित हो सकता है. जी हां, हमारे देश में बहुत ही लाभप्रद व्यवसायिक धंधों में से एक सूअर पालन है और यहां से दुनिया भर में सूअर मांस नार्यात होता है. हालांकि प्राचीन समय से ही हमारे यहां सूअर पालन को लेकर मनोवैज्ञानिक बाधाएं हैं और आज भी लोग रूढ़िवादी धारणाओं से ग्रसित हैं.
धीरे धीरे बदल रहा है समय
आज का जमाना नए विचारों का है, वर्तमान बाजार के माहौल में वही आगे निकल सकता है, जिसके पास नई सोच और ऊर्जा हो. यही कारण है कि वाणिज्यिक सूअर पालन अब किसी खास वर्ग या समाज का काम न होकर पढ़े-लिखे लोगों में भी प्रचलित हो रहा है. भारत के उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक सूअर उत्पादन का व्यवसाय होता है.
सूअर पालन का काम आसान
किसी भी अन्य पशु की तुलना में सूअर पालन पर आने वाला खर्च कम है. एक तो ये तेजी से बढ़ते हैं और दूसरा इनके फ़ीड रूपांतरण की दक्षता बेहतर होती है. इनके आहार के लिए भी आपको खास तरह की व्यवस्था नहीं करनी पड़ती है, ये किसी भी तरह का अनाज या क्षतिग्रस्त भोजन, चारा, फल, सब्जियां एवं आदि कचरों को खा सकते हैं. यहां तक कि कभी-कभी आप अभाव के समय इन्हें घास और अन्य हरे पौधों की जड़ें भी परोस सकते हैं.
जल्दी आती है परिपक्वता
सूअर बहुत जल्दी ही परिपक्व हो जाते हैं, एक मादा सूअर 9 महीनों में ही मां बनने में सक्षम हो जाती है. इतना ही नहीं वो साल में दो बार बहुत आराम से बच्चे पैदा कर सकती है. आपको बता दें कि प्रत्येक प्रसूति में सूअर के 8 से 12 बच्चे जन्म लेते हैं.
सूअर मांस की विशेष मांग
सूअर के शरीर के वजन में मांस का अनुपात सबसे अधिक होता है. आम तौर पर एक सूअर के शरीर से लगभग 80 प्रतिशत मांस मिल सकता है. सबसे खास बात है कि इसका मांस पौष्टिक्ता और स्वाद की दृष्टि से भी फायदेमंद है. इसमें बहुत अधिक मात्रा में वसा और ऊर्जा होती है.
अच्छा उर्वरक हैं सूअर खाद
सूअर से प्राप्त होने वाला उर्वरक मिट्टी के लिए बहुत ही फायदेमंद है. विशेषकर दाना फसलों की खेती में इसका उपयोग करना लाभदायक है, इसके अलावा आप तालाब में मछलियों को भी भोजन के रूप में इसे परोस सकते हैं.
विदेशों में है अच्छी मांग
सूअर मांस की मांग न सिर्फ देश बल्कि विदेश में भी बहुत अधिक है. भारत के अलावा इसकी घरेलू मांग पोर्क, सॉस बेकन, हैम, लार्ड आदि जगहों पर है. इन देशों में भारत से बड़ी मात्रा में सूअरों का निर्यात होता है.
इस तरह शुरू करें सूअर पालन
अगर आप सूअर पालन का काम शुरू करना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना होगा. सबसे पहले तो आपको इसके लिए उपयुक्त जमीन या जगह की तलाश करनी होगी. सूअर को शांति से शोर शोर मुक्त जगह पर रहना पसंद है. ऐसे में आप शहर से कुछ दूर ग्रामीण इलाकों में जमीन खरीद सकते हैं. यहां आपको मजदूर भी सस्ते दर पर मिल जाएंगें.
तेज धूप से बचाव जरूरी
वैसे अगर आपके खेत के आस-पास ही बाजार है, तो आप वहां भी इस काम को शुरू कर सकते हैं. इसका सबसे बड़ा फायदा ये होगा कि आप सभी आवश्यक वस्तुओं जैसे टीकों, दवाओं एवं चारा आदि को आसानी से खरीद सकेंगें. इन्हें बहुक अधिक गर्मी या तेज धूप सहन नहीं होती है, ऐसे में इनके लिए सर ढ़कने वाला आवास बनावाएं.
बाजार के साथ संपर्क जरूरी
ध्यान रहे कि इस काम के लिए बाजार की जरूरत आपको समय-समय पर पड़ती रहेगी, इसलिए ऐसी जगह जमीन का चयन करें जहां से बाजार का संपर्क आसान हो.
अच्छी नस्लों के सूअर ही खरीदें
भारत में सूअरों की कई नस्लें है. आपके लिए जरूरी है कि आप सूअरों का चयन अपने भूगौलिक वातावरण को ध्यान में रखते हुए करें. सूअरों की सभी नस्लें व्यावसायिक उत्पादन के लिए उपयुक्त नहीं मानी जाती, इसलिए आपको अत्यधिक उत्पादक नस्लों को चुनना है. वांछित उत्पादन नहीं प्राप्त कर रहे हैं. अत्यधिक मांस उत्पादक सूअर की नस्लों का खरीद सकते हैं.
फीडिंग
सूअर फ़ीड की प्रमूख सामग्री की बात की जाए तो जई, अनाज, मक्का, गेहूं और इत्यादि का नाम सबसे पहले है. जरूरत के अनुसार आप प्रोटीन की कुछ खुराक भी जोड़ सकते हैं. आप इन्हें हरी फलियां भी खिला सकते हैं.
सूअरों को अलग-अलग रखना जरूरी
सूअरों में पूर्ण विकास हो, इसके लिए उन्हें उम्र के अनुसार अलग-अलग रखना जरूरी है. पौष्टिक भोजन के साथ-साथ, इन्हें पर्याप्त मात्रा में पानी देना भी जरूरी है.
प्रजनन
सूअरों में प्रजनन की प्रक्रिया सबसे आसान है, लेकिन फिर भी आपको कुछ बातों का ख्याल रखना ही चाहिए. 8 महीने की उम्र के बाद ये प्रजनन योग्य हो जाते हैं. एक मादा सूअर दो से दस दिन दूध पिलाने के बाद फिर से प्रजनन करने में सक्षम हो जाती है. मादा सूअर 115 दिनों तक गर्भावस्था की अवधि धारण करती है एवं वर्ष में दो बार बच्चों को जन्म देती है.
गाभिन सूअरों का विशेष ख्याल
गाभिन मादा सूअरों की विशेष देखभाल की जानी चाहिए. अगर ये पाल खा चुके हैं, तो इन्हें अन्य सुअरों से दूर रखें. एक साथ रहने में संभावना है कि ये आपस लड़ने लग जाएं या एक दूसरे को जख्मी कर दें. ऐसी हालत में गर्भ को नुकसान होने की संभावना है.
प्रत्येक गाभिन सुअरी के बैठने या सोने की खास व्यवस्था होनी चाहिए. कम से कम इन्हें 10-12 वर्ग फीट का स्थान प्रदान करें. इनके रहने के कक्ष में ही खाने-पीने आदि के प्रबंध होने चाहिए. इनकी सेहत खराब होने या ऐसा कुछ संदेह होने पर चिकित्सों को बुलाएं. इनके घूमने के लिए इन्हें खुला स्थान प्रदान करें.
मार्केट
भारत में सूअर मांस की बहुत अधिक मांग है. अनेक तरह के उत्पादों को बनाने में इनका उपयोग किया जाता है. स्थानीय बाजारों में ही आप इन्हें बेच सकते हैं. अनेक तरह के ब्रश में इनके बालों का उपयोग होता है. इसी तरह इनकी मांग चमड़ा उद्दोग में भी है.