भैंस की कई नस्लें होती हैं, जिसमें एक पंढरपुरी भैंस (Pandharpuri Buffalo) भी है. यह नस्ल देश के अधिकतर हिस्सों में पाई जाती है. इसमें पंढरपुर, पश्चिम सोलापुर, पूर्व सोलापुर, बार्शी, अक्कलकोट ,सांगोला, मंगलवेड़ा, मिराज, कर्वी, शिरोल, रत्नागिरी समेत कई जगह शामिल हैं. भैंस की इस नस्ल को धारवाड़ी भी कहा जाता है, जिसका पालन सूखे क्षेत्रों में करना अनुकूल होता है. भैंस की पंढरपुर नस्ल काफी मशहूर है. कहा जाता है कि इस भैंस का नाम पंढरपुर नामक गांव से पड़ा था, जो कि महाराष्ट्र के सोलापुर जिले में आता है.
पंढरपुरी भैंस की खासियत (features of pandharpuri buffalo)
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इस भैंस के सींग लगभग 45 से 50 सेंटीमीटर तक होते हैं, जिन्हें कई बार मोड़ना पड़ता है.
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भैंस की सींग बहुत आकर्षित होते हैं.
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वजन लगभग 450 से 470 किलो का होता है.
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यह अपनी संरचना की वजह से काफी मशहूर हैं.
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यह अधिकतर हल्के और गहरे काले रंग की होती हैं.
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कुछ पंढरपुरी भैंसों के सर और पैर पर सफेद निशान भी होते हैं.
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इस भैंस का सिर लंबा और पतला होता है.
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इनकी नाक की हड्डी भी बड़ी होती है.
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यह भैंस बहुत ही कठोर और मजबूत होती है.
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15 लीटर तक दूध दे सकती है पंढरपुरी भैंस
भैंस की यह नस्ल औसतन 6 से 7 लीटर दूध देती है, लेकिन अगर इन भैंसो की अच्छी देखभाल की जाए, साथ ही उचित मात्रा में खाद दी जाए तो यह 15 लीटर तक दूध भी दे सकती हैं. बता दें इन भैंसों का वजन लगभग 450 से 470 किलो का होता है. यह डेयरी बिजनेस के लिए काफी उपयोगी होती हैं.
प्रजनन क्षमता होती है अच्छी
पंढरपुरी भैंस की प्रजनन क्षमता काफी अच्छी होती है, क्योंकि यह हर 12 से 13 महीने में एक बछड़े/बछिया को जन्म दे सकती हैं. खास बात है कि इसके बाद लगभग 305 दिन तक दूध देने की क्षमता रखती हैं.
पंढरपुरी भैंस का दूध लाभकारी
अच्छी बात यह भी है कि इस भैंस के दूध में लगभग 8 प्रतिशत वसा की मात्रा होती है, इसलिए इनका पालन करना काफी अच्छा माना गया है. इससे पशुपालक अच्छा मुनाफ़ा कमा सकते हैं.
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