मैरीनो भेड़ को उत्कृष्ट ऊन उत्पादन के लिए विशेष तौर पर जाना जाता है. इसके साथ ही इसके मीट एवं दूध का भी अपना महत्व है. बड़े-बड़े होटल्स तक में इसके दूध से बनने वाले पनीर की मांग है. चलिए आपको मैरीनों भेड़ों के बारे में कुछ मुख्य बाते बताते हैं.
एक मेमने को देती है जन्म
मैरीनो नस्ल की भेड़ आम तौर पर केवल 1 मेमने को जन्म देने में सक्षम है, 100 में से केवल 10 प्रतिशत ही संभावना है कि वो एक से अधिक मेमने को जन्म दे पाए. इसे मध्यम आकार के पशुओं की श्रेणी में रखा गया है.
हिसार है मूल घर
वैसे तो मैरीनो नस्ल की भेड़े हर जगह देखने को मिल जाते हैं, लेकिन भारत में मुख्य रूप से इनकी आबादी हिसार में अधिक है. इनके सिर और पैरों पर अधिक मात्रा में ऊन होता है. सबसे अच्छी बात यह है कि इन्हें लगभग हर तरह के जलवायु में पाला जा सकता है.
चारा
इन भेड़ों को अधिकतर चरना पसंद है और चारे के रूप में फलीदार पत्ते, फूल आदि का सेवन ये बड़े चाव से करते हैं. आप इन्हें भोजन के रूप में लोबिया, बरसीम, फलियां आदि खाने को दे सकते हैं.इनके विकास के लिए इन्हें 6 से 7 घंटे तक मैदानों में खुला छोड़ दें. ताजा हरी घास भी इनके भोजन के लिए उपयुक्त है.
गाभिन भेड़ों की देखभाल
गाभिन भेड़ों को अधिक देखभाल की जरूरत है. ठंड के मौसम में प्रसव के दौरान इनकी सुरक्षा का खास ख्याल रखें. प्रसव के 4-6 दिन पहले कक्ष को अच्छे से स्वच्छ कर दें. गर्भावस्था के अंतिम चरणों में फीड को बढ़ाना फायदेमंद है.
मेमने की देख-रेख
नवजात मेमने की देखभाल के लिए उन्हें जन्म के बाद साफ करें. नाक, चेहरा और कानों की सफाई सूखे नरम सूती कपडे से करें. नवजात शिशुओं की सफाई में बल का प्रयोग न करें, सफाई कोमलता के साथ हल्के हाथों से करें.
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