देश में बकरे व बकरियों की नस्ल सुधारने के लिए जमनापारी बकरियों का उपयोग किया जाता है. इस तरह की बकरी की डिमांड केवल भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी है. वहां भी नस्ल सुधारने के लिए इस बकरी को भारत से मंगवाया जाता हैं. इन बकरियों में कई खासियत हैं. तो आइये जानें किस देश में जमनापारी बकरे या बकरियों की मांग है और उनमें क्या है खासियत
इन देशों में है हेवी डिमांड
वैज्ञानिक बताते हैं कि दूध, मीट, बच्चा देने और अपने बॉडी साइज की वजह से जमनापारी नस्ल के बकरे और बकरियां दुनिया भर में खास होती हैं. यही मुख्य कारण है कि जरुरत पड़ने वाले बाहरी देश भारी संख्या में भारत से इस तरह की बकरियों की डिमांड करते हैं. अब तक मलेशिया, भूटान, इंडोनेशिया, नेपाल आदि जैसे मुल्कों में जमनापारी नस्ल के बकरे और बकरियां भारत से भेज दिए गए हैं. इस नस्ल के सफेद बकरे अपनी प्रजाति में सबसे लंबे होते हैं. ये ज्यादातर उत्तर प्रदेश के इटावा साइड में पाए जाते हैं. वहीं, इस नस्ल के कुछ बकरे बिहार, राजस्थान और पश्चिम बंगाल में भी देखने को मिल जाते हैं.
ये हैं जमनापारी बकरियों की खासियत
विदेशों में लोग अधिकतम अपने यहां की बकरियों की नस्ल सुधारने के लिए भारत से जमनापारी बकरों को मंगवाते हैं. माना जाता है कि इस नस्ल की बकरी हर रोज 4 से 5 लीटर तक दूध दे सकती है. इनका दूध जल्दी खराब भी नहीं होता है. लगभग 50 प्रतिशत जमनापारी नस्ल के बकरे दो बच्चे देने में सक्षम होते हैं. यह देखने में भी अच्छे होते हैं. वहीं, ईद पर भी यह हाई डिमांड में रहते हैं. अगर इस नस्ल के बकरे या बकरियों की बात करें तो यह 194 दिन तक दूध दे सकती हैं. इसके अलावा, इनमें कुल 200 लीटर तक दूध देने की क्षमता होती है. आमतौर पर इस नस्ल के एक बकरे का वेट 45 किलो होता है. जबकि बकरियां 38 किलो तक होती हैं. दूध के अलावा इनमें अच्छी क्वालिटी का मीट भी पाया जाता है.
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