भैंस और गाय पालन काफी खर्चीला होता है. ऐसे में यदि इन पशुओं की ठीक देखभाल नहीं की जाए तो अधिक दूध उत्पादन करना थोड़ा मुश्किल हो जाता है. ऐसे में बकरी पालन एक अच्छे मुनाफे का सौदा हो सकता है.
लेकिन बकरी पालन की सबसे बड़ी समस्या यह है कि बकरियों को चराना बेहद जरुरी होता है. वहीं आज के समय में बकरियों को चराने के कम ही जगह बची है. यदि आप भी बकरी पालन करने की सोच रहे हो और बकरी को चराने के झंझट से बचना चाहते हो तो बकरी की बरबरी नस्ल का पालन करना चाहिए. बकरी की इस नस्ल को भैंस तथा गाय की तरह एक जगह बांधकर ही पाला जा सकता है. तो आइए जानते हैं बरबरी नस्ल की बकरी के पालन की जानकारी.
11 महीने में जन्म देती है बच्चे (baby gives birth in 11 months)
दुनियाभर में बकरियों की 100 से अधिक नस्ल है लेकिन भारत में केवल 20 ही प्रजातियां पाली जाती है. उन्हीं में से एक बरबरी नस्ल की बकरी. यदि बकरी पालन करके अच्छा पैसा कमाना चाहते हैं तो बकरी की यह नस्ल सबसे सही होती है.
एक तरफ तो इस बकरी को बाहर चराने के लिए नहीं ले जाना पड़ता है वहीं दूसरी तरफ यह महज 11 महीने में बच्चे जनती है. जबकि भारत में पाई जाने वाली अन्य नस्ल जमुनापारी 22-23 महीने और सिरोही बकरी 18 महीने में गाभिन के बाद बच्चे जनती है. वहीं बकरी की यह नस्ल 3 से 5 बच्चों को जन्म देने में सक्षम होती है. यह बकरी साल में दो बार बच्चे देने में सक्षम है जिसके चलते यह अच्छी आय देने वाली नस्ल मानी जाती है. यह बकरी अफ्रीका देश की बरबरा जगह से भारत लाई गई थी इस कारण से इसे बरबरी कहा जाने लगा.
बरबरी बकरी कितना दूध देती है (How much milk does barbari goat give)
इस नस्ल की बकरी देखने में सफेद रंग की तथा भूरे और सुनहरे रंग के धब्बे होते हैं. जबकि आकार में मध्यम होती है लेकिन इनका शरीर काफी गठीला होता है. वहीं इसके शरीर पर छोटे-छोटे बाल पाए जाते हैं. बरबरी बकरी की नाक बेहद छोटी होते हैं वहीं इसके कान खड़े रहते हैं.
इस नस्ल की सबसे अच्छी खासियत यह है कि गर्म और ठंडी दोनों तरह की जलवायु में पाला जा सकता है. वजन की बात करें तो मादा बकरी का 25 से 30 किलो की होती है. अपनी अच्छी प्रजनन क्षमता के लिए भी यह बकरी जानी जाती है. रोजाना एक लीटर दूध देने वाली बकरी की इस नस्ल के बच्चे महज 10 से 12 महीनों में व्यस्क हो जाते हैं.
मटन स्वादिष्ट होता है (Mutton is delicious)
इस नस्ल की बकरियां फुर्तीले होती है, वहीं इसे रोग भी कम लगते हैं. इस वजह से इसका पालन आसानी से किया जा सकता है. इसे गर्मी, बरसात और सर्दी के मौसम में आसानी से पाला जा सकता है. एक तो यह नस्ल जल्दी से वृद्धि करती है वहीं इसका मांस बेहद स्वादिष्ट होता है. इसलिए इसके मांस की हमेशा डिमांड बनी रहती है.