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Updated on: 14 August, 2021 12:00 AM IST
Thanila

यूं तो दुधारू पशुओं को कई तरह के रोग होते हैं, लेकिन जिस रोग को लेकर पशुपालकों में सबसे ज्यादा चिंता रहती है, वो थनैला रोग है, इस रोग के वजह से जानवरों में दूध देने की क्षमता कम हो जाती है. अगर वे दे भी दें, तो वो पीने लायक नहीं होता है, क्योंकि उसमें कई बार रक्त, दुर्गंध, पीलापन, हल्कापन आने लगता है, जिसकी वजह से यह मानव उपयोग के लायक नहीं रह जाती है.

यह सब कुछ दुधारू पशुओं में होने वाले थनैला रोग की वजह से होता है. आपको यह जानकर हैरानी होगी कि आज भारत कब का श्वेत क्रांति को प्राप्त कर चुका होता, लेकिन अफसोस दुधारू पशुओं में होने वाली यह थनैला रोग इस क्रांति की राह बनकर रोड़ा बन जाती है. आइए, इस लेख में आगे जानते हैं कि किसी भी दुधारू पशु में इस रोग के शुरूआती लक्षण क्या होते हैं और आगे इस लेख में हम आपको यह भी बताएंगे कि जब कोई दुधारू पशु इस रोग की चपेट में आ जाए, तो उसका उपचार आप कैसे कर सकते हैं.

थनैला रोग के लक्षण

दुधारू पशुओं में थनैला रोग के कर्ई प्रकार के लक्षण हैं, जिसमें सबसे गंभीर यह है कि इस रोग से कई बार पशुओं का थन भी सड़कर गिर जाता है, अन्यथा सामान्यत: इस रोग का शिकार होने पर पशुओं में बुखार आने लगता है. खाने के प्रति पशुओं की इच्छा कम हो जाती है. कई मौकों पर यह भी देखा गया कि पशुओं का थन लकड़ी के समान कठोर हो जाता है. इससे पशुओं से प्राप्त होने वाला दूध कड़वे हो जाते हैं. आइए, अब जानते हैं कि आखिर यह बीमारी इन पशुओं में क्यों होती है?

दुधारू पशुओं में क्यों होता है यह रोग

  • गंदे हाथों से दूध दोहने की वजह से पशुओं में थनैला रोग हो जाता है.

  • पशुओं को साफ-सुथरा आवास उपलब्ध कराएं, अन्यथा गंदा आवास होने से पशुओं के इस बीमारी के गिरफ्त में आने की संभावना बढ़ जाती है.

  • पशुओं की थन से निकलने वाले दूध की धार को कभी जमीन पर न मारे. इससे पशुओं में इस तरह की बीमारी के गिरफ्त में आने की संभावना बढ़ जाती है.

  • किसी संक्रमित पशु के गिरफ्त में आने से भी यह रोग होने की संभावना रहती है.

  • थनैला रोग जीवाणु, विषाणु, माइकोप्लाज्मा अथवा कवक से होता है.

  • अनियमित तौर पर दूध दुहने की वजह से भी पशुओं में इस तरह के रोग होता है.

कैसे करें रोग से बचाव

  • आवास: पशुओं को स्वच्छ आवास उपलब्ध करवाएं. इस बात का विशेष ध्यान रखें कि जहां आपका पशु रहता है, वहां किसी भी प्रकार की कोई गंदगी न हो, चूंकि यह रोग गंदगी की स्थिति में पशुओं को अपना शिकार बना लिया करती है.
  • साफ-सफाई: जैसा कि हमने आपको उक्त खंड में बताया कि आमतौर पर यह बीमारी गंदे हाथों से दूध दुहने से होती है, लिहाजा आप दूध दुहते समय अपने हाथों को अच्छे से धो लें, क्योंकि आपके हाथों में किसी कारणवश कई प्रकार के विषाणु अपनी जगह बना लेते हैं. इसके बाद जब आप इन्हीं विषाणुयुक्त हाथों से पशुओं के थन को स्पर्श करते हैं, तो यह विषाणु उनके शरीर में प्रवेश कर जाते हैं और जैसा कि हमने आपको बताया कि थनैला रोग विषाणुओं के संपर्क में आने से होता है, इसलिए आप हाथ धोकर ही दूध निकालें.
  • घाव को न होने दे विकराल: बहुधा देखा जाता है कि पशुओं के थन में कई बार फोड़े आ जाते हैं, जिसे आमतौर पर पशुपालक नजरअंदाज कर देते हैं और आगे चलकर यही पशुओं में थनैला रोग के कारक बनते हैं.

नोटउपरोक्त जानकारी डॉ. नरेश मिठारवाल, विशेषज्ञ-पशु प्रसूति एवम मादा रोग, पाटन (सीकर) से ली गई है.

English Summary: full Information about Mastitis
Published on: 14 August 2021, 03:19 IST

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