मानसून की शुरुआत हो चुकी है और आज हम Monsoon and Animal Husbandry के तहत पशुपालकों के लिए कुछ जरूरी जानकारी लेकर आये हैं. बारिश के मौसम में पशुपालकों को अपनी बकरियों का ख्याल और भी अच्छे से रखने की जरूरत होती है. इस मौसम में बकरी पालक को कई तरह की समस्याओं से जूझना पड़ सकता है. बकरियों में बीमारी, उनके खान-पान और रख-रखाव को लेकर पालकों को कई तरह की सावधानियां बरतने की जरूरत है. आइये आपको बकरी पालन से जुड़ी खास बातें बताते हैं जिससे आपके पशु का स्वास्थ्य अच्छा बना रहेगा.
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बारिश के इस मौसम में बकरियों में लगने वाली बीमारी बहुत ही घातक हो सकती है. मानसून के दौरान बकरियों में पेट सम्बन्धित बीमारियां बहुत ही आसानी से लग जाती हैं. इनमें दस्त लगना सामान्य है. दस्त की वजह से पशु में कमजोरी और सुस्ती आ सकती है. आपको बता दें कि इस तरह की समस्या अक्सर नए चारे की वजह से होती है. जी हां, बरसात में मिलने वाले नए चारे (घास) में लगे कृमि की वजह से ऐसा होता है. इसलिए पालकों को सावधानी से बकरियों के लिए चारा निकालना चाहिए.
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बकरियों को हरे चारे के साथ ही नियमित तौर पर सूखा चारा भी देते रहें.
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पशु को पेट के कीड़े की दवा लगभग चार महीने के अंतराल पर जरूर खिलाएं और साथ ही नीम की पत्तियां का चारा भी दें.
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बाड़े में अगर बकरी के बच्चे भी हैं, तो उन्हें उनके बंधे हुए स्थान या बाड़े में ही चारा दें, बाहर चरने के लिए न निकालें, नहीं तो ये बहुत ही जल्द बिमारियों के सम्पर्क में आ सकते हैं.
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बारिश के मौसम में पशुपालन के तहत किसान एवं पशुपालक बकरियों के लिए पानी और चारे का अलग-अलग हौदा बनाएं. ऐसा करने पर चारा और पानी जमीन की गंदगी के सम्पर्क में नहीं आएंगे और पशु सुरक्षित रहेंगे.
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पानी हमेशा ताज़ा और साफ़ ही दें. बकरी को सप्ताह में एक बार नीम के पत्ते जरूर खिलाएं.
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पशुपालक यह कोशिश करें कि मानसून शुरू होने से पहले ही बकरियों का टीकाकरण (vaccination in goats) जरूर करवाएं जिससे वे इस मौसम में लगने वाली जानलेवा बिमारियों से बची रहें-
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1.पीपीआर का टीका
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2.ईटी (फड़किया) का टीका
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इसके साथ ही बकरियों को निमोनिया होने की भी संभावना होती है, जो अक्सर बारिश में भीगने से हो जाता है. ऐसे में पशुपालक को बाड़े को ज्यादा साफ़ और सूखा रखने की जरूरत होती है, नहीं तो पशु कई अन्य बिमारियों की चपेट में भी आ सकता है. इस मौसम के चलते बकरी पालन में सावधानी न बरतने पर पशु की मौत भी हो सकती है. इसके लिए बकरियों को धूप वाली जगह बांधें.
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बारिश के इस मौसम में बकरियों में लगने वाली बीमारी बहुत ही घातक हो सकती है. मानसून के दौरान बकरियों में पेट सम्बन्धित बीमारियां बहुत ही आसानी से लग जाती हैं. इनमें दस्त लगना सामान्य है. दस्त की वजह से पशु में कमजोरी और सुस्ती आ सकती है. आपको बता दें कि इस तरह की समस्या अक्सर नए चारे की वजह से होती है. जी हां, बरसात में मिलने वाले नए चारे (घास) में लगे कृमि की वजह से ऐसा होता है. इसलिए पालकों को सावधानी से बकरियों के लिए चारा निकालना चाहिए.
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बकरियों को हरे चारे के साथ ही नियमित तौर पर सूखा चारा भी देते रहें.
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पशु को पेट के कीड़े की दवा लगभग चार महीने के अंतराल पर जरूर खिलाएं और साथ ही नीम की पत्तियां का चारा भी दें.
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बाड़े में अगर बकरी के बच्चे भी हैं, तो उन्हें उनके बंधे हुए स्थान या बाड़े में ही चारा दें, बाहर चरने के लिए न निकालें, नहीं तो ये बहुत ही जल्द बिमारियों के सम्पर्क में आ सकते हैं.
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बारिश के मौसम में पशुपालन के तहत किसान एवं पशुपालक बकरियों के लिए पानी और चारे का अलग-अलग हौदा बनाएं. ऐसा करने पर चारा और पानी जमीन की गंदगी के सम्पर्क में नहीं आएंगे और पशु सुरक्षित रहेंगे.