जनसंख्या में भारी वृद्धि, शहरीकरण और आय वृद्धि की वजह से गाय के दूध और गोमूत्र जैसे अन्य उत्पादों की मांग तेजी से बढ़ रही है. देसी गाय के A2 दूध की श्रेष्ठता की वैज्ञानिक स्थापना के कारण देसी गाय के दूध की मांग तथा प्रति लीटर मूल्य में वृद्धि हुई है. जिसके फलस्वरुप किसानों के आमदनी में इजाफा हुआ है.
केंद्र और राज्य सरकार देसी गाय पालन (Desi Cow Rearing) को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न योजनाओं के तहत गाय पालन पर सब्सिडी (Subsidy on Cow Rearing) प्रदान करती है. इस प्रकार किसान आसानी से न्यूनतम निवेश के साथ देसी गाय डेयरी फार्म (Desi Cow Dairy Farm) शुरू कर सकते हैं और निश्चित लाभ कमा सकते हैं.
साहीवाल गाय पालन (Sahiwal Cow Rearing)
यह मूलतः उत्तर पश्चिमी भारत एवं पाकिस्तान में मिलती है. यह गहरी लाल रंग की होती है. इनका शरीर लम्बा ढीला एवं भारी होता है. इनका सर चौड़ा और सींग मोटे एवं छोटे होते हैं. यह एक ब्यांत में लगभग 2500-3000 लीटर दूध देती है.
गावलाव गाय पालन
दूध साधारण मात्रा में देती है. प्राप्तिस्थान सतपुड़ा की तराई, वर्धा, छिंदवाड़ा, नागपुर, सिवनी तथा बहियर है. इनका रंग सफेद और कद मझोला होता है. ये कान उठाकर चलती हैं.