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Updated on: 17 April, 2018 12:00 AM IST
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ज्यादातर पशुपालकों को पता ही नहीं होता है कि गाय-भैंस को गाभिन कराने का सही समय क्या है, लेकिन भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) ने एक यंत्र क्रिस्टोस्कोप तैयार किया है, जिसके द्वारा पशुपालक आसानी ये पता लगा सकते है कि गाय-भैंस को गाभिन करने का सही समय क्या है।

“अधिकतर किसान को गाय-भैंस के गर्मी में आने के लक्षण को नहीं पहचान पाते है और गाभिन करवा देते है, लेकिन गर्भ ठहरता नहीं है, जिससे किसान को आर्थिेक नुकसान होता है। यह यंत्र गाय-भैंस के सही मदकाल की सटीक जानकारी देता है।

स्टोस्कोप बाजारों में भी उपलब्ध है। श्लेष्मा (म्यूकस) को यंत्र के ऊपरी हिस्से में डालकर स्कोप से देखने पर ही गाय या भैंस का मदकाल पता चल जाएगा।” ऐसा बताते हैं, भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ हरेंद्र कुमार।

हर पशु का एक मदचक्र होता है। गाय-भैंसों में यह लगभग 21 दिन का है। मदचक्र पूरा होने पर मदकाल आता है। यह दो से तीन दिन तक चलता है। मदकाल में अलग-अलग समय पर गाय और भैंसों के शरीर में बनने वाले स्लेश्मा यानी म्यूकस से ही उनके गर्भधारण की संभावना घटती-बढ़ती है।

क्रिस्टोस्कोप में लिए श्लेष्मा के फर्न पैटर्न की मात्रा ज्यादा मिली तो कृत्रिम गर्भाधान कराने पर गर्भ टहरने की संभावना ज्यादा और फर्न पैटर्न कम होने पर संभावना कम हो जाएगी।

डॉ हरेंद्र बताते हैं, “यह हेडी टूल यंत्र है। इस यंत्र को पेटेंट कराकर निजी कंपनियों को दे दिया है। कोई भी किसान इसको खरीद सकता है। उन्हें किसी अस्पताल में जाने में जाने की जरूरत नहीं होगी। बरेली आस-पास के क्षेत्र के लोग इसका इस्तेमाल भी कर रहे है। उनके कृत्रिम गर्भाधान की सफलता की दर लगभग सतर फीसद तक बढ़ गई है। अभी यह औसत महज तीस फीसद तक थी।”

मदकाल के गलत समय कृत्रिम गर्भाधान कराने से किसानों का पशुओं के खान-पान में धन और समय दोनों खराब होता है। सही समय पर गर्भधारण न हो पाने से दुग्ध उत्पादन भी नहीं हो पाता। दो से तीन बार मदकाल निकल जाने पर गायें या भैंस बांझ भी हो जाती है।

इस यंत्र की जानकारी के लिए आप इस नंबर पर संपर्क कर सकते है:

भारतीय पशु अनुसंधान संस्थान

डॉ हरेंद्र प्रसाद ,प्रधान वैज्ञानिक

09411631354

English Summary: cow pregnancy news
Published on: 17 April 2018, 04:23 IST

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