देशभर के कई इलाकों में मौसम लगातार ठंडा होता जा रहा है. ऐसे में गाय पालन करने वाले पशुपालकों को उनका खास ध्यान रखाना होगा, क्योंकि ठंड गायों के लिए जानलेवा साबित भी हो सकती है. लिहाजा, इनका खास ख्याल रखना जरूरी है. गाय को ठंड से बचाने के लिए परंपरागत तरीकों के अलावा आहार में ऊर्जा की मात्रा भी बढ़ा सकते हैं.
पशु वैज्ञानिकों की मानें, तो तापमान अधिक कम होने पर शरीर का तापमान बनाए रखने के लिए पशुओं में हारमोन (थाइरोक्सिन) का अधिक स्राव होता है. इसके साथ ही ठंड से प्रभावित पशु की चय-पचय प्रक्रिया बढ़ जाती है, साथ ही उनकी ऊर्जा का तेजी से क्षरण होने लगता है. इस कारण वृद्धि व उत्पादन भी प्रभावित होता है. बता दें कि गायों को इस मौसम में सर्दी-जुकाम, न्यूमोनिया और लैंगराइटिस होना आम है. आइए आपको इनके लक्षण और उपाय बताते हैं.
प्रमुख रोग और उनके लक्षण (Major diseases and their symptoms)
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हाइपोथर्मियां के शिकार होने की वजह से पशु के कान, नाक व अंडकोश बर्फ जैसा ठंडा हो जाता है.
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सांस व हृदय की गति कम होने लगती है.
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गाय अचेत होकर मर भी सकती है.
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त्वचा पर बुरा असर पड़ने लगता है.
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सुस्त पड़ने लगती है.
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बाल खड़े हो जाते हैं, साथ ही शरीर सिकुड़ जाता है.
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सही से खाना नहीं खा पाती है
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नाक से पानी गिरता है.
गाय को ठंड से बचाने के उपाय (ways to protect cow from cold)
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गाय को बंद स्थान पर रखें.
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गौशाला के दरवाजों को फूस या बोरे से ढक दें, ताकि ठंडी हवा से बचाव हो सके.
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जमीन पर पुआल या पत्तियां बिछाए, साथ ही समय-समय पर इनको बदलते रहें.
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बाड़े में अलाव की व्यवस्था करें, साथ ही ध्यान दें क वहां धुआं न भरने पाए.
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पशु गृह की सफाई रखें.
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उनके बर्तन को पोटैशियम परमैगनेट से धोएं.
गायों का ठंड में आहार (Cold diet of cows)
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आहार में ऊर्जा की मात्रा बढ़ दें.
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गुड़ व तेल की अतिरिक्त मात्रा दें.
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जीरा-अजवायन
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बाजरे की दलिया
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चावल का चोकर मूंग
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उर्द या चना की चूनी का बना पशु आहार
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खड़िया मिट्टी
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साधारण नमक को अनुपात में मिलाकर
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इसके अलावा यूरिया अथवा शीरे से उपचारित भूसा
आपको बता दें कि रोजाना लगभग 7 किग्रा. दूध देने वाली गाय के लिए 10 से 12 किग्रा उपचारित भूसा पर्याप्त होता है. बेहतर यह है कि इस मौसम में गाय को गुन-गुना या नल से निकला ताजा पानी ही पिलाएं. हरे चारे में पानी की मात्रा 80-90 प्रतिशत होती है, इसलिए इसे अधिक मात्रा में न दें. ध्यान रहे कि नवजात बच्चे को खीस जरूर पिलाएं. इसके साथ ही चर्म रोग और डायरिया से बचने के लिए कीड़ा मारने की दवा भी पिलाएं.