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Updated on: 2 May, 2023 12:00 AM IST
किसानों के लिए फायदेमंद है क्लोन तकनीक

अन्नदाताओं को फायदा पहुंचाने के लिए कृषि क्षेत्र में तकनीक हर दिन विकसित होती जा रही है. हाल ही में वैज्ञानिकों ने गिर नस्ल की एक क्लोन बछिया का निर्माण करके दुनिया भर में इतिहास रच दिया था. दरअसल, करनाल के राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान ने उत्तराखंड लाइव स्टॉक डेवलपमेंट बोर्ड देहरादून के सहयोग से गिर, साहीवाल और रेड-सिंधी जैसी गायों की क्लोनिंग पर काम शुरू किया था. इसका कार्य 2021 में शुरू हुआ था. वहीं, 16 मार्च को वैज्ञानिक गिर नस्ल की एक क्लोन बछिया का जन्म कराने में कामयाब रहे. हालांकि, वे साहीवाल और रेड-सिंधी नस्लों की गाय का क्लोनिंग नहीं कर पाए. अब सवाल ये उठता है कि इस क्लोन टेक्नोलॉजी से किसानों व डेरी फार्म को कैसे फायदा होगा. तो आइये इसके बारे में जानें.

क्या है क्लोन टेक्नोलॉजी और वैज्ञानिकों ने कितने दिन में की क्लोनिंग?

क्लोन टेक्नोलॉजी के जरिए एक जीव से दूसरा जीव तैयार किया जाता है. क्लोनिंग के जरिए निर्मित जीव एकदम मूल जीव की तरह होते हैं. उनमें कोई फर्क नहीं होता है. बताया गया है कि क्लोन टेक्नोलॉजी से गिर नस्ल की क्लोन बछिया तैयार करने में वैज्ञानिकों को करीब दो साल का समय लग गया. इस दौरान उन्हें काफी मुश्किलों से भी गुजरना पड़ा. पहले भैंस की क्लोनिंग की शुरुआत हुई थी. बाद में वैज्ञानिकों ने गाय का क्लोन बनाने का भी मन बना लिया. लेकिन उनके पास संसाधन की कमी थी. भैंस की तुलना में गाय से सेल व अंडे निकालना भी आसान नहीं था. यहां तक कि उनके पास गाय की क्लोनिंग करने की तकनीक भी मौजूद नहीं थी. ऐसे में उन्हें काफी मेहनत करनी पड़ी. लेकिन बाद में बड़ी सफलता हासिल हुई.

कैसे होती है क्लोनिंग?

वैज्ञानिकों ने प्रेस कांफ्रेंस के दौरान बताया था कि क्लोन टेक्नोलॉजी से जानवर का निर्माण करने के लिए सोमेटिक सेल की आवश्यकता होती है. गिर गाय की क्लोनिंग करने के लिए सबसे पहले वैज्ञानिकों को उस नस्ल की गाय के शरीर से सोमेटिक सेल को निकालकर लैब में कल्चर करना पड़ा. इसके बाद अंडक को जानवर से अलग किया गया. जिसके लिए सुई की आवश्यकता पड़ी. फिर सेल व अंडक से भ्रूण का निर्माण हुआ. जिसमें लगभग हफ्ते का समय लगा. इसके बाद, विकसित भ्रूण को फिर सरोगेट मदर (गाय) के अंदर डाला गया. इसके नौ महीने बाद गिर गाय के क्लोन बछड़े का जन्म हुआ.

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डेरी फार्म को फायदा

क्लोन टेक्नोलॉजी से डेरी फार्म को काफी हद तक बढावा मिलेगा. इस आधुनिक तकनीक से बेहतर नस्ल वाले जानवरों को पैदा करने में कामयाबी हासिल होगी. वहीं, इससे दूध के उत्पादन पर भी प्रभाव पड़ेगा. जिसे बेचकर किसान अपनी आय में इजाफा कर सकेंगे. बता दें कि जिस नस्ल की गाय का वैज्ञानिकों ने निर्माण किया है वो हर रोज 15 लीटर तक दूध दे रही है. इसी तरह क्लोन टेक्नोलॉजी किसानों के लिए आने वाले दिनों में बहुत फायदेमंद साबित होगी.

 

English Summary: Clone technology beneficial for farmers earn bumper profits from dairy farms
Published on: 02 May 2023, 04:04 IST

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