आर्थिक रूप से भेड़ पालन का व्यवसाय लाभकारी है. अगर इसे सही तरके से अपनाया जाए तो इससे बहुत कम लागत में अधिक मुनाफ़ा कमाया जा सकता है. भारत में भेड़ों को मुख्य तौर पर मांस के साथ-साथ ऊन और खाद के लिए पाला जाता है. हालांकि इसका दूध भी लोकप्रिय है. वैसे तो हमारे यहां भेड़ों को लगभग हर राज्य में पाला जाता है, लेकिन यूपी, राजस्थान और गुजरात में इनकी मांग अधिक है.
वैसे बता दें कि इस व्यवसाय को प्रोत्साहित करने के लिए केंद्र के साथ-साथ राज्य सरकारें भी कई तरह की योजनाएं चला रही हैं. जिसकी जानकारी कृषि जागरण पर समय-समय पर मिलती रहती है. खैर, इस लेख को लिखने का मुख्य कारण यही है कि पशुपालक भेड़ों को खरीदते समय कुछ खास बातों का ख्याल जरूर रखें. चलिए आपको अच्छी भेड़ों की पहचान कैसे की जा सकती है, इस बारे में विस्तार से बताते हैं.
भेड़ पालन के लिए इन जरूरी बातों का ध्यान रखें (Keep these important things in mind for sheep rearing)
भेड़ों को खरीदते समय इस बात का ख्याल रखा जाना चाहिए कि उनकी उम्र अधिकतम 1 से 2 साल की ही हो. उस समय उनके दांतों की संख्या 4 से अधिक ना हो और उनके शरीर में खुजली की समस्या न हो.
भेड़ पालन के लिए प्रजनन और जांच (Breeding and testing for sheep farming)
इसके अलावा ब्याई हुई भेड़ को खरीदना फायदेमंद है. वहीं उन्हें खरीदने से पहले उनकी आंखों को जांच जरूर की जानी चाहिए. आंखें साफ और चमकदार हों. भेड़ों के थन की जांच भी जरूर करें कि कहीं उन्हें थनैला जैसा रोग तो नहीं.
भेड़ पालन के लिए सफ़र और व्यवस्था (Sheep rearing Travel and arrangement)
भेड़ों को सफ़र में ले जाने के लिए कुछ व्यवस्था जरूर करनी चाहिए. जैसे उनके लिए पानी और हरे चारे का इंतजाम. खरीददारी के बाद इन्हें मध्यम गति से वाहन में लेकर जाएं. भेड़ों को पानी पिलाते रहना सही है. भेड़ों को गाड़ी से उतारते समय ध्यान रखें कि कहीं वो कूदने न पाएं.