भारत एक कृषि प्रधान देश है. खेत, खलिहान, किसान व पशुपालन ये भारतीय गांवों की पहचान है. कुछ लोगों को हो सकता है लगे कि भारतीय अर्थव्यवस्था महज शहरों में संचालित होने वाली फैक्ट्रियों व कंपनियों से ही चलती है, बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था के सुचारू संचालन में असल योगदान तो कृषि व पशुपालन का है. पशुपालन के लिए ज्यादा जरूरी है पशुओं की देखभाल करना. उनका ध्यान हमेशा रखना चाहिए, खासकर बरसात में क्योंकि इस समय पशु सबसे ज्यादा बीमार होते हैं. पशुओं की देखरेख से संबंधित दिशानिर्देश जारी किए गए हैं. बिहार के पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग द्वारा. क्या है ये दिशानिर्देश. पढ़िए इस लेख में.
विश्व का सर्वाधिक पशुधन है भारत में
यह आंकड़े इस बात की तस्दीक करने के लिए पर्याप्त हैं कि कृषि व पशुपालन के बिना भारतीय अर्थव्यवस्था की कल्पना नहीं की जा सकती. विश्व का सर्वाधिक पशुधन भारत में है. इसके बाद अमेरिका में पाया जाता है. समस्त विश्व का कुल 19 प्रतिशत पशुधन भारत में है. कृषि क्षेत्र में पशुपालन का योगदान 30 प्रतिशत है. कुल राष्ट्रीय आय का लगभग 10 प्रतिशत ही हमें पशुधन से प्राप्त होता है. वहीँ भारत दुग्ध उत्पादन में प्रथम पायदान पर है.
बिहार में जारी किए दिशा निर्देश
बिहार के पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग ने अपने ट्विटर अकाउंट से प्रदेश के सभी पशुपालकों के लिए एक कैलेंडर जारी किया है, जिसके तहत कई दिशानिर्देश जारी किए गए हैं. इस लेख में पढ़िएं ये दिशानिर्देश.
-
पशुओं को अत्यधिक धूप से बचाने के लिए उपाय करने की बात कही गई है.
-
पशुओं के खुरपका और मुंहपका रोग से ग्रसित होने पर उनके उपचार की व्यवस्था करें और जब तक वे उपचाराधीन रहेंगे तब तक उन्हें अलग से खाने की व्यवस्था करने की बात कही गई है.
-
खुरहा और मुंहपका रोग से ग्रसित पशुओं के दूध को बछड़ों को न पीने दे. ऐसा होने पर तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें.
-
भेड़ बकरियों में पीपीआर, भेड़ चेचक होने की संभावना रहती है. इसके बचाव के लिए टीके भी निर्धारित किए गए हैं.
-
पशुओं को स्वस्थ्य रखने के लिए खनिज-मिश्रण समय-समय पर देते रहें. जिससे पशु प्रचुर मात्रा में दूध देते रहे.
समय-समय पर पशुपालन विभाग की तरफ से पशुपालकों के लिए इस तरह के दिशानिर्देश जारी किए जाते हैं, ताकि पशुपालकों को अपने पशुओं की देखभाल करने में सहायता मिल सकें.पशुपालक यदि पशुओं का ध्यान रखेंगे, बीमारियों से बचाव के टीके भी समय पर लगवाएंगे तो पशु स्वस्थ रहेंगे. और स्वस्थ पशुओं के कारण किसानो को आर्थिक लाभ भी होगा.
20वीं पशुधन गणना के महत्वपूर्ण निष्कर्ष निम्नलिखित हैं:
-
देश में कुल पशुधन आबादी 535.78 मिलियन है जो पशुधन गणना- 2012 की तुलना में 4.6 प्रतिशत अधिक है.
-
कुल गोजातीय आबादी (मवेशी, भैंस, मिथुन एवं याक) वर्ष 2019 में 302.79 मिलियन आंकी गई जो पिछली गणना की तुलना में लगभग 1 प्रतिशत अधिक है.
-
देश में मवेशी की कुल संख्याग वर्ष 2019 में 192.49 मिलियन है जो पिछली गणना की तुलना में 0.8 प्रतिशत ज्यादा है.
-
मादा मवेशी (गायों की कुल संख्या) 145.12 मिलियन आंकी गई है जो पिछली गणना (2012) की तुलना में 18.0 प्रतिशत अधिक है.
-
विदेशी/संकर नस्ल और स्वदे शी//अवर्गीय मवेशी की कुल संख्या देश में क्रमश: 50.42 मिलियन और 142.11 मिलियन है.
-
स्वेदेशी/अवर्गीय मादा मवेशी की कुल संख्या/ वर्ष 2019 में पिछली गणना की तुलना में 10 प्रतिशत बढ़ गई है.
-
विदेशी/संकर नस्ल वाली मवेशी की कुल संख्या वर्ष 2019 में पिछली गणना की तुलना में 26.9 प्रतिशत बढ़ गई है.
-
2012-2019 के दौरान स्व्देशी/अवर्गीय मवेशी की कुल संख्या में कमी की गति 2007-12 के लगभग 9 प्रतिशत की तुलना में अपेक्षाकृत काफी कम है.
-
देश में भैंसों की कुल संख्या 109.85 मिलियन है जो पिछली गणना की तुलना में लगभग 1.0 प्रतिशत अधिक है.
-
गायों और भैंसों में कुल दुधारू पशुओं की संख्या9 125.34 मिलियन है जो पिछली गणना की तुलना में 6.0 प्रतिशत अधिक है.
-
देश में भेड़ की कुल संख्या वर्ष 2019 में 74.26 मिलियन है जो पिछली गणना की तुलना में 14.1 प्रतिशत ज्यादा है.
-
देश में बकरी की कुल संख्या वर्ष 2019 में 148.88 मिलियन है जो पिछली गणना की तुलना में 10.1 प्रतिशत अधिक है.
-
वर्तमान गणना में देश में सुअर की कुल संख्या 9.06 मिलियन आंकी गई है जो पिछली गणना की तुलना में 12.03 प्रतिशत कम है.