Animal Fodder: केंद्रीय चरागाह एवं चारा अनुसंधान संस्थान, झांसी के वैज्ञानिकों ने अपने कृषि फार्म में अजोला फर्न (चारा) को इतना विकसित कर दिया है कि यह चारा पशुओं के लिए ड्राईफ्रूट का काम कर रहा है. संस्थान के वैज्ञानिकों ने बताया कि यहां विकसित इस चारे में 25 प्रतिशत से अधिक प्रोटीन पाया गया है, जो मवेशियों के लिए हर तरह से लाभकारी है. ऐसे में अगर आप भी अपने पशुओं को ये चारा खिलाते हैं, तो इससे उन्हें काफी फायदा होगा. वैज्ञानिकों का कहना है की ये कमजोर पशुओं को तंदुरुस्त बना देगा और इससे उनकी ताकत में भी बढ़ेगी.
सर्दियों में सबसे बेहतर चारा
वैज्ञानिकों के अनुसार, सर्दियों में अजोला सबसे अच्छा चारा माना जाता है. अजोला एक तरह की जलीय फर्न है, जो पानी की सतह पर उगता है. 2020 से संस्था ने इसे और उपयोगी बनाने के लिए काम करना शुरू किया था और इसके परिणामस्वरूप इस चारे में अब 25 प्रतिशत प्रोटीन विकसित हो गया है.
नमी वाली जमीन पर होता है अजोला
वैज्ञानिक बताते हैं कि नमी वाली जमीन पर यह जिंदा रहता है.अजोला के विकास के लिए उसे भूमि की सतह पर 5 से 10 सेंटीमीटर ऊंचे जलस्तर की जरूरत होती है. साथ ही 25 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान इसकी वृद्धि के लिए उपयुक्त माना जाता है.
पशुओं का ड्राईफ्रूट है ये चारा
केंद्रीय चरागाह एवं चारा अनुसंधान संस्थान के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. आरएस कंटवा ने बताया कि अजोला घास जिसे पशुओं के लिए ड्राईफ्रूट भी कहा जाता है, हमने अपने अनुसंधान फार्म में मवेशियों को इसका सेवन कराया और इससे पता चला कि अजोला का सेवन करने वाले मवेशियों की स्वास्थ्य सभी अन्य मवेशियों की तुलना में काफी बेहतर हो गया है. इसका मुख्य कारण यह है कि अजोला में दूसरे चारे की तुलना में 25 प्रतिशत से अधिक प्रोटीन पाया जाता है. यह दूसरे किसी चारे की तुलना में बहुत अधिक है. इस चारे को गाय, भैंस, बकरी सहित सभी पशुओं को खिला सकते हैं.
ऐसे पैदा करें अजोला चारा
अजोला चारा को किसान किसी भी खाली जगह पर पैदा कर सते हैं. इसके लिए, सबसे पहले एक छायादार जगह पर, 60 फुट लंबी, 10 फीट चौड़ी और दो फीट गहरी क्यारी तैयार करें. इन क्यारियों में कम से कम 120 गेज की सिलपुटिन शीट लगाई जाती है. इसके बाद, क्यारी में लगभग 100 किलो उपजाऊ मिट्टी बिछाएं. उसके पश्चात, 15 लीटर पानी में 5 से 7 किलो पुराने गोबर को मिलाकर घोल बना लें. क्यारी को 500 लीटर पानी से भर दें, जिसकी गहराई 12 सेंटीमीटर से 15 सेंटीमीटर तक रखें. उसके बाद, अजोला की बुवाई शुरू करें.