गर्मी के मौसम में पशुओं को हरा चारा अधिक खिलाए, पशु इसे चाव से खाता है तथा हरे चारे में 70-90 प्रतिशत जल की मात्रा होती है, जो समय-समय पर पशु शरीर को जल की आपूर्ति भी करता है. इस मौसम में पशुओं को भूख कम व प्यास अधिक लगती है. इसके लिए गर्मी में पशुओं को स्वच्छ पानी आवश्यकतानुसार अथवा दिन में कम से कम तीन बार अवश्य पिलाए इससे पशु शरीर के तापमान को नियंत्रित बनाए रखने में मदद मिलती है. इसके अलावा पानी में थोड़ी मात्रा में नमक व आटा मिलाकर पिलाना भी अधिक उपयुक्त है इससे अधिक समय तक पशु के शरीर में पानी की आपूर्ति बनी रहती है, जो शुष्क मौसम में लाभकारी भी हैं.
गर्मी के मौसम में दुग्ध उत्पादन एवं पशु की शारीरिक क्षमता बनाये रखने की दृष्टि से पशु आहार का भी महत्वपूर्ण योगदान है. गर्मी में पशुपालन करते समय पशुओं को हरे चारे की अधिक मात्रा उपलब्ध कराना चाहिए. इसके दो लाभ हैं, एक पशु अधिक चाव से स्वादिष्ट एवं पौष्टिक चारा खाकर अपनी उदरपूर्ति करता है, तथा दूसरा हरे चारे में 70-90 प्रतिशत तक पानी की मात्रा होती है, जो समय-समय पर जल की पूर्ति करता है. प्राय: गर्मी में मौसम में हरे चारे का अभाव रहता है. इसलिए पशुपालक को चाहिए कि गर्मी के मौसम में हरे चारे के लिए मार्च, अप्रैल माह में मूंग, मक्का, काऊपी, बरबटी आदि की बुवाई कर दें जिससे गर्मी के मौसम में पशुओं को हरा चारा उपलब्ध हो सके. ऐसे पशुपालन जिनके पास सिंचित भूमि नहीं है, उन्हें समय से पहले हरी घास काटकर एवं सुखाकर तैयार कर लेना चाहिए. यह घास प्रोटीन युक्त, हल्की व पौष्टिक होती है. गर्मी के दिनों में पशुओं के चारे में एमिनो पावर (Amino Power) और ग्रो बी-प्लेक्स (Grow B-Plex) मिलाकर देना लाभदायक रहता है.गर्मीं के दबाब के कारण पशुओं के पाचन प्रणाली पर बुरा असर पड़ता है और भूख कम हो जाती है, इस स्थिति से निपटने के लिये और पशुओं की खुराक बढ़ाने के लिये पशुओं को नियमित रूप से ग्रोलिव फोर्ट (Growlive Forte) देनी चाहिए
इस मौसम में पशुओं को भूख कम लगती है और प्यास अधिक. इसलिए पशुओं को पर्याप्त मात्रा में दिन में कम से कम तीन बार पानी पिलाना चाहिए. जिससे शरीर के तापक्रम को नियंत्रित करने में मदद मिलती है. इसके अलावा पशु को पानी में थोड़ी मात्रा में नमक एवं आटा मिलाकर पानी पिलाना चाहिए. पर्याप्त मात्रा में साफ सुथरा ताजा पीने का पानी हमेशा उपलब्ध होना चहिए. पीने के पानी को छाया में रखना चाहिए. पशुओं से दूध निकालनें के बाद उन्हें यदि संभव हो सके तो ठंडा पानी पिलाना चाहिए. गर्मी में 3-4 बार पशुओं को अवश्य ताजा ठंडा पानी पिलाना चाहिए पशु को प्रतिदिन ठण्डे पानी से भी नहलाने की सलाह दी जाती है.भैंसों को गर्मी में ३-४ बार और गायों को कम से कम २ बार नहलाना चाहिए .पशुओं को नियमित रूप से खुरैरा करना चाहिए .
खाने–पीने की नांद को नियमित अंतराल पर विराक्लीन(Viraclean) से धोना चाहिए. रसोई की जूठन और बासी खाना पशुओं को कतई नहीं खिलाना चाहिए.
कार्बोहाइड्रेट की अधिकता वाले खाद्य पदार्थ जैसे: आटा,रोटी,चावल आदि पशुओं को नहीं खिलाना चाहिए. पशुओं के संतुलित आहार में दाना एवं चारे का अनुपात 40 और 60 का रखना चाहिए. साथ ही व्यस्क पशुओं को रोजाना 50-60 ग्राम एलेक्ट्रल एनर्जी (Electral Energy ) तथा छोटे बच्चों को 10 -15 ग्राम एलेक्ट्रल एनर्जी (Electral Energy ) जरूर देना चाहिए. गर्मियों के मौसम में पैदा की गयी ज्वार में जहरीला पदर्थ हो सकता है जो पशुओं के लिए हानिकारक होता है. अतः इस मौसम में यदि बारिश नहीं हुई है तो ज्वार खिलाने के पहले खेत में 2-3 बार पानी लगाने के बाद ही ज्वार चरी खिलाना चाहिए.
पशुओं का इस मौसम में गलाघोंटू , खुरपका मुंहपका , लंगड़ी बुखार आदि बीमारियों से बचाने के लिए टीकाकरण जरूर कराना चाहिए जिससे वे आगे आने वाली बरसात में इन बीमारियों से बचे रहें.पशुओं को नियमित रूप से एलेक्ट्रल एनर्जी (Electral Energy) अवश्य देनी चाहिए.
गर्मी के दिनों में पशुओं के आवास प्रबंधन
पशुपालकों को पशु आवास हेतु पक्के निर्मित मकानों की छत पर सूखी घास या कडबी रखें ताकि छत को गर्म होने से रोका जा सके. पशु आवास के अभाव में पशुओं को छायाकार पेड़ों के नीचे बांधे. पशु आवास में गर्म हवाओं का सीधा प्रवाह नहीं होने पावे इसके लिए लकड़ी के फंटे या बोरी के टाट को गीला कर दें, जिससे पशु आवास में ठण्डक बनी रहे. पशु आवास गृह में आवश्यकता से अधिक पशुओं को नहीं बांधे तथा रात्रि में पशुओं को खुले स्थान पर बांधे. सीधे तेज धूप और लू से पशुओं को बचाने के लिए पशुशाला के मुख्य द्वार पर खस या जूट के बोरे का पर्दा लगाना चाहिए. पशुओं के आवास के आस पास छायादार वृक्षों की मौजूदगी पशुशाला के तापमान को कम रखने में सहायक होती है. गाय , भैस की आवास की छत यदि एस्बेस्टस या कंक्रीट की है तो उसके ऊपर 4-6 इंच मोटी घास फूस की तह लगा देने से पशुओं को गर्मी से काफ़ी आराम मिलाता है. पशुओं को छायादार स्थान पर बांधना चाहिए.
इन उपायों और निर्देशों को अपना कर दुधारू पशुओं की देखभाल एवं नवजात पशुओं की देखभाल उचित तरीके से की जा सकती है और गर्मी के प्रकोप और बीमारियों से बचाया जा सकता है तथा उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है.