खरीफ फसल की खरीदी का समय आ चुका है. कई राज्यों में खरीफ फसलों की खरीदी 1 अक्टूबर से शुरू हो गई है. हरियाणा सरकार ने भी कुछ फसलों की खरीदी 1 अक्टूबर से करना शुरू कर दिया है, तो वहीं कुछ फसलों की खरीदी बाद में शुरू करने का फैसला लिया है.
इसके बावजूद भी किसानों से फसलों की शत प्रतिशत खरीद समर्थन मूल्य (MSP) पर नहीं हो पाती है. ऐसे में किसानों को किसी तरह का नुकसान न हो, इसलिए हरियाणा सरकार ने बाजरे की खरीदी (Purchase of Millet) के भावांतर भरपाई योजना (Bhavantar Bharpayee Yojana) है. इसके के बाजरे की अंतर्गत करने का फैसला लिया है.
बाजरे की खरीद पर भावांतर (Price difference on the purchase of millet)
हरियाणा के किसानों के लिए एक बड़ी खुशखबरी यह है कि सरकार राज्य के किसानों को बाजरा की खरीदी पर भावांतर भुगतान करेगी. बता दें कि बाजरे के औसतन भाव और एमएसपी के अंतर को भावांतर मानते हुए मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल (Meri Fasal Mera Byora Portal) पर पंजीकृत किसानों की फसलों का सत्यापन किया जाएगा.
अगर यह जानकारी सही पाई जाती है, तो किसानों को औसतन उपज पर 600 रुपए प्रति क्विंटल भावांतर औसत उपज के अनुसार दिया जाएगा. बता दें कि केंद्र सरकार ने इस साल बाजरे के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य 2250 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है.
सरकार खरीदेगी बाजरा (Government will buy millet)
हरियाणा सरकार किसानों को 600 रुपए प्रति क्विंटल की दर से भावांतर भुगतान करेगी. इसके लिए मेरी फसल, मेरा ब्यौरा पोर्टल पर पंजीकृत करना होगा.
बता दें कि बाजरे की उपज का भाव मेनटेन करने के लिए 25 प्रतिशत उपज सरकारी एजेंसी खरीदेगी. मगर न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बाजरे की खरीदी पर भावांतर नहीं दिया जाएगा.
बाजरा बेचने के लिए कितने किसानों ने किया पंजीयन (How many farmers registered to sell millet)
जानकारी के लिए बता दें कि हरियाणा में खरीफ सीजन 2021–22 में बाजरे की फसल बेचने के लिए लगभग 2 लाख 71 हजार किसानों ने 8 लाख 65 हजार एकड़ भूमि के लिए पंजीयन कराया है. ये पंजीयन मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल के जरिए कराया गया है. इन सभी किसानों को सत्यापन के बाद 600 रुपए प्रति क्विंटल की दर से औसत उपज पर भावांतर का लाभ दिया जाएगा.
कब शुरू होगी बाजरे की खरीद? (When will the procurement of Bajra start?)
हरियाणा में खरीफ सीजन 2021–22 में 7 फसलों (धान, मक्का, मूंग, उड़द, अरहर, तिल और मूंगफली) की खरीदी की जाएगी. इसमें धान, मूंग, बाजरा और मक्के की खरीदी 1 अक्टूबर से शुरू होगी.
तो वहीं मूंगफली की खरीदी 1 नवम्बर से शुरू होगी. बता दें कि पहली बार अरहर, उड़द और तिल खरीदी करने जा रही है. दलहन और तिलहन की खरीदी 1 दिसम्बर से की जाएगी.
कितने बनाए गए खरीदी केंद्र (How many shopping centers have been created)
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बाजरे के लिए 86 खरीदी केंद्र
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मूंग के लिए 38 खरीदी केंद्र
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मक्का के लिए 19 खरीदी केंद्र
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धान के लिए 199 खरीदी केंद्र
बता दें कि इन सबके बावजूद भी 72 अतिरिक्त खरीदी केंद्र बनाने के लिए पहचान की गई है. अगर खरीदी केद्रों पर अधिक आवक होती है, तो इन स्थलों का उपयोग धान की खरीद के लिए किया जाएगा.
बाजरा की खेती छोड़ने पर 4 हजार प्रति एकड़ की सब्सिडी (4 thousand per acre subsidy on leaving millet cultivation)
किसानों को बाजरे की खेती के स्थान पर तिलहन और दलहन जैसी फसलों की खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. इन फसलों में मूंग, अरहर, अरंडी, मूंगफली आदि फसलें शामिल हैं. अगर किसान बाजरे की जगह वैकल्पिक फसलों की बुवाई करते हैं, तो 4 हजार रुपए प्रति एकड़ सब्सिडी प्रदान की जाएगी.