कृषि की वर्तमान दशा को सुधारने के लिए सरकार कोशिश में रहती है कि जल्द से जल्द किसान सफलता हासिल करें. ऐसे में जहां 5 दिसंबर को ही वर्ल्ड सॉइल डे (World Soil Day) मनाया गया है. वहीं, एक ख़बर बिहार (Bihar) से भी आयी है कि इस साल सरकार 3.5 लोगों को सॉइल हेल्थ कार्ड (Soil Health Card) बांटेगी.
गौरतलब है कि बिहार ने साल 2015 से अब तक सॉइल की जांच और उर्वकता मैपिंग के लिए सॉइल हेल्थ कार्ड योजना (Soil Health Card Scheme) की अगुवाई की है. यहां के निदेशक राजीव रंजन (Director Rajeev Ranjan) के अनुसार, विश्व के 2 फीसदी भूमि से 17 प्रतिशत आबादी का भरण-पुरण इसी मिट्टी से हो रहा है.
मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना की शुरुआत (Soil health card scheme launched)
मिट्टी के पोषक तत्वों की गिरावट को दूर करने के उद्देश्य से वित्तीय वर्ष 2014-15 के दौरान मोदी सरकार (Modi Goverment) द्वारा शुरू की गई मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना का फल मिलना शुरू हो गया है. योजना के दूसरे चरण में पिछले दो वर्षों में 11.69 करोड़ मृदा स्वास्थ्य कार्ड किसानों को वितरित किए गए हैं.
क्या है सॉइल हेल्थ कार्ड योजना (What is Soil Health Card Scheme)?
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन और केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर (Union Minister of Agriculture and Farmers Welfare Shri Narendra Singh Tomar) के निर्देश पर मंत्रालय मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी कर रहा है. इसने किसानों को मिट्टी के स्वास्थ्य मापदंडों को समझने और मिट्टी के पोषक तत्वों और इसकी उत्पादकता में सुधार करने में सक्षम बनाया है.
राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद (National Productivity Council) द्वारा किए गए एक अध्ययन में कहा गया है कि मृदा स्वास्थ्य कार्ड की सिफारिशों को लागू करने से रासायनिक उर्वरकों के उपयोग में 8-10% की गिरावट आई है और उत्पादकता में 5-6% की वृद्धि हुई है.
केंद्र सरकार की मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना चरण 1- वर्ष 2015 से 2017 के तहत 10.74 करोड़ कार्ड वितरित किए गए, जबकि चरण- 2 के तहत 2017-19 की अवधि के दौरान 11.69 करोड़ कार्ड वितरित किए गए थे.
पायलट प्रोजेक्ट हुआ लॉन्च (Pilot project launched)
वर्तमान फाइनेंसियल साल में एक पायलट प्रोजेक्ट "आदर्श गांवों का विकास" (Development of Model Villages) लागू किया जा रहा है. जिसके तहत किसानों के साथ साझेदारी में खेती योग्य मिट्टी के नमूने और परीक्षण को प्रोत्साहित किया जा रहा है. परियोजना के तहत मिट्टी के नमूने एकत्र करने और प्रत्येक कृषि जोत के विश्लेषण के लिए एक आदर्श गांव का चयन किया गया है. इस योजना के तहत वर्ष 2019-20 के दौरान 13.53 लाख मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित किए गए हैं.
वहीं, इस योजना के तहत मृदा स्वास्थ्य प्रयोगशालाओं की स्थापना के लिए राज्यों को 429 स्टेटिक लैब, 102 नई मोबाइल लैब, 8,752 मिनी लैब, 1,562 ग्राम स्तर की प्रयोगशालाएं और 800 मौजूदा लैब को मजबूत करने की मंजूरी दी गई है.
मिट्टी की सुधार के लिए कदम (Steps to improve soil)
यह योजना राज्य सरकारों द्वारा हर दो साल में एक बार मिट्टी की संरचना के विश्लेषण का प्रावधान करती है, ताकि मिट्टी के पोषक तत्वों में सुधार के लिए उपचारात्मक कदम उठाए जा सकें. इसके जरिए किसान अपनी मिट्टी के सैम्पल्स को ट्रैक कर सकते हैं और अपनी सॉइल हेल्थ कार्ड रिपोर्ट भी प्राप्त कर सकते हैं.
जहां मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन योजना किसानों के लिए वरदान साबित हुई है, वहीं किसानों के लिए रोजगार (Employment) भी पैदा कर रही है. इस योजना के तहत गांव के युवा और 40 वर्ष तक के किसान मृदा स्वास्थ्य प्रयोगशाला स्थापित करने और परीक्षण करने के लिए पात्र हैं. एक प्रयोगशाला की लागत पांच लाख रुपये तक होती है, जिसका 75% केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा वित्त पोषित किया जा सकता है.
युवाओं को मिलता है रोजगार (Youth get employment)
इच्छुक युवा किसान और संगठन अपने प्रस्ताव व्यक्तिगत रूप से उप निदेशक या संबंधित जिलों में अपने कार्यालयों में जमा कर सकते हैं. अधिक जानकारी के लिए वेबसाइट agricoop.nic.in या soilhealth.dac.gov.in देखें या किसान कॉल सेंटर (1800-180-1551) डायल करें.