देश में कई ऐसे किसान है जिनको खेती करने से ज्यादा फायदा नहीं होता, वे आर्थिक रूप से भी कमजोर है. साथ ही कोरोना संक्रमण के इस कठिन वक़्त में किसानों के हालत और भी गंभीर होते जा रहे है. ऐसे ही आर्थिक रूप से कमजोर किसानों को समृद्ध कर आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से जहां एक तरफ देश के लघु और सीमान्त किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत, हर साल छह हजार रुपए की आर्थिक सहायता दी जा रही हैं. वहीं केंद्र और राज्य सरकार के संयुक्त सहयोग से लघु तथा सीमान्त किसानों को 15 लाख रुपए तक की आर्थिक मदद देने की योजना है. तो आइए जानते हैं क्या है एफपीओ और कैसे किसानों के लिए यह मददगार है-
क्या होते हैं FPO?
एफपीओ का पूरा नाम किसान उत्पादक संगठन (Farmer Producer Organization) है. यह प्रगतिशील किसानों का संगठन है. इस योजना का उद्देश्य खेती को मुनाफे का धंधा बनाना है.छोटे और सीमान्त किसानो की संख्या ८६ फीसदी है , जिनके पास देश में १.१ हेक्टेयर से कम औसत खेती है . इन छोटे , सीमांत और भूमिहीन किसानों को कृषि उत्पादन के दौरान कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. साथ ही इन किसानों को आर्थिक कमजोरी के कारण अपने उत्पादों की मार्केटिंग की चुनौतियों का भी सामना करना पड़ता है. किसानों की इन सभी समस्याओं को दृष्टिगत रखते हुए एफपीओ का गठन किया गया .
एफपीओ से छोटे, सीमांत और भूमिहीन किसानों के सामूहीकरण में सहायता होती है और इन मुद्दों से निपटने में किसानों की सामूहिक शक्ति बढ़ती है. किसानों की फसल को बेहतर बाजार उपलब्ध करवाने के लिए इस योजना को शुरू किया गया है. बता दें कि किसी भी एफपीओ का कंपनी एक्ट के तहत पंजीयन करवाना आवश्यक होता है. इन्हीं एफपीओ संगठनों को केंद्र तथा राज्य सरकार मिलकर 15 लाख रुपए की मदद देती है.
कैसे बनता है संगठन
किसान उत्पादक संगठन कम से कम 11 किसानों को शामिल करके बनाया जाता है. इसी संगठन को सरकार 3 सालों में 15 लाख रूपये की सहायता प्रदान करती है. इस आर्थिक मदद को लेने के लिए देश के मैदानी क्षेत्रों में काम करने वाले एफपीओ में, कम से कम 300 किसान शामिल होने चाहिए. वहीं पहाड़ी इलाकों में १०० किसानों का संगठन होना चाहिए .
क्यों मिलता है पैसा
एफपीओ को यह रकम किसानों की मदद के लिए दी जाती है. इसके जरिए किसान खेती के लिए आवश्यक सामान की खरीदी कर सकते हैं. जैसे किसान खाद, बीज, उर्वरक तथा दवाइयां खरीदने के लिए यह मदद ले सकते हैं. गौरतलब हैं केंद्र सरकार ने साल 2024 तक के लिए पीएम किसान एफपीओ स्कीम के तहत करीब 6885 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं.
FPO के मुख्य कार्य
लोन देना-एफपीओ किसानों को खेती की जरूरतों को पूरा करने के लिए लोन प्रदान करते हैं. किसान ट्रैक्टर खरीदने, पाइप लाइन बिछाने के लिए , पंप सेट खरीदने तथा कुंओं के निर्माण के लिए लोन ले सकते हैं.
खाद बीज-किसानों को FPO कम लागत में अच्छी गुणवत्ता की खाद, बीज, उर्वरक, कीटनाशक, पंप सेट समेत अन्य जरूरत की चीजें उपलब्ध कराएंगे.
बाजार-एफपीओ सदस्य किसानों के उत्पादन की खरीददारी करके, उसके भंडारण तथा पैकिंग कर बाजार में बेचने का काम करेगा. जिससे किसानों को अपने उत्पादन को अच्छा मुनाफा मिल सकेगा.
बिचौलियों से छुटकारा
बता दें एफपीओ संगठन बनाने का उद्देश्य किसानों की फसल को बेहतर बाजार मुहैया कराना है. इससे किसानों को बिचौलियों या दलालों से छुटकारा मिलेगा. गौरतलब हैं कि कई बार किसानों की फसल की लागत भी नहीं निकल पाती है जबकि बिचौलिए इसी फसल से मोटा पैसा बना लेते हैं. ऐसे में यदि किसानों को बेहतर बाज़ार मिलेगा तो उनकी आमदानी में बढ़ोत्तरी होगी. इसके अलावा देश के छोटे व सीमान्त किसान एफपीओ संगठन के जरिये अपनी फसल को बेहतर भाव में बेचकर अच्छी कमाई कर सकेंगे. इस योजना के जारी वर्ष 2024 तक 10 हजार एफपीओ बनाए जाएंगे .
तो किसान भाइयों आप भी किसान उत्पादक संगठन के साथ जुडकर सरकार की इस योजना का लाभ ले सकते है. आपके लाभ के लिए बनायी गई सरकार की अन्य योजनाओं के बारे में जानने के लिए पढ़ते रहिए कृषि जागरण की हिंदी वेबसाइट के हर लेख को.