Natural Farming: केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने देश के किसानों के लिए एक खबर दी है. किसानों को अच्छे लाभ और बढ़िया पैदावार के लिए प्राकृतिक खेती करने पर जोर देना चाहिए. देखा जाए तो अच्छी सेहत व प्रकृति को बचाएं रखने के लिए भी किसानों को अब धीरे-धीरे प्राकृतिक खेती/Natural Farming को अपनाने की तरफ कदम बढ़ाने चाहिए. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बीते कल यानी शुक्रवार के दिन उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में प्राकृतिक खेती के विज्ञान पर क्षेत्रीय परामर्श कार्यक्रम को संबोधित के दौरान प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने पर अधिक जोर दिया.
शिवराज सिंह चौहान ने कार्यक्रम के दौरान किसानों से आह्वान करते हुए कहा कि अगर किसान अपने खेत में प्राकृतिक खेती/Natural Farming करते हैं, तो ऐसे किसानों को सरकार करीब 3 साल तक सब्सिडी की सुविधा उपलब्ध कराएगी.
रसायन मुक्त खेती को बढ़ावा
'प्राकृतिक खेती के विज्ञान पर क्षेत्रीय परामर्श कार्यक्रम' में शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि हम प्रधानमंत्री के सपने धरती मां को रसायनों से मुक्त करने को पूरी करने की कोशिश करेंगे. उन्होंने कहा कि आने वाले समय में देश के किसानों को रसायन मुक्त खेती की तरफ बढ़ावा दिया जाएगा. ताकि आने वाली पीढ़ी स्वस्थ रह सकें.
प्राकृतिक खेती के लिए 3 सालों तक मिलेगी सब्सिडी
लखनऊ में आयोजित किए गए 'प्राकृतिक खेती के विज्ञान पर क्षेत्रीय परामर्श कार्यक्रम' में केंद्रीय कृषि मंत्री चौहान ने कहा कि सरकार के द्वारा प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों को तीन सालों तक सब्सिडी की सुविधा उपलब्ध करवाई जाएगी. क्योंकि प्राकृतिक खेती करने से पैदावार कम होती है, ऐसे में किसान को किसी भी तरह के आर्थिक नुकसान का सामना न करने पड़े और वह अपनी आय से अपने परिवार का पालन-पोषण कर सकें. इसके लिए सरकार तीन सालों तक बेहतर सब्सिडी देगी. इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि जब किसान अपने खेत में प्राकृतिक तरीके से फल और सब्जियों की खेती करेंगे, तो यह उनकी आय बढ़ाने में मददगार साबित होगी. क्योंकि बाजार में प्राकृतिक खेती के द्वारा उगाई गई सब्जियों-फल के उच्च दाम होते हैं.
एक करोड़ किसानों को किया जाएगा जागरूक
शिवराज सिंह चौहान ने अपने संबोधन में यह भी कहा कि प्राकृतिक खेती के बारे में छात्रों व किसानों को जागरूक करने के लिए देशभर में कृषि विश्वविद्यालयों में प्रयोगशालाएं स्थापित किए जाएंगे. इन कृषि विश्वविद्यालयों/Agricultural Universities में लगभग एक करोड़ किसानों को प्राकृतिक खेती के बारे में जागरूक व प्रशिक्षण दिया जाएगा. ताकि वे किसान अन्य छोटे किसानों को भी प्राकृतिक खेती करने की सलाह व प्रचार कर सकें.