रबी की फ़सल बुवाई अक्टूबर के अंतिम सप्ताह से लेकर 15 नवम्बर तक होती हैं. रबी की फसल को बुवाई के समय कम तापमान और इसके बिपरीत पकते समय शुष्क और गर्म वातावरण की आवश्यकता होती है. उदहारण के लिए रबी फसल में कठिया गेहूं, देशी चना, अलसी व सरसों ,अनाज, दलहन व तिलहन आदि आती है. ये सभी फसलें कम पानी में हो जाती हैं. यदि ये फसलें देशी प्रजाती की हों, तो सूखा को सहन करने की क्षमता इनके अंदर और मौसम वाली फसलों की तुलना में अधिक होता हैं. इसके साथ ही ये सभी फसलें किसान की खाद्यान्न आपूर्ति के लिए भी सहायक होती हैं. फसलों की विविधता होने से किसान को जोखिम भी कम उठाना पड़ता है अर्थात् जोखिम की संभावना कम हो जाती है.
रबी की फसल कटाई फरवरी के अंतिम सप्ताह से लेकर अप्रैल महीने अंतिम सप्ताह तक हो जाती है. फसल की कटाई करने के बाद इन फसलों को अच्छी तरह से सुखाते है. बता दें कि गेहूं की फसल छोड़कर किसी भी फसल की मढ़ाई थ्रेसर से नहीं की जाती है. उदाहरण के लिए चना की बात करते हैं तो चना मढ़ाई थ्रेसर से करेगें तो चना फट जायेगा. इसी प्रकार अलसी भूसे के साथ उड़ जाएगी और इससे किसान का नुकसान होगा.
बता दें, रबी फसल की कटाई के समय देश में लॉकडाउन लगा हुआ है. इस समय किसान अपनी फसल को समर्थन मूल्य पर बेचने के लिए मंडियों में नहीं ले जा सकते तो इस स्थित में किसान फसलों का भण्डारण स्वंम अथवा सरकार द्वारा बनाए गए भण्डार गृह में कर सकते हैं. यदि आप भी किसान है और आप अपनी उपज का भण्डारण करना चाहते तो आपको राजस्थान सरकार इसके लिए सहायता राशि (सब्सिडी) दे रही है. इस सब्सिडी योजनान्तर्गत प्रदेश के समस्त जनपद के प्रत्येक वर्ग एवं श्रेणी के कृषक बीजशोधन हेतु तथा अन्य कार्यमदों में लघु एवं सीमान्त कृषक जिसमें अनुसूचित जाति एवं जनजाति तथा महिला कृषक सम्मिलित हो, को लाभान्वित किया जा रहा है. बता दें, भण्डारण के लिए सामान्य वर्ग के किसानों को 50 प्रतिशत और अनुसूचित जाति एवं जनजाति के किसानों को 60 प्रतिशत सब्सिडी देने प्रावधान है.
सब्सिडी का लाभ उठाने के लिए इस लिंक पर विजिट करें :- http://www.agriculture.rajasthan.gov.in/content/agriculture/en/RSWC-dep/farmers-facility/farmers-facility-I.html
नोट :- यदि आप सरकार के बनाए भण्डार गृह में भण्डारण करते है तो आपको बीमा प्रभार में छूट नहीं मिलेगी.