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Updated on: 5 December, 2020 12:00 AM IST
MNREGA

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा / MNREGA) भारत में लागू किया गया एक रोजगार गारंटी योजना है, जिसे 25 अगस्त, 2005 को कानून द्वारा अधिनियमित कर पारित किया गया था. यह योजना प्रत्येक वित्तीय वर्ष में ग्रामीण परिवार के वयस्क सदस्यों को 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराती है. ग्रामीण भारत में रहने वाले लोगों के लिए यह योजना शुरू की गई थी. इस अधिनियम को ग्रामीण लोगों की खरीद शक्ति को बढ़ाने के उद्देश्य से शुरू किया गया था. इस योजना में ग्रामीण क्षेत्र के अर्ध-कौशलपूर्ण या बिना कौशलपूर्ण काम करने वाले लोग या चाहे वे गरीबी रेखा से नीचे हों या ना हों, सभी लोगों के लिए चालू की गई है. शुरूआत में इसे राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (NREGA) कहा जाता था, मगर 2 अक्टूबर 2009 को इसका नाम बदलकर महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MNREGA) कर दिया गया.

क्या करें योजना में भाग लेने के लिए (What to do to participate in the scheme)

ग्रामीण परिवारों के वयस्क सदस्य, ग्राम पंचायत में एक फोटो के साथ अपना नाम, उम्र और पता प्रमाण पत्र जमा करवाना पड़ता है. जांच प्रक्रिया के बाद पंचायत, घरों को पंजीकृत करता है और एक जॉब कार्ड देता है. जॉब कार्ड में पंजीकृत वयस्क सदस्य का ब्यौरा और उसकी फोटो शामिल होती है. पंजीकृत व्यक्ति को पंचायत या कार्यक्रम अधिकारी को लिखित रूप से काम करने के लिए एक आवेदन प्रस्तुत करना होता है. यह काम कम से कम लगातार चौदह दिनों के लिए होता है. दैनिक बेरोजगारी भत्ता के रूप में आवेदक को भुगतान किया जाता है. इस अधिनियम के तहत महिलाओं और पुरुषों के बीच किसी भी भेदभाव की अनुमति नहीं दी जाती. अतः पुरुषों और महिलाओं को समान वेतन भुगतान किया जाता है. परिवार के सभी वयस्क रोजगार के लिए आवेदन कर सकते हैं.

मनरेगा योजना का क्रियान्वयन (Plan implementation of MNREGA Scheme)

सबसे पहले पंचायत द्वारा एक प्रस्ताव ब्लॉक कार्यालय में दिया जाता है और फिर ब्लॉक कार्यालय निर्णय लेता है कि काम मंजूर किया जाना चाहिए या नहीं. राज्य सरकारों को यह अधिनियम मनरेगा योजना को लागू करने के निर्देश देता है. मनरेगा के अन्दर केन्द्र सरकार मजदूरी लागत, माल लागत का तीन चौथाई और प्रशासनिक लागत का कुछ प्रतिशत वहन करती है तथा राज्य सरकारें बेरोजगारी भत्ता, माल लागत का एक चौथाई और राज्य परिषद की प्रशासनिक लागत को वहन करती है. इसमें बेरोजगारी भत्ते की राशि को तय करना राज्य सरकार पर निर्भर है. मनरेगा के श्रेष्ठ क्रियान्वयन के लिए यह आवश्यक है कि ग्रामीण क्षेत्रों में इसका लाभ अधिक से अधिक पहुँचे. इसके लिए ग्राम पंचायत द्वारा नियमित रूप से ग्राम सभाओं का आयोजन करवाना अनिवार्य है. इसके लिए सभी ग्राम सभाओं की मीटिंग की वीडियो फिल्म भी बनाई जानी चाहिए. इस वीडियो का सदुपयोग जिला कार्यक्रम समन्वयक, खण्ड कार्यक्रम अधिकारी और ग्राम पंचायत/ग्राम सभा द्वारा लिए गए निर्णयों को लागू करने और मनरेगा के अच्छे क्रियान्वयन के लिए किया जा सकता है.

पंचायत स्तर पर महत्त्वपूर्ण चरणों का पालन करना (Important steps to be followed at Panchayat level)

ग्राम पंचायत के प्रधानों को मनरेगा प्रक्रिया की महत्त्वपूर्ण चरणों का पालन करना जरूरी है. ये चरण हैं-

पंजीकरण (Registration): पंजीकरण के लिए ग्रामीण परिवारों के व्यस्क सदस्यों का एकल परिवार पात्र है. अगर किसी परिवार में केवल एक की सदस्य हैं, तो उसे भी एक परिपूर्ण परिवार के रूप में माना जाता है.

पंजीकरण की वैधता (Validity of Registration): पंजीकरण (Registration) की वैधता पाँच वर्षों के लिए लागू होती है.  

जॉब कार्ड (Job Card): जाँच पूरी करने के बाद ग्राम पंचायत, पन्द्रह दिनों के अन्दर, परिवार को जॉब कार्ड जारी करना आवश्यक है. इस जॉब कार्ड पर सभी व्यस्क सदस्यों की फोटो के साथ नाम, आयु की जानकारी देना अनिवार्य है. यह जॉब कार्ड राज्य सरकार द्वारा जारी किए गए विवरण के अनुसार भी बनाया जाना चाहिए.

विवरण (Description): ऐसे सभी ग्रामीण परिवारों ने पंजीकरण के लिए लाभार्थी का नाम, आयु और पते का विवरण पंचायत ऑफिस में जमा किया जाना है.

समानता (Equality): परिवारों के पंजीकरण करते समय जाति, लिंग अथवा अन्य किसी भी प्रकार का भेद-भाव नहीं किया जाना चाहिए. महिला हो जा पुरुष सभी को समान वेतन दिया जाएगा.

जाँच (Checking): ग्राम पंचायत का यह भी काम होगा कि जिन परिवारों ने पंजीकरण के लिए विवरण जमा किया है, वे इसी पंचायत के निवासी होने चाहिए और उनके द्वारा दी उनकी आयु अभिलेखानुसार सही है. वे काम करने के लिए इच्छुक होने चाहिए.

मनरेगा के कार्य/गतिविधियां (Work / Activities of MNREGA)

मनरेगा दोनों लक्ष्यों ग्रामीण विकास और रोजगार के साथ काम करता है. इस योजना में जल संरक्षण और संचयन, नए टैंक/तालाबों की खुदाई, छोटे बांधों का निर्माण, भूमि समतल, वृक्षारोपण, ग्रामीण संपर्क-तंत्र, बाढ़ नियंत्रण, तटबंधों का निर्माण और मरम्मत आदि कार्य शामिल किए गए है.

समय समय पर हुई इस योजना की आलोचना (This plan was criticized from time to time)

2011 में, कार्यक्रम की व्यापक रूप से आलोचना की गई थी क्योंकि अन्य योजना की तुलना में अधिक प्रभावी नहीं थी. इस योजना की काफी आलोचना भी हुई है और तर्क दिया गया कि यह योजना भी गरीबी उन्मूलन की अन्य योजनाओं से अधिक प्रभावी नहीं हो रही है. भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) इस योजना की ओडिटिंग करता है. कई बार इसमें बड़ी कमियां पाई गई है.

एक अन्य आलोचना यह है कि सार्वजनिक कार्य जैसे जल संरक्षण, भूमि विकास, वनीकरण, सिंचाई प्रणाली का प्रावधान, सड़क निर्माण, या बाढ़ नियंत्रण पर अमीर वर्ग द्वारा कब्जा किया जा सकता हैं. ऐसा भी देखा गया है कि स्थानीय सरकारों ने काम में लगे लोगों की वास्तविक संख्या, जॉब कार्ड में दर्ज संख्या से कम पाई जाती है यानि जॉब कार्ड में दर्ज संख्या अधिक होती है पर हकीकत में जमीन पर कार्यरत व्यक्ति कम पाये जाते हैं. यह इसलिए किया जाता है कि जॉब कार्ड की संख्या से आवश्यकता से अधिक फंड को हासिल किया जा सके और जिसे स्थानीय अधिकारियों द्वारा गबन किया जा सके. यह भी पाया गया है कि जॉब कार्ड बनवाने में स्थानीय नागरिक को कुछ रिश्वत दी जाती है.

मनरेगा में लिए गए नए फैसले (New Decisions taken in MNREGA)

मोदी सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है जिसमें मजदूरी के अलावा नए प्रशिक्षण देने का भी निर्णय लिया है. खास बात यह है कि इस प्रशिक्षण के दौरान हर दिन मजदूरों को भत्ता भी दिया जाएगा. ये समस्त तरह के प्रशिक्षण आपके नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र पर दिए जाएंगें. इन प्रशिक्षण में एग्रीकल्चर टेक्निकल ट्रेनिंग के साथ-साथ ऑर्गेनिक खाद, कृषि उत्पाद के मूल्य बढ़ाने के लिए उत्पाद को बेहतर करना, अन्य कृषि संबन्धित कार्य शामिल है. इसका फायदा 18 से 35 साल के लोगों द्वारा लिया जा सकता है. भूमि सुधार, खेत तालाब, चारागाह विकास और नर्सरी जैसे नए काम भी इस योजना में शामिल किए गए है.

मोदी सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय ने कोरोना महामारी के समय लॉकडाउन (Lockdown) को देखते हुए कामगारों के वेतन में 20 रुपए का इजाफ़ा करने के आदेश दिए हैं. राज्य सरकारों ने भी सहमति जाहीर कर 20 रुपए का इजाफ़ा कर दिया है. मनरेगा मजदूरी 1 अप्रैल, 2020 से संशोधित की जा चुकी है. वर्ष 2020-21 की पहली किश्त राज्यों को जारी कर दी गई है.

मनरेगा योजना के अंतर्गत देश में लगभग 12 करोड़ जॉब कार्ड ग्रामीण क्षेत्रों में वितरित किए गए हैं. मनरेगा के तय 264 कार्यों में से 162 कार्य कृषि से संबंधित हैं जिस पर मनरेगा के पूरे बजट का 66 प्रतिशत खर्च किया जाता हैं.

अधिक जानकारी के लिए https://nrega.nic.in/netnrega/home.aspx पर विजिट करें.

English Summary: Complete information about MNREGA scheme
Published on: 05 December 2020, 07:19 IST

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