केंद्र सरकार अब किसानों को जैविक खेती के लिए प्रोत्साहित कर रही है सरकार ने इसके लिए अलग से बजट की भी व्यवस्था की है. देश के कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के अनुसार किसानों को सरकार अब प्राकृतिक या जैविक खेती के लिए प्रोत्साहित करने पर बल दे रही है. उन्होंने बताया कि अगर किसान अपनी अच्छी फसल के लिए रासायनिक उर्वरक का प्रयोग करना भी चाहते हैं तो पहले उनको मृदा का परीक्षण करवाना चाहिए उसके बाद आवश्यकता के अनुसार ही उनको रासायनिक उर्वरक का उपयोग करना चाहिए. सरकार इस दिशा में किसानों को अधिक से अधिक जोड़ने का प्रयास कर रही है. सरकार 3 साल में एक करोड़ से ज्यादा किसानों को प्राकृतिक खेती की इस धरा में जोड़ेगी.
1500 करोड़ रूपये के बजट का है प्रावधान
केंद्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने एक जनसभा को संबोधित करते हुए बताया कि उनकी सरकार किसानों के हितों में निरंतर काम कर रही है. सरकार का लक्ष्य किसानों की आय को बढ़ाना और उनको समृद्ध करना. इसके साथ ही सरकार प्राकृतिक खेती पर भी जोर दे रही है. सरकार ने इस दिशा में किसानों को आगे बढ़ाने के लिए 1500 करोड़ रुपये के बजट का भी प्रावधान रखा है. कृषि मंत्री ने बताया कि सरकार अब रासायनिक खेती को बढ़ावा न देते हुए किसानों को अच्छे बीज और जैविक खाद की व्यवस्था पर जोर दे रही है. जिससे किसानों की फसल को उनकी मृदा के अनुसार ही बीजों को उपलब्ध करा कर प्राकृतिक खेती को बढ़ाया जा सके.
किसानों की आय में वृद्धि करेगी जैविक खेती
किसानों की आय में यह जैविक खेती उनकी वर्तमान आय से कई गुना तक की वृद्धि कर सकती है. सरकार के अनुसार एक बार किसान को इस धारा में लाने के बाद इससे संबंधित कई तरह के अन्य रोजगार स्वतः ही उत्पन हो जायेंगे, जो किसानों की आय को कई गुना तक बढ़ा सकते हैं. इससे किसान खेती के साथ ही एक अन्य व्यवसायिक गतिविधि का हिस्सा भी बन सकेगा. सरकार किसानों को जीवामृत खाद को बनाने और उसे खुद के खेतों में प्रयोग में लाने के लिए जोर दे रही है. किसान इस खाद को बनाने के बाद इसे खुद के प्रयोग में तो ला ही सकते हैं साथ ही इसे व्यावसायिक रूप में भी प्रयोग कर सकते हैं.
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जानें क्या होती है जीवामृत खाद
रासायनिक खाद के बढ़ते प्रयोग को देखते हुए सरकार अब फिर से जैविक खेती को प्रोत्साहित करते हुए देखी जा सकती है. वह किसानों को जीवामृत खाद के लिए भी कई योजनाओं के माध्यम से प्रोत्साहित कर रही है. यह खाद गुड़, गोमूत्र, बेसन, गोबर आदि के मिश्रण से तैयार की जाती है. इसके लिए किसान को किसी बाज़ार से कोई खर्चा नहीं करना पड़ता है बल्कि खुद के खेत या घर पर तैयार होने वाली यह खाद किसान खुद ही बना सकता है. एक बार तैयार होने के बाद किसान इसे 6 महीने तक प्रयोग में ला सकता है.
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नैनो यूरिया एवं नैनो डीएपी को किया विकसित
भारत के वैज्ञानिको ने फसल में पड़ने वाली यूरिया या कोई अन्य रासायनिक खाद को लेकर भी नैनो तकनीकी का विकास किया है. वैज्ञानिकों द्वारा हुए इस तकनीकी को फसलों में खाद की सही मात्रा को उपलब्ध कराना था. इस तकनीकी विकास के बाद किसान अपने खेतों में पड़ने वाली खाद की मात्रा को सही अनुपात में डाल सकेंगें. इससे भूमि की उर्वरता को स्थिरता को प्रदान करने में भी सहायता मिलेगी. साथ ही पौधों को उनकी आवश्यकता के अनुसार ही खाद उपलब्ध हो पायेगी. इससे किसानों को खाद पर होने वाले अनावश्यक खर्च से भी छुटकारा मिलेगा.