किसानों का सब्जी की खेती की ओर रुझान बढ़ाने के लिए सहकारिता व कृषि विभाग द्वारा एक बड़ी पहल की गई है. दरअसल बिहार के सहरसा जिले के लोगों को सब्जी के लिए आत्मनिर्भर बनाने हेतु सहकारिता व कृषि विभाग द्वारा एक रणनीति बनाई गई है. जिसका व्यापक स्तर पर स्थानीय लोगों को लाभ मिलेगा. इस रणनीति द्वारा सहरसा जिले में हरी सब्जी का भरपूर उत्पादन होगा और अपनी आत्मनिर्भरता के साथ-साथ जिले के किसान दूसरे जिलों में भी सब्जी निर्यात कर सकेंगे.
वैसे सहरसा जिले के कुछ गांवों में वर्तमान समय में भी सब्जी की उन्नत तरीके से खेती होती है. लेकिन नजदीक में कोई बाजार नहीं होने के कारण किसानों को इसका वो मूल्य नहीं मिल पाता है जो मिलना चाहिए. इसी के मद्देनजर 'कृषि विभाग' ने बिहार के कोसी क्षेत्र के बाढ़ प्रभावित प्रखंडों में 'दियारा विकास योजना' के तहत सब्जी की खेती कराने की रणनीति बनाया है. इसके अंतर्गत खेतों से बाढ़ का पानी उतर जाने के बाद भिंडी, नेनुआ, करेला, खीरा, पालक, मूली आदि की खेती कराने की योजना बनाया है.
सब्सिडी पर सब्जी का बीज
खेती के लिए किसानों को सब्सिडी पर सब्जी का बीज मुहैया कराया जाएगा, वहीं इसको बेचने के लिए भी सुविधा मुहैया करवायी जाएगी. वहीं दूसरी ओर सहकारिता विभाग द्वारा 'आइसीडीपी योजना' के तहत राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम की टीम ने क्षेत्र भ्रमण के बाद सब्जी मंडी की स्थापना और खेती के लिए भेजे गए प्रस्ताव पर अपनी सहमति दे दी है. गौरतलब है कि इससे आनेवाले दिनों में लोगों को रोजगार भी मिलेगा और क्षेत्र का आर्थिक विकास भी हो सकेगा.
स्थापित होगी सब्जी मंडी
अब तक सहरसा जिले के मुख्यालय में एक सब्जी मंडी है. जिसके वजह से किसानों की सब्जी का दुकानदार अपने हिसाब से दाम लगाते हैं. एक मंडी पर निर्भरता के कारण उन्हें उचित मूल्य नहीं मिल पाता है. वाहन शुल्क व सब्जी खराब होने के भय से किसानों को दुकानदारों द्वारा तय कीमत में ही सब्जी बेचने को मजबूर होना पड़ता है. अब जिले के दोनों अनुमंडल और सभी 10 प्रखंडों में मंडी बनाई जाएगी. जहां नजदीक के किसान अपनी सब्जी बेच पाएंगे. अत्यधिक उत्पादन होने पर उसे अगल-बगल के जिलों में भी बेचा जाएगा.
50 फीसद ऋण
योजना के प्रावधान के मुताबिक, सहकारी समितियों को मंडी निर्माण व सब्जी की खेती के लिए ऋण की सुविधा उपलब्ध करायी जायेगी. जिसके तहत कुल लागत का 50 फीसद ऋण मिलेगा. जिसमें 25 फीसद सब्सिडी और 25 फीसद ब्याजरहित ऋण मुहैया कराया जाएगा. जिसे सहकारी समिति के लोग 5 वर्ष के अंदर जमा कर सकते हैं. इससे सहकारी समितियों की पूंजी मजबूत होगी. जिससे अन्य लोगों को भी रोजगार मिलेगा.