! मेरी शादी होने वाली थी. मैं कोट-पैंट पहनकर, जूता पौलिश कर एकदम सज-धज कर लड़की वालों के यहाँ पहुंचा. लड़की ने मेरे लिए मंजूरी दे दी थी. शादी के बाद मुझ…
मनसुख भाई अक्सर मुझसे पूछते हैं - तू इतनी नौटंकी करता है, तू ड्रामा क्यों नहीं करता ? वैसे तो दिनभर यहां-वहां ठुड्डे मारता फिरता है. जा ! वहां जा के म…
तिरुवनंतपुरम की दो बहनों ने अपनी मेहनत और लगन से हर एक परेशानी का डट कर सामना किया. उनकी इसी मेहनत के कारण आज वह एक सफल महिला है, जो अपने घर को आर्थि…