Maize Farming: रबी सीजन में इन विधियों के साथ करें मक्का की खेती, मिलेगी 46 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार! पौधों की बीमारियों को प्राकृतिक रूप से प्रबंधित करने के लिए अपनाएं ये विधि, पढ़ें पूरी डिटेल अगले 48 घंटों के दौरान दिल्ली-एनसीआर में घने कोहरे का अलर्ट, इन राज्यों में जमकर बरसेंगे बादल! केले में उर्वरकों का प्रयोग करते समय बस इन 6 बातों का रखें ध्यान, मिलेगी ज्यादा उपज! भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Mahindra Bolero: कृषि, पोल्ट्री और डेयरी के लिए बेहतरीन पिकअप, जानें फीचर्स और कीमत! Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक घर पर प्याज उगाने के लिए अपनाएं ये आसान तरीके, कुछ ही दिन में मिलेगी उपज!
Updated on: 16 July, 2021 7:16 AM IST
Successful Farmer

मौजूदा समय में अब शिक्षित युवा भी अपना रुख खेती की तरफ कर रहें हैं,  और कृषि क्षेत्र को आगे बढ़ाने के लिए नई- नई योजनायें बना रहे हैं, ताकि भविष्य में इससे अधिक मुनाफा कमाया जा सके. हमारे देश में बड़े पैमाने पर सब्जियों की खेती की जाती है. ज्यादातर लोग तो सब्जियों की आधुनिक और उन्नत खेती को अपनाकर मोटी कमाई भी कर रहें हैं. ऐसे में कई ऐसे शिक्षित युवा भी हैं जो बाकी युवाओं के लिए नज़ीर पेश कर रहे हैं. उन्हीं युवाओं में से एक हरियाणा जिला जींद के रहने वाले युवा किसान अंकुश तरखा हैं. जो हॉर्टिकल्चर में पीएचडी कर रहे हैं, साथ ही आधुनिक तरीके से सब्जियों की खेती करके अच्छा मुनाफा कमा रहें हैं. पेश है उनकी सफलता की कहानी-

अंकुश ने बनवाया नेट हाउस

हरियाणा के गांव तरखा में रहते है युवा किसान अंकुश, जो 8 एकड़ जमीन में सब्जियों की खेती करते हैं. जिसमें से 1 एकड़ में नेट हाउस लगाया है. 2 एकड़ में अमरुद और बाकी फसलें लगाई हुई हैं और 6 एकड़ में मौसमी सब्जियों की खेती करते हैं.

क्यों किया सब्जियों की खेती का चुनाव

अंकुश बताते है- वर्तमान समय में हर युवा एक अच्छी नौकरी पाना चाहता है लेकिन मुझे कृषि क्षेत्र एक अच्छा स्कोप लगा. इसलिए मैंने हॉर्टिकल्चर क्षेत्र में ही कार्य करना ठीक समझा. इससे मुझे रोजाना आय का जरिया भी अच्छा मिला और एवरेज इनकम भी अच्छी हुई. मेरे दादा जी और पिता जी भी कृषि क्षेत्र से जुड़े हुए थे,  इसलिए मैंने भी कृषि क्षेत्र में ही भविष्य बनाने के बारे में सोचा.

बेमौसमी सब्जियों की खेती भी करते हैं अंकुश

युवा किसान अंकुश 4 एकड़ में मौसम के हिसाब से सब्जियों की खेती करते हैं. जैसे अभी के सीजन में तोरई , लौकी, करेला आदि की सब्जी है और नेट हाउस में ज्यादातर  बेमौसमी सब्जियों जैसे टमाटर, खीरे और शिमला मिर्च की खेती करते हैं.

बनाया है किसान उत्पादक समूह (FPO)

अंकुश बताते है, हम सब्जियों की ग्रेडिंग करते है. शुरुआत में A और B ग्रेड का जो प्रोडक्ट होता है वो हम अपनी नजदीकी मंडियों के बजाय दूर की मंडियों में भेज देते हैं क्योंकि वहां उनका अच्छा मूल्य मिलता है और जो C और D ग्रेड का प्रोडक्ट होता है वो लोकल मंडियों में भी अच्छे भाव में बिक जाता है. इसके अलावा हमारा प्रोडक्ट खीरा और रंगीन शिमला मिर्च चंडीगढ़,  लुधियाना,  जयपुर और दिल्ली की आजादपुर मंडी में भेजा जाता है.  हम किसानों ने मिलकर किसान उत्पादक समूह (FPO)बनाया है,  जिससे जुड़े सभी किसान मिलकर अपना जो उत्पाद है उसको बाहर सप्लाई कर देते हैं. इस समूह में हम 800 से भी ज्यादा किसान जुड़े हुए हैं.

शुरुआत में आई समस्या

खेती को पेशेवर तरीके से अपनाने में अंकुश को कई समस्याएं आई.  वो बताते है -  “हमने 2012 में प्रोटेक्टेड फार्मिंग की शुरुआत की इसमें शुरू में काफी समस्याओं का सामना करना पड़ा. सबसे पहले हमें अच्छे से इस खेती के लिए सही मार्गदर्शन नहीं मिला व मार्केटिंग की भी समस्या आई. इसके अलावा हमें अच्छे गुणवत्ता वाले बीज भी नजदीक मार्केट में उपलब्ध नहीं हुए . फिर हमने खर्चे कम करने के लिए मल्चिंग लगाई जिससे खरपतवार और लेबर खर्च कम आए.

नुक़सान से मुनाफ़े तक का सफ़र

अंकुश के अनुसार, एक एकड़ की बात करें तो नेट हाउस में अलग -अलग खर्चा आता है. इसमें लागत भी ज्यादा है और फायदा भी. अगर हम खीरे की खेती करते हैं तो इसमें बीज का, मजदूरी व जैविक खाद जैसे केंचुआ खाद, गोबर खाद आदि का  खर्चा होता है. इसके अलावा खीरे की फसल को माइक्रो न्यूट्रिएंट्स की भी जरुरत पड़ती है. इसमें 3 से 4 महीने की लेबर लागत भी आती है. पूरे खर्च को मिलाकर प्रति एकड़ के हिसाब से लगभग 2 लाख 70 हजार रुपए तक खर्च आता है. जिसमें  एक एकड़ में 500 से 600 क्विंटल उत्पादन होता है. जिसका जो अधिकतम रेट है वो 12 रुपए से 26 रुपए तक आता है. सब्जियों की खेती साल में  2 बार होती है. जिसमें  7 लाख 35 हजार रुपए लगाकर वे 22 लाख 86 हजार रुपए सालाना कमाते हैं. 

कोरोना काल में हुआ नुकसान

सब्जियों की खेती में इस कोरोना काल में 25 से 30 फीसदी तक नुकसान हुआ. क्योंकि हमारा जो A और B ग्रेड का प्रोडक्ट बाहरी मंडियों में जाता था वो नहीं जा पाया.  हर जगह कोरोना की वजह से मंडियां बंद हो गई. पर फिर भी हमें ज्यादा नुकसान नहीं हुआ क्योंकि कृषि एक ऐसा क्षेत्र है जो इस कोरोना स्थिति में भी ठप नहीं हुआ.

Vegetable

किसानों के लिए सन्देश

अंत में अंकुश कहते है –  मै  कृषि जागरण  के माध्यम से किसानों को, युवा साथियों को ये सन्देश देना चाहूंगा कि, जो लोग कृषि को छोड़ कर दूसरे क्षेत्र में जा रहे हैं वे कृषि को भी आमदनी का एक अच्छा स्त्रोत बना सकते हैं. माना शुरुआत में थोड़ा नुकसान भी हो सकता है पर थोड़ा  धैर्य रखकर कोशिश करते रहने से , खेती का ज्ञान बढ़ता रहेगा तो आपको 1 से 2 सालों में लाभ भी मिलने लगेगा,  और बाद में आपके खेती के ज्ञान के साथ अनुभव बढ़ने पर इस क्षेत्र में मुनाफा होने लगेगा .

कृषि को बढावा देने के लिए  सरकार कई तरह की योजनायें भी चला रही है जो किसानों के लिए फायदेमंद हैं. किसान भाई उन  योजनाओं  का लाभ लेकर भी मुनाफ़ा कमा सकते है. 

ऐसे ही सफल किसानों की सफलता की कहानी पढ़ने के लिए, पढ़ते रहिए कृषि जागरण हिंदी पोर्टल के हर लेख को.

English Summary: Young farmer made profit from vegetable cultivation, read the story of success through struggle
Published on: 16 July 2021, 07:38 AM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now