Maize Farming: रबी सीजन में इन विधियों के साथ करें मक्का की खेती, मिलेगी 46 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार! पौधों की बीमारियों को प्राकृतिक रूप से प्रबंधित करने के लिए अपनाएं ये विधि, पढ़ें पूरी डिटेल अगले 48 घंटों के दौरान दिल्ली-एनसीआर में घने कोहरे का अलर्ट, इन राज्यों में जमकर बरसेंगे बादल! केले में उर्वरकों का प्रयोग करते समय बस इन 6 बातों का रखें ध्यान, मिलेगी ज्यादा उपज! भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Mahindra Bolero: कृषि, पोल्ट्री और डेयरी के लिए बेहतरीन पिकअप, जानें फीचर्स और कीमत! Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक घर पर प्याज उगाने के लिए अपनाएं ये आसान तरीके, कुछ ही दिन में मिलेगी उपज!
Updated on: 27 September, 2022 12:00 AM IST
पाताल भुवनेश्वर

उत्तराखंड को देवभूमी यूं ही नहीं देवभूमी के नाम से जाना जाता है. आज हम आपको एक ऐसी ही प्रचलित रहस्यमयी गुफा के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां पर 33 करोड़ देवी देवताओं का वास है. नाम है पाताल भुवनेश्वर. जहां पर सभी देवताओं की छवि देखी जा सकती है.

पाताल भुवनेश्वर

पाताल भुवनेश्वर  गंगोलीहाट में स्थित है. यह उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में पड़ता है. मान्यता है कि पाताल भुवनेश्वर  गुफा की खोज आदि जगत गुरु शंकराचार्य ने की थी. यह गुफा मुख्य द्वार से 160 मीटर लंबी और 90 फीट गहरी है.

मान्यताएं

मान्यताओं के अनुसार, भगवन शिव ने क्रोध में आकर जब भगवान गणेश का सिर धड़ से अलग कर दिया था, इसके बाद पाताल भुवनेश्वर  में भगवान गणेश जी का कटा हुआ सर स्थापित किया गया. जिसकी छवि आज भी वहां मूर्ति के रूप देखी जा सकती है. दिलचस्प बात यह है कि उस मूर्ति के ऊपर 108 पंखुड़ियों वाला ब्रह्मकमल है, जिससे दिव्य पानी की बूंदें शिलारूपी मूर्ति (भगवान गणेश जी का सिर) पर गिरती रहती है. मान्यता है कि वह ब्रह्मकमल भगवान शिव ने ही विस्थापित किया था. इसके अलावा कई मान्यताएं व रहस्य इसमें बसे हुए हैं.

patal bhuvneshwar

पाताल भुवनेश्वर

पाताल भुवनेश्वर गुफा एक छोटे से क्षेत्र में कई रहस्य को समेटे हुए हैं. कहें तो रहस्य का ब्रहमांड है. गुफा में प्रवेश करने के बेहद छोटा, संकरा और टेढ़ा मेड़ा रास्ता है. गुफा में निचे जाने के लिए रास्ता तीन फीट चौड़ा और चार फीट लंबा है तथा प्रवेश के लिए लोहे की जंजीरों का सहारा लेना पड़ता है.

खास बात यह कि यह पूरी गुफा पत्थरों के बनी हुई है. जैसे ही गुफा में प्रवेश करते हैं, वहां का दृश्य मनमोहक और रहस्यों से भरा हुआ दिखाई देगा. आपकी दिवारों पर मौजूद आकृतियों से नजर ही नहीं हटेगी. हर एक आकृति, हर एक पत्थर कुछ कहानी बयां करता है.

दीवारों से पानी रिसता है. गुफा में शेषनाग के आकार का पत्थर है, जिसे देखकर ऐसा लगता है कि पृथ्वी का पकड़ें हुए हैं. इसके बाद गुफा में शिवजी की विशाल जटाओं के साथ ही 33 करोड़ देवी देवताओं के दर्शन होते हैं. आगे चलकर आपको गुफा में ब्रह्मा, विष्णु और महेश के एक साथ दर्शन कर सकते हैं.

यह भी पढ़ें : द्रोणागिरी पर्वत पर आज भी आता है एक वानर, नहीं होती हनुमान जी की पूजा

patal bhuvneshwar

कलयुग के अंत पत्थर है मौजूद

इस गुफा से चारों ओर युगों के प्रतिक के रूप में 4 पत्थर मौजूद हैं. मान्यता है कि जिस दिन कलयुग का पत्थर से टकराएगा उस दिन कलयुग का अंत हो जाएगा. बता दें कि पहले इस युफा में पर्यटकों की एंट्री नहीं थी. साल 2007 यह पर्यटकों के लिए खोल दिया गया.

English Summary: The real head of Lord Ganesha is still present in patal bhuvneshwar, the Ganges flows through the hairs of Lord Shiva.
Published on: 27 September 2022, 05:25 IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now