भोलू अपने घर का सबसे भोला लड़का था पर वो बहुत ही बद्दकिस्मति से बड़ा हुआ था उसके जन्म के कुछ महीने पहले ही उसके पिता परलोक को पधार चुके थे और उसके जन्म के कुछ ही समय के बाद उसकी माँ भी अपने पति के पास चली गई. माँ के जाने के बाद उसकी देख रेख मौसी करती थीं वो मौसी भोलू को शुरु में तो माँ जैसा प्यार देने की कोशिश कर रही थी परन्तु इंसानों की नियत कब बदल जाये ये कोई नहीं जानता. अनाथ बच्चा उम्र से पहले ही बड़ा हो जाता है इस बात का प्रमाण भोलू दे रहा था. जिस वक्त भोलू के मौसरे भाई आराम फ़रमाते उस वक्त भोलू घर की साफ़-सफ़ाई करता, जिस वक्त उसके भाई खेलते-कूदते उस वक्त भोलू बाज़ार से सामान खरीदने जाता. एक जिम्मेदारी का पाठ वो छोटी सी ही उम्र में सीख रहा था .
उसके मौसरे भाई नये -नये कपड़े पहनते और भोलू वही फटा -पुराना गंदा सा कपड़ा पहने मस्त रहता. उसके मौसेरे भाईयों के लिए अच्छी-अच्छी चीजे़ खाने को आती यदि उनके भाईयों का मन होता देने को तो उसमें से थोड़ा सा भोलू को भी दे देते पर भोलू अभी बच्चा ही तो था जहाँ उसके भाई चिप्स का पूरा का पूरा पैकेट खाते और भोलू को उस पैकेट में से सिर्फ एक चिप्स ही मिलें तो भला भोलू का मन कैसे भरे! भोलू अपने भाईयों का मुंह टूकूर -टूकूर ताकते रहता कब उसके भाई उस पर खुश हो जाये और एक दो टुकड़ा चिप्स का उसे और दे दें. एक दिन की बात जब भोलू बाज़ार से समान खरीद कर वापस घर लौट रहा था उसके हाथ में पूरा पैकेट चिप्स का था. वो एक हाथ के बगल में लौकी दबाये हुए था और दोनों हाथों से चिप्स खाने में व्यस्त था. जब तक वो पैकेट ख़त्म नहीं हो जाता तब तक उसका मन घर लौटने को नहीं हो रहा था क्योंकि उसे पता था कि ये चिप्स का पैकेट मौसी से बिन बताये खरीदा है यदि मौसी को पता चलेगा तो वो पीटेगी यही सोच कर वो अपनी गली के मोड़ पर ही एक किनारे बैठ कर मस्ती में खाने लगा. कहते है ना समय किसी को माफ नहीं करता चाहे वो बूढ़ा हो या बच्चा वो जिस वक्त वहां बैठा ही था उसी वक्त उसके मौसा अपने दफ्तर से वापस लौट रहे थे. भोलू को मस्ती में चिप्स खाते देख वो समझ गये कि ये कहीं से पैसा चुरा कर खरीदा है. उसके मौसा उसका हाथ पकड़ कर जोर से खींचते हुए घर ले आये. भोलू बेचारा बुरी तरह डरा हुआ था डर के मारे कांप रहा था. उसकी मौसी को जब ये बात पता चली कि भोलू चिप्स खरीद कर खा रहा था तो वो पूरी तरह आग बबूला हो उसकी पिटाई करनी शुरु कर दी और जोर से बोलने लगी जिसको खाने का औकात नहीं है वो राहुल और रोहन का नकल करता है. राहुल और रोहन भोलू के मौसेरे भाई हैं. उसकी मौसी कहने लगी जो कुछ राहुल और रोहन के लिए आता है उसमें से इसको मिल ही जाता है फिर भी इस नालायक का ढींढा नहीं भरता. भोलू कुछ बोले उससे पहले वो आंख मल-मल कर रोने लगा उसकी धड़कन तेज़ हो गई थी. मासूम सा साँवला चेहरा रोते रोते लाल हो चुका है पर अनाथ बच्चे पर किसको दया आये.
भोलू सच में बड़ा मासूम था उसे किसी ने बता दिया था कि तुम्हारे मम्मी -पापा तुमसे दूर आसमान में तारे बन कर तुमको देखा करते हैं. रात होने में कुछ समय शेष बाकी था वो छत पर चुप-चुप बैठ कर आसमान को देखता और तारों के निकलने का इंतजार करता क्योंकि आज उसे अपनी माँ से बहुत सारी बातें करनी थी. ख़ैर सूरज ढ़ल चुका था, पक्षी अपने घोंसले को लौट रहे थे, ठंडी-ठंडी हवा चलने लगी थी, आसमान में एक दो तारे टिमटिमाने शुरू हो गये थे. धीरे -धीरे रात जवां होनी शुरू हो गई थी आसमान में तारे टिमटिमाने लगे थे. भोलू की नज़र जहाँ तक जाती वहां तक तारे ही तारे थे. भोलू को लगता सारे तारे उसी की तरफ़ देख रहे हो. बारह साल का बच्चा कितना आस्थावान है कि वो अपनी दिल की गांठो को खोलने के लिए माँ की तलाश में उन तारों को हाथ जोड़ कर रोता हुआ कह रहा है "माँ तुम कहाँ हो, मुझे छोड़ कर कहाँ चली गई. पता है माँ ये मौसी न मुझे अच्छे से खाना देती और दिन भर काम करवाती है, पढ़ने भी नहीं देती और तो राहुल भईया का कपड़ा भी मुझसे धुलवाती है, रोहन भईया का स्कूल बैग उठा कर मुझे ही स्कूल तक जाना पड़ता है छोड़ने. घर की सफाई से लेकर बाज़ार तक का सामान मुझे ही लाना पड़ता है. राहुल और रोहन भईया के लिए मिठाई लेकर आते है मौसा जी पर मुझे नहीं देते.
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चिप्स का पैकेट खाते है सभी पर उसमें से मुझे चिप्स का एक दो दाना ही देते हैं. और आज मेरी खूब पिटाई हुई क्योंकि मुझे एक अंकल ने आज चिप्स खरीद कर दिया और मैं उसे खाते हुए पकड़ा गया तो मौसी को लगा कि मैनें उनका पैसा चुरा कर चिप्स खरीदा है और तो और आज रात का खाना भी बंद है. बोलो माँ तुम कहाँ हो कब आयोगी माँ. ये बोल कर वो फूट-फूट कर रोने लगा. जब वो अकेला अपनी माँ से बात कर रहा था तो उसके मौसा और मौसी छिप कर सब बात सुन रहे थे और भोलू की मासूमियत देख कर उनको अपनी गलतियों पर काफी शर्मिंदगी महसूस हो रही थी. बच्चों के साथ कभी भेद-भाव नहीं करना चाहिए ये सीख उनको मिल चुकी थी क्योंकि बच्चे भगवान का स्वरूप होते हैं.