महिंद्रा ट्रैक्टर्स ने किया Tractor Ke Khiladi प्रतियोगिता का आयोजन, तीन किसानों ने जीता 51 हजार रुपये तक का इनाम Mandi Bhav: गेहूं की कीमतों में गिरावट, लेकिन दाम MSP से ऊपर, इस मंडी में 6 हजार पहुंचा भाव IFFCO नैनो जिंक और नैनो कॉपर को भी केंद्र की मंजूरी, तीन साल के लिए किया अधिसूचित Small Business Ideas: कम लागत में शुरू करें ये 2 छोटे बिजनेस, सरकार से मिलेगा लोन और सब्सिडी की सुविधा एक घंटे में 5 एकड़ खेत की सिंचाई करेगी यह मशीन, समय और लागत दोनों की होगी बचत Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Goat Farming: बकरी की टॉप 5 उन्नत नस्लें, जिनके पालन से होगा बंपर मुनाफा! Mushroom Farming: मशरूम की खेती में इन बातों का रखें ध्यान, 20 गुना तक बढ़ जाएगा प्रॉफिट! सबसे अधिक दूध देने वाली गाय की नस्ल, जानें पहचान और खासियत
Updated on: 20 September, 2022 12:00 AM IST
द्रोणागिरी पर्वत

द्रोणागिरी पर्वत पौराणिक मान्यताओं का प्रतीक है. यह उत्तराखंड के चमोली जिले में मौजूद है. तभी तो उत्तराखंड को देवभूमी भी कहा जाता है. श्री राम जी के छोटे भाई लक्ष्मण जी को जब लंका में मेघनाथ के साथ युद्घ के दौरान शक्ति बाण लगा, तब वैघ ने हनुमान जी से कहा कि वह संजीवनी बूटी लेकर आएं.

तब हनुमान जी द्रोणारिगी पर्वत से संजीवनी बूटी लेने आए, लेकिन जड़ी बूटी की पहचान ना होने के कारण पर्वत का एक हिस्सा अपनी कनिष्ठा अंगुली में उठाकर लेकर आए, लेकिन द्रोणागिरी के गांव के लोग इस बात को लेकर नाराज हो गए. जिसके बाद आज भी गांव वाले हनुमान की पूजा नहीं करते हैं. इतना ही नहीं, बल्कि यहां के गांव में लाल झंडा लगाने पर भी पाबंदी लगा दी गई है.

द्रोणागिरी पर्वत उत्तराखंड के चमोली जिले के जोशीमठ नीति मार्ग में स्थित है. जहां पर आज भी जड़ी बूटी की तलाश में न जाने कितने लोग आते हैं. मान्यता है कि आज भी यहां औषधिय जड़ी बूटियां पाई जाती है. लोग यहां मौजूद जड़ी बूटियां को  संजीवनी का प्रतीक मानकर अपने घरों की चौखट पर लगाते हैं.

dronagiri parvat

महिलाएं नहीं करती पूजा

आसपास के गांव के लोग द्रोणागिरी पर्वत की पूजा अर्चना करते हैं, जिसके लिए कोई मूर्ती व मंदिर विस्थापित तो नहीं किया गया है मगर गांव वालों पर्वत को ही भगवान का रुप मानकर पूजा करते हैं. एक अजीब सी बात यह है कि यहां की महिलाएं इस पूजा में शामिल नहीं होती हैं. मान्यता है कि जब हनुमान जी संजीवनी बूटी की तलाश में यहां पहुंचे, तो एक बूढ़ी औरत ने उन्हें संजीवनी का पता बताया. जिसके बाद से वहां पर महिलाओं के पूजा में शामिल होने पर पाबंदी है.

यह भी पढ़ें:  हे कर्ण ! जीवन में चुनौतियां सभी के साथ है, लेकिन भाग्य कर्मों से निश्चित होता है

Hanuman ji

हर साल आता है वानर

मान्यता है कि आज भी द्रोणागिरी पर्वत हर साल एक वानर आता है. आते हुए सब लोग देखते हैं मगर कुछ वक्त बाद कहां चला जाता है किसी को पता नहीं. यह बड़ी आश्चर्य की बात है कि द्रोणागिरी पर्वत के आस पास इतनी ठंड होती है कि वहां पर वानर का आना संभव भी नहीं है. गांव वालों ने उस वानर का पीछा भी किया आखिर वह कहां जाता है, लेकिन वह सक्षम नहीं हो पाए और यह राज़ केवल राज़ ही बनकर रह गया. 

English Summary: Even today a monkey comes on Dronagiri mountain, Hanuman ji is not worshipped
Published on: 20 September 2022, 04:35 IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now