अगले 2 दिन इन राज्यों में घना कोहरा छाए रहने की संभावना, पढ़ें आईएमडी की लेटेस्ट रिपोर्ट! खेती को बनाए आसान, वीएसटी 165 DI ES इलेक्ट्रिक स्टार्ट पावर टिलर इस्तेमाल कर कम लागत में करें ज्यादा काम! केले की पूरी फसल बर्बाद कर सकते हैं वायरल रोग, जानें इनके लक्षण और प्रबंधन! केले में उर्वरकों का प्रयोग करते समय बस इन 6 बातों का रखें ध्यान, मिलेगी ज्यादा उपज! भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Mahindra Bolero: कृषि, पोल्ट्री और डेयरी के लिए बेहतरीन पिकअप, जानें फीचर्स और कीमत! Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक घर पर प्याज उगाने के लिए अपनाएं ये आसान तरीके, कुछ ही दिन में मिलेगी उपज!
Updated on: 8 April, 2019 12:00 AM IST
Wilma Rudolph

एक असफल आदमी अपनी असफलता के लिए हजारों बहाने बना सकता है. हज़ारो बहानें आपको गिना सकता है, ओर कईं बार हम भी अपनी ज़िंदगी में यही करते हैं कई बहानें देते रहते हैं.

लेकिन आज मैं आपको एक सच्ची कहानी बताने जा रहा हूँ, ये एक ऐसी लड़की की कहानी है जिसकी जिंदगी मे आम लोगो से कई अधिक बाधाएं थी, जिसकी जिंदगी मे आम लोगो से कईं ज्यादा तकलीफ़ें थी. लेकिन उसने अपनी सारी बाधाओं और अपनी सारी तकलीफ़ों को दूर कर दुनिया में अपना नाम रौशन किया.

तो मैं जिस लड़की की कहानी आपको सुनाने जा रहा हूँ वो थी - विलमा रुडॉल्फ.

विलमा रुडॉल्फ का जन्म 1939 मे अमेरिका के टेनेसी राज्य में एक अश्वेत परिवार मे हुआ था. पिता माली थे ओर मां लोगों के घरों में काम किया करती थी.

विलमा का असमय ही जन्म हो गया जिसकी वजह से वह बचपन से ही बीमार रहने लगी. ढाई वर्ष की उम्र मे विलमा को पोलियो हो गया और धीरे-धीरे उसे अपने पैर महसूस होना बंद हो गये और वो अब चल नहीं सकती थी.

लेकिन विलमा की माँ ने हिम्मत नही हारी. उनकी माँ उसे प्रेरित करती रही. उन्होंने काम करना बंद कर दिया ओर विलमा का इलाज़ शुरू कर दिया. 5 वर्ष की उम्र मे डॉक्टर ने विलमा के विषय में कहा कि विलमा कभी भी अपने पैरो पर नहीं चल पाएगी. विलमा छोटे बच्चों को खेलते देख माँ से कहती कि मै भी खेलना चाहती हूँ और उसकी मां उसे हमेशा प्रेरित करती कि तुम ज़रूर दौड़ोगी.

11 साल की उम्र मे विलमा को पहली बार अपनी व्हीलचेयर से उतर कर बास्केटबॉल खेलते देख उनके डॉक्टर आश्चर्यचकित रह गए. डॉक्टर ने विलमा से दौड़ने को कहा. कुछ दूर दौड़ने के बाद वो गिर गई. डॉक्टर ने कहा बेटा तुम ज़रूर दौड़ोगी और बहुत तेज़ दौड़ोगी.

विलमा ने यह बात अपने दिल मे गांठ की तरह बांध ली और विलमा ने कहा कि मैं दुनिया मे सबसे तेज दौड़कर दिखाऊंगी. विलमा के इस जज़्बे को सभी ने सपोर्ट किया और इसमें उनकी मां ने उनका पूरा साथ दिया. उनके स्कूल ने भी उनके जज़्बे का पूरा साथ दिया और उन्होने पहली बार रेस मे हिस्सा लिया. वह आखिरी स्थान पर रही. यह बात हम जैसे लोगों के साथ होती तो हम टूट जाते. लेकिन विलमा का आत्मविश्वास बिल्कुल भी कम नही हुआ. उनके अंदर और मोटिवेशन और जुनून आया.

वो दिन भी आ ही गया जब 1960 रोम ओलंपिक मे अमेरिका का प्रतिनिधित्व करते हुए विलमा ने 100 मीटर, 200 मीटर और 400 मीटर तीनों प्रतियोगिताओं में पहला स्थान प्राप्त किया और पहली अश्वेत महिला बनी जिसने गोल्ड मेडल जीता.

क्या अब भी आपको जीवन में अपनी बाधाएं बड़ी दिखती हैं ?

एक इंसान का जज़्बा, उसका जुनून और आत्मविसवास उसे कहीं भी लेजा सकता है.

इंसान के अंदर इतनी ताकत होती है कि वह जो सोच ले, वह कर सकता है.

English Summary: sucess story of rome olympian wilma rudolph
Published on: 08 April 2019, 06:35 IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now