मेहता जी के घर में उनकी बीवी और एक लड़का है. मेहता जी एक रिटार्यड अफसर हैं, पत्नी हाउस वाइफ हैं और लड़का प्राइवेट कंपनी में मैनेजर के पद पर नियुक्त है. रिटायरमेंट से पहले ही मेहता जी ने गुड़गांव में 100 गज का एक फर्स्ट क्लास 4 कमरों वाला मकान बना लिया था. अब मेहता जी अपने जीवन के सूकून भरे पल जी रहे हैं. एक छोटा और हस्ता-खेलता परिवार.
रविवार की सुबह थी. मेहता जी का लड़का राहुल घर की छत पर बैठ कर कसरत कर रहा था, तभी मेहता जी अपनी पत्नी को लेकर छत पर आए. उनके हाथ में कुछ तस्वीरें थीं. राहुल को थोड़ा अजीब लगा और वह पूछ बैठा कि यह क्या है ? पिताजी ने जवाब दिया कि कुछ रिशेतेदारों ने भेजी है और कुछ .com वगैरह से चुनी गई हैं - तुम्हारी शादी के लिए.
राहुल थोड़ा शरमाया और हंसकर बोला - अभी तो मैं घूमना चाहता हूं, खेलना चाहता हूं और अभी मेरी उम्र नहीं हुई है. इसके जवाब में मां ने कहा कि - घूमना और खेलना तो शादी के बाद भी हो सकते हैं और रही बात उम्र की तो बेटा 29 का हो गया है तू, 30 के बाद लड़कों की शादी में भी दिक्कतें आती हैं और कोई अपनी लड़की नहीं देता. अभी तो शादी होगी नहीं, अभी तो सिर्फ फोटो देख ले, पसंद आए तो बता दे और फिर रिश्ता होते-होते 8 से 9 महीने तो बीत ही जाते हैं.
राहुल ने 'हां' तो कर दी, परंतु वह असमंजस में था. खैर, बात आगे बढ़ी और राहुल की सगाई हो गई. लड़की का नाम निलिमा है. बी.कॉम पास किया है और अब एमबीए करने की इच्छुक है. मेहता जी के साथ-साथ पूरा परिवार निलिमा को पसंद करता है लेकिन राहुल चिंता में है. राहुल की चिंता इस बात को लेकर है कि निलिमा से उसकी अभी तक एक ही मुलाकात हूई है वो भी सगाई वाले दिन, परंतु अभी तक वह उसके व्यवहार और तौर-तरीकों के बारे में नहीं जानता. इसलिए वह चाहता था कि मुलाकात हो. परंतु हो नहीं पाई और शादी हो गई.
आज राहुल की शादी को 3 महीने पूरे हो गए हैं. मेहता जी अपने उसी गुड़गांव वाले मकान में रह रहे हैं और राहुल-निलिमा ग्रेटर नोएडा के 1 बीएचके फ्लैट में. एक दिन मैं राहुल से मिलने उसके घर गया. निलिमा मायके गई हुई थी और रविवार होने के कारण राहुल घर पर था. चाय पीते-पीते मैंने राहुल से पूछ ही लिया कि - तू अपने मां-बाप की एकलौती औलाद है, उनके बुढ़ापे का सहारा, शादी होने के बाद लोग ज़रुर बदल जाते हैं परंतु घर नहीं बदलते. तूने तो यार घर ही बदल लिया और 4 कमरे होने के बावजूद यहां रह रहा है. यकीन मानिए, 30 साल का शादीशुदा राहुल फूट-फूटकर रोने लगा. उसने बताया कि शादी के अगले ही दिन निलिमा ने मुझसे कहा कि एक नया घर लो, मुझे तुम्हारे मां-बाप के साथ नहीं रहना. मैनें कारण पूछा तो उसने बताया कि मैं अपना लाइफ-स्टाइल नहीं छोड़ सकती. मैनें कहा तो मत छोड़ना लेकिन अलग क्यों जाना है. उसने कहा कि - कल से तुम्हारे मां-बाप मुझे कहेंगे कि सुबह चाय पिलाओ, खाना बनाओ और घर के काम में हाथ बटाओ, यह सब मुझसे नहीं होगा. मैं नौकरानी नहीं हूं. मैने कहा कि ठीक है मत बनाना, पर नया घर लेना कोई मज़ाक नहीं है.
लेकिन वो नही मानी. मैनें पूछा तो क्या अब वो यहां कुछ काम करती है. उसने कहा - हां, करती है - टिक-टोक विडियो बनाती है. मेरे तोते उड़ गए. मैं यह सोचता रह गया कि मेरा क्या होगा ?
पंरतु यह बात सच है कि - जो लड़की अपने मां-बाप के घर 10 बजे उठती हो और काम नहीं करती हो वह शादी के बाद ससुराल में यह काम नहीं कर सकती क्योंकि उसे इसकी आदत नहीं है. इसलिए यदि आज रिश्तों को डूबने से बचाना है तो अपनी लड़कियों को सशक्त बनाने के साथ-साथ संस्कार भी सिखाएं. एक ओर जहां लड़की की शिक्षा ज़रुरी है वहीं दूसरी ओर उसका यह जानना भी ज़रुरी है कि समाज को चलाने की एक जिम्मेदारी उसके कंधों पर भी है. महिलाओं पर अत्याचार हुए और अब भी हो रहे हैं परंतु अब नयी पुरुष पीढ़ी महिलाओं को दबाना नहीं अपने साथ चलाना चाहती है.
इस लेख का उद्देश्य किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है. यह लेख समाज में हो रहे बदलावों का एक आइनाभर है.