Dairy Scheme 2025: डेयरी व्यवसाय के लिए ₹42 लाख तक के लोन पर पाएं 33% तक सब्सिडी, जानें आवेदन की पूरी प्रक्रिया बाढ़ से फसल नुकसान पर किसानों को मिलेगा ₹22,500 प्रति हेक्टेयर तक मुआवजा, 5 सितंबर 2025 तक करें आवेदन Weather Update: दिल्ली-NCR, यूपी, बिहार, एमपी और हिमाचल में भारी बारिश का अलर्ट, जानिए अपने जिले का हाल किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ जायटॉनिक नीम: फसलों में कीट नियंत्रण का एक प्राकृतिक और टिकाऊ समाधान Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं
Updated on: 28 March, 2019 12:00 AM IST

आजकल किसानों का रूझान वेटिवर(खस) की खेती की ओर हो रहा है. जिसके लिए नगला स्थित केंद्रीय औषध एवं सगंध पौध संस्थान इस खेती को किसानों के बीच बढ़ावा देने का प्रयास कर रहा है. इसकी फसल जल भराव और सूखाग्रस्त क्षेत्र के लिए भी फायदेमंद साबित हो सकती है. संस्थान के वैज्ञानिक वीआर सिंह और राजेन्द्र पडालिया ने बताया कि इसके लिए मुख्य रूप से समशीतोष्ण जलवायु उपयुक्त होती है.

यह जल भराव वाले स्थान जैसे नदी किनारे की भूमि और असिंचित क्षेत्र जैसे कच्छ के स्थान पर एवं 9.5 पीएच मान वाली भूमि में खस की खेती सफलता पूर्वक की जा सकती है. उन्होने बताया कि संस्थान ने खस की सात किस्में केएस-1, धारिणी, केशरी, गुलाबीद्व सिम वृद्धि, सीमैप खस-15, सीमैप खस-22 और सिमैप खस-खुसनालिका विकसित की है. उन्होंने बताया कि सामान्य तौर पर किसान इसकी रोपाई जुलाई-अगस्त में करते है

लेकिन खस की एक वर्षीय फसल के लिए स्लिप रोपण का उपयुक्त समय उत्तर भारत में अगस्त-सितंबर एवं फरवरी-मार्च है. इसकी जड़ों की खुदाई 11 माह में की जाती है. अक्टूबर-नवम्बर में रोपी खस के साथ गेहूं या मसूर तथा जनवरी-फरवरी में रोपी खस के साथ मेंथा आर्वेन्सिस, मेंथा पीपरेटा एवं तुलसी की फसल उगाई जा सकती है. जिससे अधिक लाभ अर्जित किया जा सकता है. जिसमें एक एकड़ में लगभग एक से डेढ़ लाख रूपये तक का मुनाफा हो सकता है. उन्होंने बताया कि खस की उपज 15 से 25 कुंतल प्रति हेक्टेयर होती है. जिससे 18-25 किग्रा प्रति हेक्टेयर तेल प्राप्त किया जा सकता है. इसकी खेती में व्यय प्रति हेक्टेयर 90 हजार रूपये है जबकि कुल आय प्रति हेक्टेयर तीन लाख 25 हजार रूपये है. जिससे प्रति हेक्टेयर लगभग सवा दो लाख से दो लाख 35 हजार तक का मुनाफा कमाया जा सकता है. 

खस की खेती में संस्थान करता है सहयेाग

सीमैप संस्थान किसानों को खस की खेती के लिए  स्लिप उपलब्ध कराता है. साथ ही संस्थान की परियोजनाओं के अंर्तगत किसानों को विशेष छूट भी दी जाती है. इसके अलावा समय-समय पर किसानों को इसकी खेती का प्रशिक्षण भी दिया जाता है. 

खस का उपयोग

सीमैप के वैज्ञानिकों ने बताया कि खस की जड़ो से सुगंधित तेल, कास्मेटिक, साबुन, इत्र आदि का निर्माण होता है. इसका तेल उच्च श्रेणी का स्थिरक होने के कारण चंदन, लेवेंडर एवं गुलाब के तेल पर ब्लेंडिग में प्रयेाग किया जाता है. इसके अलावा तंबाकू, पान मसाला और शीतल पेय पदार्थों भी इसका प्रयोग किया जाता है. 

English Summary: vativar plant farming
Published on: 28 March 2019, 05:58 IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now